Tag: साहित्यकार डॉ. सौरभ मालवीय
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिवस पर विशेष – उदारमना अटल बिहारी...
-डॉ. सौरभ मालवीय -
भारतीय जहां जाता है, वहां लक्ष्मी की साधना में लग जाता है. मगर इस देश में उगते ही ऐसा लगता है...
आधुनिक राष्ट्र निर्माण का अभिनव पहल : स्मार्ट सिटी योजना
- डॉ.सौरभ मालवीय -
किसी भी देश, समाज और राष्ट्र के विकास की प्रक्रिया के आधारभूत तत्व सामाजिक-आर्थिक दृष्टिकोण, वैचारिक स्पष्टता और सांस्कृतिक विकास ही...
मोदी ने बहायी विकास की गंगा
-डॉ. सौरभ मालवीय-
देश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार को दो वर्ष हो गए हैं। इन दो वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्वभर...
विचार कुंभ : परंपराओं को जीवित रखने का प्रयास
-डॊ. सौरभ मालवीय-
मध्यप्रदेश के उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ के दौरान 12 से 14 मई तक निनौरा में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय विचार महाकुंभ...
साहित्य और समाज
-डॊ. सौरभ मालवीय - साहित्य समाज का दर्पण है, समाज का प्रतिबिम्ब है, समाज का मार्गदर्शक है तथा समाज का लेखा-जोखा है. किसी भी राष्ट्र...
आया बैसाखी का पावन पर्व
-डॊं सौरभ मालवीय -
बैसाखी ऋतु आधारित पर्व है. बैसाखी को वैसाखी भी कहा जाता है. पंजाबी में इसे विसाखी कहते हैं. बैसाखी कृषि आधारित...
उमंग का पर्व है होली
-डॊ. सौरभ मालवीय -होली हर्षोल्लास, उमंग और रंगों का पर्व है. यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इससे एक दिन...
भारतीय संस्कृति मेंमहिला दिवस पर विशेष : नारी कल, आज और कल
- डॉ.सौरभ मालवीय -
‘नारी’ इस शब्द में इतनी ऊर्जा है कि इसका उच्चारण ही मन-मस्तक को झंकृत कर देता है, इसके पर्यायी शब्द स्त्री, भामिनी, कान्ता आदि है, इसका...
भावी भारत, युवा और पण्डित दीनदयाल उपध्याय
- डाॅ0 सौरभ मालवीय -1947 में जब देष स्वतंत्र हुआ तो देष के सामने उसके स्वरूप की महत्वपूर्ण चुनौती थी कि अंग्रेजों के जाने...
वसंतोत्सव : प्रेम का पर्व
- डॉ . सौरभ मालवीय -प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में ऋतुओं का विशेष महत्व रहा है. इन ऋतुओं ने विभिन्न प्रकार से...