Tag: कविता
कवि निहाल सिंह की ” नारी तुम तलवार उठा लो ” व अन्य कविताएँ
कवि निहाल सिंह की तीन कविताएँ
नारी तुम तलवार उठा लोऑंसू को अंगार बना लो,
नारी तुम तलवार उठा लो |अब नही राम जो ले आए,
सिया...
अविश्वास,वर्चस्व व विस्तारवाद है हर युद्ध का कारण
- तनवीर जाफ़री - आख़िरकार पिछले कई महीनों से रूस व यूक्रेन के मध्य चल रही युद्ध की दुर्भाग्यपूर्ण आशंका हक़ीक़त में बदल ही गयी।...
अनंत कन्फ्यूज्योलॉजी के राजडियटों को समर्पित कविता : आखिर वे क्या हैं ?...
डॉ डीपी शर्मा "धौलपुरी" की बारूदी कलम से कविता : आखिर मैं क्या हूं?
डॉ डीपी शर्मा "धौलपुरी" की बारूदी कलम से
वे मूर्ख तो हैं, मगर...
डॉ डीपी शर्मा “धौलपुरी” की बारूदी कलम से कविता : आखिर मैं क्या...
डॉ डीपी शर्मा "धौलपुरी" की बारूदी कलम से - आखिर मैं क्या हूं?
डॉ डीपी शर्मा "धौलपुरी" की बारूदी कलम से
मैं दार्शनिक हूं, लेकिन दार्शनिकता मेरे...
डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी की कविता : मोहब्बत की भी एक वैक्सीन
डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी की बारूदी कलम व संवेदना की स्याही से डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी
कौन लुटा है किसने लूटा है मोहब्बत के शहर में,मोहब्बत...
नववर्ष पर डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी की कविता : मैं आशाओं का शायर हूँ
बारूद की कलम एवम् संवेदना की स्याही से - डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी नववर्ष भोर की बेला में,मैं आशाओं का शायर हूँ।।
छू लेने को आतुर है...
कविता – मेरे हिस्से की भूख
- कवि : बृजमोहन स्वामी "बैरागी" -
मैं ही वह बदनसीब रास्ता
हूं जो इक कुर्ते में
सदियों तक छिपा रहा।
मुझे समझो "कविता",
बेज़ुबान गहरी रातें
धारणाओं को...
रितु झा की पांच कविताएँ
रितु झा की पांच कविताएँ १ पिंजरे का पंछी
पिंजरे मे कैद पंछी
गाते नहीं रोते है
फिर भी वो सुनकर
सभी खुश होते है...
छूते ही पिंजरे को
वो पंख...
रितु झा की कहानी “अदृश्य आश “
रितु झा की कहानी "अदृश्य आश "शिव कुमार झा टिल्लू की टिप्पणी : इस कथा के मर्म का दर्शन औऱ इसके गर्भ में छिपे वर्तमान...
रितु झा की कहानी ” उत्तरित प्रश्न “
रितु झा की कहानी " उत्तरित प्रश्न "शिव कुमार झा टिल्लू की टिप्पणी : मेरे हिसाब से यह एक समकालीन समस्या जो हमारे देश...