Tag: अनेकवर्णा की तीन कविताएँ
अनेकवर्णा की तीन कविताएँ
अनेकवर्णा की तीन कविताएँ1.सपने
बीती रात के सपने
कासनी.. बैंजनी
धूमिल.. औ' चटकीले..
बहते ही रहे..कांच के टूटते झरने..
किश्तों में उगते..बारी-बारी कहते
अपनी कह, जल उठते..
किस्सों के जंगल
हर किस्से...