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सुधेश की रचनाएँ

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सुधेश की रचनाएँ  मेरे गीत आख़िर जीता प्यार ढोता है मन कितनी कुण्ठाओं का भार जीवन रण में मगर न मानेगा वह हार । तन का बोझ लिये काँधे...

सुधेश की पांच मौलिक कविताएँ

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  सुधेश की पांच कविताएँ 1.   छाया ज्यों ज्यों सूर्य चढ़ता गगन के विस्तार में वृक्ष छायाएँ सिकुड़ती जा रही हैं मध्याह्न  में लम्बे से लम्बे पेड़ की छाया बौनी हुई जैसे ज्ञान...

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