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प्रभात कुमार राय की कविता
प्रभात कुमार राय की कविताअंतः स्थल का प्रदूषणयह निरुत्तरित मौन
मर्मस्पर्शी प्रश्नों के जबाव में,
क्या कोलाहल नहीं मचा रहा
अंतर्मन की चहारदिवारियों में ?अनार्द्र और सूखी...
प्रभात कुमार राय की कविता : अंदर का दसकंधर
अंदर का दसकंधरअपने अंदर छिपे रावण को.
तभी तो दूर किसी मैदान में जाकर
रावण का रंगीन, ऊंचा पुतला बनाते हैं
और रिमोट से उसको जलाते हैं,
पटाखों...