Tag: साहित्य जगत
उदय वीर सिंह की कविताएँ
कविताएँ 1- धर्म वालों मैं पुछना चाहता हूँ
किस धर्म का ये गीत है
खून खूनी जिंदगी -
किस पंथ की ये रीत है
कदमों के नीचे वंदगी -
करुणा दया...
शंशांक प्रभाकर के मुक्तक
मुक्तकलफ्जो के गांव से जादू चुरा के लाया हूं.....
मैं मोहब्बत की ही खुशबू चुरा के लाया हूं...
आप कहते है जिसे फन वो असलियत है...
साहिल जे सिंह की चार ग़ज़ले
ग़ज़ल 1-
रोज़ चाहत में रुसवा सरे आम हो रहे हैं
रंज सब इस जहाँ के मेरे नाम हो रहे हैं
क्या कहूँ यार तौबा नज़र मुंतज़िर के...
दोहे रमेश के दिवाली पर
दोहे सर पर है दीपावली, सजे हुवे बाज़ार !
मांगे बच्चो की कई ,मगर जेब लाचार!!बच्चों की फरमाइशें, लगे टूटने ख्वाब !
फुलझडियों के दाम भी,वाजिब नहीं...
दामिनी यादव की रचनाएँ
रचनाएँ१-
आज मेरी माहवारी का
दूसरा दिन है।
पैरों में चलने की ताक़त नहीं है,
जांघों में जैसे पत्थर की सिल भरी है।
पेट की अंतड़ियां
दर्द से खिंची हुई...
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी की कविताएँ
कविताएँ1. जलता हिन्दुस्तान
योगी नहीं
सन्त नहीं
लिप्साओं का
अन्त नहीं
चहुंओर मौत का ताण्डव,
दुर्योधन का वध कैसे
कोई नहीं है जब पाण्डव।
मौत के सन्नाटे में
कैसी आस
परिवर्तित हुआ जीवन परिदृश्य
वाह-...
महेन्द्र भीष्म की कहानी : मात
कहानी " मात " रात्रि प्रारम्भ हो चुकी थी या यों कह लिया जाये कि शाम ढल चुकी थी। गाँव में बिजली का होना न...
सुशांत सुप्रिय की हे राम और अन्य चार कविताएँ
कविताएँ 1. हे राम !
उनके चेहरों पर लिखी थी
' भूख '
उनकी आँखों में लिखे थे
' आँसू '
उनके मन में लिखा था
' अभाव '
उनकी काया पर...
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- संजीव कुमार बर्मन - विज्ञापन का इतिहास भी काफी पुराना है। मौजूदा रूप तक पहुंचने के लिए इसने लंबा सफर तय किया है। भारत में...
जयराम जय की कविताएँ
कविताएँ1-
सहारा यहाँ कौन है
मित्र मिलते हैं
मिलते हैं सभी स्वारथ के,
कृष्ण को सुदामा यहाँ कौन है ?
मानव पतन के
अनेक दीखते हैं द्वार
उस पार जाने का
सुद्वारा...