Tag: डॉ. सौरभ मालवीय लेखक
आया बैसाखी का पावन पर्व
-डॊं सौरभ मालवीय -
बैसाखी ऋतु आधारित पर्व है. बैसाखी को वैसाखी भी कहा जाता है. पंजाबी में इसे विसाखी कहते हैं. बैसाखी कृषि आधारित...
उमंग का पर्व है होली
-डॊ. सौरभ मालवीय -होली हर्षोल्लास, उमंग और रंगों का पर्व है. यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इससे एक दिन...
भारतीय संस्कृति मेंमहिला दिवस पर विशेष : नारी कल, आज और कल
- डॉ.सौरभ मालवीय -
‘नारी’ इस शब्द में इतनी ऊर्जा है कि इसका उच्चारण ही मन-मस्तक को झंकृत कर देता है, इसके पर्यायी शब्द स्त्री, भामिनी, कान्ता आदि है, इसका...
भावी भारत, युवा और पण्डित दीनदयाल उपध्याय
- डाॅ0 सौरभ मालवीय -1947 में जब देष स्वतंत्र हुआ तो देष के सामने उसके स्वरूप की महत्वपूर्ण चुनौती थी कि अंग्रेजों के जाने...
वसंतोत्सव : प्रेम का पर्व
- डॉ . सौरभ मालवीय -प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में ऋतुओं का विशेष महत्व रहा है. इन ऋतुओं ने विभिन्न प्रकार से...
12 जनवरी राष्ट्रीय युवा दिवस पर विशेष : देश और समाज के उत्थान में...
-डॉ. सौरभ मालवीय - यूवा शक्ति देश और समाज की रीढ़ होती है. युवा देश और समाज को नए शिखर पर ले जाते हैं. युवा...
अटलजी, जिन्होंने कभी हार नहीं मानी
-डॉ. सौरभ मालवीय-टूटे हुए तारों से फूटे वासंती स्वर
पत्थर की छाती में उग आया नव अंकुर
झरे सब पीले पात
...
दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशती वर्ष पर विशेष : मानवता के कल्याण का विचार...
- डॉ. सौरभ मालवीय - मनुष्य विचारों का पुंज होता है और सर्व प्रथम मनुष्य के चित्त में विचार ही उभरता है। वही...
भारतीय समाज में भाषा का पासा और तथाकथित बुद्धिजीवियों का भम्र जाल
- डॉ. सौरभ मालवीय -भारतीय समाज में अंग्रेजी भाषा और हिन्दी भाषा को लेकर कुछ तथाकथित बुद्धिजीवियों द्वारा भम्र की स्थिति उत्पन्न की जा...
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आधारशिला पर खड़ा होता भारत
-डा.सौरभ मालवीय -
"राष्ट्र सर्वोपरि" यह कहते नहीं बल्कि उसे जीते है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी। पिछले कुछ दशकों में भारतीय जनमानस का मनोबल जिस प्रकार...