Tag: गंगा की बदहाली पर लेख
बदलती आबोहवा: क्यों चिंतित हो भारत ?
- अरुण तिवारी -
क्या जलवायु परिवर्तन का मसला इतना सहज है कि कार्बन उत्सर्जन कम करने मात्र से काम चल जायेगा या पृथ्वी पर...
कारसेवा का करिश्मा निर्मल कालीबेंई
-अरुण तिवारी -
होशियारपुर के धनोआ गांव से निकलकर कपूरथला तक जाती है 160 किमी लंबी कालीबंेई। इसेे कालीबेरी भी कहते हैं। कुछ खनिज के...
समीक्षा : पेरिस जलवायु समझौता – यह इश्क नहीं आसाँ
- अरुण तिवारी -किसी और नजरिए से हम पेरिस जलवायु समझौते के नफा-नुकसान की तलाश तो कर सकते हैं, किंतु यह नहीं कह सकते...
सूखा राहत राज बनाम स्वराज – सूखा राहत पैकेज के सुधार और सुझावों का...
- अरुण तिवारी -
यह बात कई बार दोहराई जा चुकी है कि बाढ़ और सुखाङ अब असामान्य नहीं, सामान्य क्रम है। बादल, कभी भी-कहीं...
10 दिसंबर-विश्व मानवाधिकार दिवस पर विशेष – मानवाधिकार के बहाने, जलाधिकार के मायने
- अरुण तिवारी -
क्या गजब की बात है कि जिस-जिस पर खतरा मंडराया, हमने उस-उस के नाम पर दिवस घोषित कर दिए! मछली, गोरैया,...
पंचायती राज व्यवस्था : आईने में अक्स देखने का वक्त
- अरुण तिवारी -
अपने नये पंचायती राज की उम्र 22 साल, सात महीने से कुछ दिन अधिक की ही हो गई है। आगे की...
आधी-अधूरी कोशिश से निर्मल नहीं होगी गंगा-यमुना
- अरुण तिवारी -नदी बंाध विरोधियों के लिए अच्छी खबर है कि देश की सबसे बङी अदालत ने दिल्ली सरकार को चेताया है कि...