Tag: संजय रोकड़े
इफ्तार पार्टियां पर कुठाराघत क्यों
- संजय रोकड़े -वैसे तो भारत में मुस्लिम और दलितों को लेकर हमेशा से मुख्यधारा के लोगों का सिलेक्टिव नजरियां रहा है, लेकिन बीते...
भाजपा को फिर एक बार खोजना होगी नई राह
2019 में नए गठजोड बनेगें चुनौती- संजय रोकड़े -
राजनीति में कभी कोई स्थायी स्टेंड़ नही होता है। राजनेता हमेशा अपनी सुविधा के अनुसार खुद...
कौन कहता है, गैर – राजनीतिक होता है राष्ट्रपति
- संजय रोकड़े -देश के सबसे बड़े और संवैधानिक ओहदे पर बैैठने वाले राष्ट्रपति पद को आमजन अक्सर गैर राजनीतिक पद मानता रहा है...
शिव के राज में प्रदेश बना किसानों की कब्रगाह ?
- संजय रोकड़े -मध्यप्रदेश में किसानों के साथ अभी भी सत्ता पक्ष का रवैया दोगला ही है। इसी दोगलेपन के चलते प्रदेश में किसानों...
हड़बड़ी भरे फैसले से हुआ देश व दिलीप को नुकसान
दिलीप सांघवी को दो साल में 91 हजार करोड़ का नुकसान। कभी देश के सबसे अमीर शख्स होने का तमगा हासिल करने वाले दिलीप...
स्वागत है कोई तो बोले, लेकिन दाल में कुछ काला भी तो नही है?
- संजय रोकड़े -भारतीय समाज व राजनीति में राजनेता के बाद कोई सबसे अधिक सशक्त व सक्षम इकाई है तो वह है प्रशासनिक अफसर।...
सत्ता और बाजार के चक्रव्यूह में फंसती पत्रकारिता
- संजय रोकड़े -विकास के दौर में कुछ अच्छाइयां छूटती है तो कुछ बुराईयां जुड़ती भी है। परिवर्तन के काल में सब कुछ पुराना...
किसान आन्दोलन – चिंता और चेतावनी
- संजय रोकड़े -मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले में किसानों के साथ जो भी हुआ वह लोकतंत्र ही नही बल्कि प्रदेश की शिवराज सरकार पर...
देवेन्द्र ने बचाई साख , मोदी का बढ़ा मनोबल
- संजय रोकड़े -
बीजेपी महाराष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। कड़ी मेहनत, समर्पण और जमीन पर काम करने की वजह से पार्टी अब...
हिंदू फारसी तो दलित गैर संवैधानिक ?
- संजय रोकड़े -आज हमारे देश में दो शब्दों को लेकर समाज में एक बड़ी भ्रांति फैली हुई है। पहला हिंदू और दूसरा दलित।...