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प्रियंका की पांच कविताएँ
प्रियंका की पांच कविताएँ1. *खामोशियाँ*
चलो आज फिर मैं जला दूँ एक दिया
और तुम गुज़र जाना
वैसे ही लापरवाही से
बड़ा खामोश सा है वो मोड़
जहाँ से...
प्रियंका की पाँच कविताएँ
प्रियंका की पाँच कविताएँ एक
चलते चलते ठहरा था
बादल कोई कभी यूँ ही
कर गया नर्म ज़मी
सूखी सी पड़ी थी जो अब तक
ठहरना फितरत न सही
बंध के...