Tag: टिप्पणीकार निर्मल रानी
कल्पना कुमारी: एक बिहारी: सब पर भारी
- निर्मल रानी - हमारे देश में महिलाओं को लेकर समाज में पाया जाने वाला दोहरापन किसी से छुपा नहीं है। यह वही भारत महान...
धर्म उद्योग: हर्रे लगे न फिटकिरी
- निर्मल रानी -मई 2014 से पूर्व लोकसभा के चुनाव अभियान के दौरान सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी द्वारा ज़बरदस्त तरीके से पूरे देश में...
उपेक्षाओं के मध्य ‘दलित उड़ान’
- निर्मल रानी -हमारे देश के अधिकांश राजनैतिक दल,राजनेता तथा यहां का मीडिया आमतौर पर ‘इस्लामी आतंकवाद’,कश्मीरी अलगाववाद,सीमापार से होने वाली आतंकी घुसपैठ,घर वापसी,लव...
चुनावः राजनीति में स्वच्छता अभियान चलाने का शुभ अवसर
- निर्मल रानी -भारतीय गणतंत्र के कई प्रमुख राज्य अगले कुछ दिनों में विधानसभा के आम चुनावों से रूबरू होने जा रहे हैं। इन...
चुनाव भीड़ प्रबंधन – राज करने की एक कला ?
- निर्मल रानी -हमारा देश अपनी लोकतंात्रिक व्यवस्थाओं के प्रति कितना जागरूक है इसका अंदाज़ा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि...
आज की मुस्लिम महिलाएं और क़ाज़ी जी मजहबी ” बाज़ी “
- निर्मल रानी -
अपनी चिंता छोड़ पड़ोसी के विषय में ‘सामान्य ज्ञान’ हासिल करना, दूसरों के चरित्र या उसके कार्यकलापों की जानकारी रखना अथवा...
जन के मन की वह जाने और उनके मन की राम जाने
- निर्मल रानी -प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जबसे सत्तासीन हुए हैं तबसे उन्होंने जनता को संबोधित करने के लिए एक नई परिपाटी शुरु की है।...
दलित विरोधी मानसिकता और अंबेडकर प्रेम का ढोंग
- निर्मल रानी -
हमारे देश में ढोंग-ढकोसला करने और चाटुकारिता तथा आत्म मुग्धता जैसी फुज़ूल व निरर्थक बातों में समय गंवाने का प्रचलन बहुत...
उचित नहीं धार्मिक विषयों का राजनीतिकरण
- निर्मल रानी -हमारे देश में राजनेताओं द्वारा लोकलुभावन राजनीति किए जाने की शैली ने राजनीति का स्तर इतना गिरा दिया है कि अब...
प्रदूषण : लील जाएगा हमारी सेहत ?
- निर्मल रानी -
बीती दीपावली में एक बार फिर पूरे देश में ज़हरीली गैस वातावरण में फैलने का स्तर पहले से कई गुणा अधिक...