1. आखिरी में सुमन तुझको रोना ही है
तेरी पलकों के नीचे ही घर हो मेरा
घूमना तेरे दिल में नगर हो मेरा
बन लटें खेलना तेरे रुखसार पे
तेरी जुल्फों के साये में सर हो मेरामौत से प्यार करना मुझे बाद में
अभी जीना है मुझको तेरी याद में
तेरे दिल में ही शायद है जन्नत मेरी
दे जगह मै खड़ा तेरी फरियाद मेंमानता तुझको मेरी जरूरत नहीं
तुमसे ज्यादा कोई खूबसूरत नहीं
जहाँ तुमसे मिलन वैसे पल को नमन
उससे अच्छा जहां में मुहूरत नहींजिन्दगी जब तलक प्यार होना ही है
यहाँ पाने से ज्यादा तो खोना ही है
राह जितना कठिन उतने राही बढे
आखिरी में सुमन तुझको रोना ही है
2.घर मेरा है नाम किसी का
घर मेरा है नाम किसी का
और निकलता काम किसी कामेरी मिहनत और पसीना
होता है आराम किसी काकोई आकर जहर उगलता
शहर हुआ बदनाम किसी कागद्दी पर दिखता है कोई
कसता रोज लगाम किसी कालाखों मरते रोटी खातिर
सड़ता है बादाम किसी काजीसस, अल्ला जब मेरे हैं
कैसे कह दूँ राम किसी कासाथी कोई कहीं गिरे ना
हाथ सुमन लो थाम किसी का
3. जीवन है श्रृंगार मुसाफिर
जीवन पथ अंगार मुसाफिर,
खाते कितने खार मुसाफिर
जीवटता संग होश जोश तो,
बांटो सबको प्यार मुसाफिरदुखिया है संसार मुसाफिर,
नैया भी मझधार मुसाफिर
आपस में जब हाथ मिलेंगे,
होगा बेडा पार मुसाफिरप्रेम जगत आधार मुसाफिर,
फिर काहे तकरार मुसाफिर
संविधान ने दिया है सबको,
जीने का अधिकार मुसाफिरकरते जिसको प्यार मुसाफिर,
देता वो दुत्कार मुसाफिर
फिर जाने कैसे बदलेगा,
दुनिया का व्यवहार मुसाफिरकहती है सरकार मुसाफिर,
जाति धरम बेकार मुसाफिर
मगर लडाते इसी नाम पर,
सत्ता-सुख साकार मुसाफिरखुद पे कर उपकार मुसाफिर,
जी ले पल पल प्यार मुसाफिर
देख जरा मन की आंखों से,
जीवन है श्रृंगार मुसाफिरचाहत सबकी प्यार मुसाफिर,
पर दुनिया बीमार मुसाफिर
प्रेमी सुमन जहाँ दो मिलते,
मिलती है फटकार मुसाफिर
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श्यामल किशोर झा
लेखकीय नाम : श्यामल सुमन
वर्तमान पेशा : प्रशासनिक पदाधिकारी टाटा स्टील, जमशेदपुर, झारखण्ड, भारत
साहित्यिक कार्यक्षेत्र : छात्र जीवन से ही लिखने की ललक, स्थानीय ,समाचार पत्रों सहित देश के प्रायः सभी स्तरीय पत्रिकाओं में अनेक समसामयिक आलेख समेत कविताएँ, गीत, ग़ज़ल, हास्य-व्यंग्य आदि प्रकाशित
स्थानीय टी.वी. चैनल एवं रेडियो स्टेशन में गीत, ग़ज़ल का प्रसारण, कई राष्ट्रीय स्तर के कवि-सम्मेलनों में शिरकत और मंच संचालन अंतरजाल पत्रिका “अनुभूति,हिन्दी नेस्ट, साहित्य कुञ्ज, साहित्य शिल्पी, प्रवासी दुनिया, प्रवक्ता, गर्भनाल, कृत्या, लेखनी, आखर कलश आदि मे अनेकानेक रचनाएँ प्रकाशित गीत ग़ज़ल संकलन “रेत में जगती नदी” – (जिसमे मुख्यतया मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं पर आधारित रचनाएँ हैं) प्रकाशक – कला मंदिर प्रकाशन दिल्ली , “संवेदना के स्वर” – कला मंदिर प्रकाशन में प्रकाशनार्थ , “अप्पन माटि” – मैथिली गीत ग़ज़ल संग्रह – प्रकाशन हेतु प्रेस में जाने को तैयार
सम्मान –
पूर्व प्रधानमंत्री माननीय अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा प्रेषित प्रशंसा पत्र -२००२ , साहित्य-सेवी सम्मान – २०११ – सिंहभूम जिला हिन्दी साहित्य सम्मलेन , मैथिल प्रवाहिका छतीसगढ़ द्वारा – मिथिला गौरव सम्मान २०१२
नेपाल के उप प्रधान मंत्री द्वारा विराट नगर मे मैथिली साहित्य सम्मान – जनवरी २०१३ ,अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी सम्मेलन संयुक्त अरब अमीरात में “सृजन श्री” सम्मान – फरवरी २०१३
Email ID – shyamalsuman@gmail.com phone – : 09955373288
अपनी बात – इस प्रतियोगी युग में जीने के लिए लगातार कार्यरत एक जीवित-यंत्र, जिसे सामान्य भाषा में आदमी कहा जाता है और जो इसी आपाधापी से कुछ वक्त चुराकर अपने भोगे हुए यथार्थ की अनुभूतियों को समेट, शब्द-ब्रह्म की उपासना में विनम्रता से तल्लीन है – बस इतना ही।