Tag: अशोक मिश्र का आलेख
satire : तो दुनिया के रिश्वतखोरों एक हो जाओ
-अशोक मिश्र -
काफी दिनों बाद उस्ताद गुनाहगार से भेट नहीं हुई थी। सोचा कि उनसे मुलाकात कर लिया जाए। सो, एक दिन उनके दौलतखाने...
satire : प्रभु जी! यात्रियों की आदत मत बिगाडि़ए…
-अशोक मिश्र- हद हो गई यार! हमारे रेलमंत्री को लोगों ने क्या पैंट्री कार का इंचार्ज, गब्बर सिंह या सखी हातिमताई समझ रखा है? जिसे...
व्यंग्य वाली चुटकी : भुक्खड़ नहीं होते ईमानदार
-अशोक मिश्र -
केजरी भाई लाख टके की बात कहते हैं। अगर आदमी भूखा रहेगा, तो ईमानदार कैसे रहेगा? भुक्खड़ आदमी ईमानदार हो सकता है...
व्यंग्य वाली चुटकी : सेल्फी वाला पत्रकार नहीं हूं
- अशोक मिश्र -
घर पहुंचते ही मैंने अपने कपड़े उतारे और पैंट की जेब से मोबाइल निकालकर चारपाई पर पटक दिया। मोबाइल देखते ही...