Tag: राजकुमार धर द्विवेदी की ग़ज़ल
राजकुमार धर द्विवेदी के मुक्तक
राजकुमार धर द्विवेदी के मुक्तकबातें करता गांव-गली की, अमराई , खलिहान की,
गेहूं, सरसों, चना, मटर की, अरहर, कुटकी, धान की।
नेताओं के कपट, छलावे, लिखता दर्द...
राजकुमार धर द्विवेदी के ताटंक छंद
राजकुमार धर द्विवेदी के ताटंक छंदस्नेहलता बोस की टिप्पणी : ताटंक छंद पर दो शब्द
कविता में छंदों का बड़ा ही महत्त्व है। नई कवित्ता, अकविता...
राजकुमार धर द्विवेदी ‘विद्रोही’ की कलम से : ग़ज़ल , आल्हा छंद ...
राजकुमार धर द्विवेदी 'विद्रोही' की कलम से : ग़ज़ल , आल्हा छंद व् दोहेराजकुमार धर द्विवेदी 'विद्रोही' के " आल्हा छंद "ललित मानिकपुरी जी...