Tag: लेखक अतुल मिश्र
मानव मल ढोने की अमानवीय व्यवस्था अब भी जारी
- अतुल मिश्रा - हम विकास के चाहे कितने ही दावे और वायदे कर लें, सकल घरेलू उत्पाद की दर को बढ़ाने की कितनी ही...
साहित्य में बढ़ती मठाधीशी और बयानबाजी
{ अतुल मिश्र } विडम्बना, विक्षोभ और वेदना - कदाचित् ये तीनों शब्द प्रस्तुत सन्दर्भ के लिए कमतर ही प्रतीत होते हैं। ’सहितस्य भाव साहित्यम्’...