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Tag: सुनील दत्ता कवि

देश के आधुनिक इतिहास को सर्वाधिक महत्व देना क्यों आवश्यक है

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- सुनील दत्ता - देश के आधुनिक युग का इतिहास इस देश में 16 वी शताब्दी में यूरोपीय शक्तियों के आगमन के साथ शुरू होता...

धनाढ्यो की उलटबासी

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 - सुनील दत्ता -कबीर की उलटबासिया जनमानस में प्रचलित रही है और लोकोत्तियो का हिस्सा रही है | लोग अपने अपने हिसाब से उसका गूढ़...

सडको का विकास विस्तार और भूमि अधिग्रहण

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- सुनील दत्ता -  देश में चारो तरफ सडको का विस्तार किया जा रहा है | 2 लेंन  की सडको को 4 लेंन में ,...

समाज में किस पहचान को प्रमुखता दी जानी चाहिए ?

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- सुनील दत्ता -  ( विडम्बनापूर्ण स्थिति यह है कि मजदूर के रूप में , किसान के रूप में , दस्तकार , दुकानदार आदि के...

किसानो की आत्महत्या जिम्मेदार कौन ?

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- सुनील दत्ता - महाराष्ट्र में जनवरी 2015 से लेकर अक्तूबर 2015 के दस महीनों में 2590 किसानो की तथा दिसम्बर तक के 12 महीनों...

देश की व्यवस्था आम आदमी को छलती रही

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 - सुनील दत्ता '' कबीर "   - 14 नवम्बर 2015 के दैनिक जागरण में ' दुनिया में सम्पत्ति के बटवारो को  लेकर कुछ आंकड़े...

शिक्षा ———प्रसंगवश एक बात

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 - सुनील दत्ता - वर्तमान शिक्षा प्रणाली के औपनिवेशिक गुलामी के दौर की शिक्षा प्रणाली में अंग्रेजी भाषा को सर्वोच्च महत्व दिए जाने के बाद भी...

कब तलक लुटते रहेगे लोग मेरे गाँव के ?

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- सुनील दत्ता  -  1757 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी का राज स्थापित होने के बाद से कम्पनी की टैक्स उगाही व राजस्व प्राप्ति का सबसे बड़ा...

देश का विकास और स्वतंत्रता का सवाल ?

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- सुनील दत्ता -आमतौर पर देश के आधुनिक विकास को 1947 में ब्रिटिश राज से मिली स्वतंत्रता का परिणाम मान लिया जाता है |...

राष्ट्रीय संस्कृति का प्रश्न ?

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- सुनील दत्ता - संस्कृति  का मतलब मोटे तौर पर जीवन शैली से है | राष्ट्र संस्कृति का मतलब राष्ट्र के लोगो का रहन -...

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