Tag: कमल जीत चौधरी की कविताएँ
कमल जीत चौधरी की कविताएँ
कमल जीत चौधरी की कविताएँलोकतंत्र
नीचे
चार बेतलवा
पंजीरी खाते लोकतंत्र के जूतों में हैं
छालों सने समाजवाद के पाँव
...
जूतों तले एक जैसे लोग
बनते भोग -
ऊपर
भोगी इन्द्रि एक
रूप...
कमल जीत चौधरी की पांच कविताएँ
कमल जीत चौधरी की पांच कविताएँ 1.वे लोग
वे लोग
घर में तैरती
मछलियाँ दिखाकर
डल झील सत्यापित करवाना चाहते हैं -
बर्फ को डिब्बों में बंद करके
वे आग लगाना...
कमल जीत चौधरी की कविताएँ
कमल जीत चौधरी की कविताएँ१ - चिट्ठियां
फोन पर लिखीं चिट्ठियां
फोन पर बांचीं चिट्ठियां
फोन पर पढ़ी चिट्ठियां
अलमारी खोलकर देखा एक दिन
बस कोरा और कोहरा था...