– डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी –
हाय फ्रेन्ड्स! मैं एक लिंक शेयर करने के पूर्व कमेण्ट्स लिखना चाहता हूँ। अब समझ में नहीं आ रहा है कि क्या लिखूँ? बहरहाल! यह जानिए कि मैं एक बड़ा राइटर हो गया हूँ। भला क्यों न होऊँ- बड़े से बड़े, छोटे से छोटा प्रकाशन मेरे लेखों को छापने जो लगा है। अब आप को क्या समझाऊँ- चूँकि आप मेरे फेसबुक फ्रेन्ड्स हैं तो जाहिर सी बात है कि हमारे शेयर पर अपना विचार तो देंगे ही। वो क्या है…………अब तो ऐसा करना एक आम रिवाज हो गया है। हाथ में एण्ड्रॉयड फोन उसमें इन्टरनेट पैक लोड- आप की निगाहें व्हाट्स-एप, एफ.बी. पर। काम न धाम बस मोबाइल फोन से लगाव……..वाह-गजब।
ऐसा देखकर कौन कह सकता है कि हमारा भारत विकसित देश न होकर विकासशील है। मुझ जैसा व्यक्ति भी सहज अन्दाजा लगा लेगा कि- दो चार वर्षों में देश ने पूर्व के विकसित देशों की श्रृंखला में प्रथम स्थान हासिल कर लिया है। हमारा देश विकसित देश है। यह मैं दावे के साथ कह सकता हूँ। देखिए खुसुर-फुसुर छोड़िए- भारत में गरीबी नहीं वो तो दिखावे के लिए गरीबों को मंत्राणी जी (मंत्री जी की धर्मपत्नी) कम्बल बाँट कर आगामी दिनों में सत्ता शीर्ष पर पहुँचना चाहती हैं। सत्ता से बढ़िया कोई व्यवसाय नहीं- देश के कई घरानों में सत्ता परिवारवाद के रूप में पनप और हस्तान्तरित हो रही है।
देखो डियर मुझे कोई मलाल नहीं कि ठिठुरता हुआ सर्द रातें काट रहा हूँ और उधर मंत्राणी जी गरीबों में कम्बल बांट कर अपना एक नया मार्ग प्रशस्त करने की जुगत में हैं। यह भारत देश बड़ा महान है- जब तक आप के पास विकलांग होने के बावजूद सी.एम.ओ. द्वारा प्रदत्त प्रमाण-पत्र न हो तब तक आप को किसी भी प्रकार की इमदाद नहीं मिल सकती है। ठीक उसी तरह मंत्री जी एण्ड फेमिली के पास अपने गरीब होने का सर्टीफिकेट मुझे भिजवा देना चाहिए था- हो सकता है कि जातिवाद से ऊपर उठकर मंत्री और मंत्राणी महोदया मुझे भी एक कम्बल दे देती फिर उसकी फोटो फेसबुक पर शेयर हो जाती।
चलिए कोई बात नहीं–तो मैं कह रहा था कि मेरा भारत महान है जी हाँ जनाब यदि आप किसी के सामने खड़े हैं और जीवित हालत में हैं तो उसे विश्वास नहीं होगा इसके लिए आप को शपथ-पत्र नहीं सरकारी प्रमाण-पत्र कि ‘‘मैं जीवित हूँ’ देना होगा- तभीं काम बनेगा वर्ना…….हवा खाओ। मित्रों! मैं कुछ कह रहा था पता नहीं क्यों विषयान्तर हो गया। ऐसा मेरे ही साथ होता है चूँकि मैं ग्लोबल और वर्ल्ड क्लास का राइटर नहीं हूँ इसलिए बातें घुमा-फिराकर नहीं लिख पाता हूँ। खैर! बीते दिवस पंचायत चुनाव सम्पन्न हो गया। जिले की बड़ी पंचायत का मतदान होना था- बड़ी गहमा-गहमी सुनने को मिल रही थी। पूँछिए मत मतगणना के समय पासा ही पलट गया। पी.सी. सरकार, ए.सी. सरकार, मदनकुण्डू का जादू भी फेल हो गया। जिसका हल्ला ज्यादा था वह हार गया और कमतर शोर-शराबे वाला प्रत्याशी जिले का प्रथम नागरिक बन गया। हाकिम के घर-परिवार के लोग लपेटे हुए बिस्तर को फिर से खोलकर रात में चैन की नींद सोए। प्रातः कालीन अखबारों में अटकलों को धता बताने वाली कोई ऐसी खबर नहीं थी कि ‘हाकिम’ का तबाददला हो गया। क्या समझे? हमारे जिले के हाकिम तो माहिर बंगाली जादूगरों को भी मात करने वाले आइटम पेश कर सत्तापक्षीय लोगों के कोप से मुक्ति पा चुके थे।
नोट- यह बात मुझे बजरिए समाचार ज्ञात हुई कि हारने वाले पक्ष ने ऐसा आरोप हाकिम एण्ड हिज टीम पर लगाया है वर्ना अपने राम को यह सब बातें बकवास ही लगी हैं।
जिले की पंचायत अध्यक्ष पद पर विराजमानो ने हर सदस्य को (जिसने उनके पक्ष में वोट किया) 50 लाख कैश या फिर एक फार्चूनर गाड़ी अथवा दोनों ही देने का वादा किया था। यह बात राजनीति मे काफी गहराई तक घुसे एक जानकार ने बताई। यानि कि जिले का प्रथम नागरिक कहलाने/बनने के लिए करोड़ों की ‘‘गैम्बलिंग’’ करनी पड़ती है। अपने राम बस यह सब सुन और सोचकर ही कथरी में टाँगे सिकोड़े ठण्ड से बचने का असफल प्रयास करते हुए नींद लाने का उपक्रम करते रहते हैं।
हाय फ्रेन्ड्स! हाउ एम आइ लुकिंग……….? आप फेसबुक पर मुझे देखकर क्या सोचने लगे……..? सोचिए मत! बस मेरी पिक्चर को लाइक करके कुछ लिख डालिए ना प्लीज………जैसे- वे………..री……निक, वाऊ…………आई……….लव………यू……….। वाह………बहुत……..खूब……..। बड़ा अच्छा लगता है जब मुझे आप की अंग्रेजी पढ़ने को मिलती है। यह सब देखकर तो मुझे बड़ा दुःख होता है कि- काश फेसबुक और व्हाट्सएप का आविष्कार बहुत पहले हो गया होता तो अंग्रेज 1947 के पूर्व ही हमारा देश छोड़कर भाग गए होते और क्रान्तिकारियों को इतनी कुर्बानियाँ नहीं देनी पड़ती। बस आप जैसे फ्रेन्ड्स की अंग्रेेजी जब वाइरल होती तब फिरंगी अपना सिर धुनते- यही नहीं इस लाइलाज बीमारी से बचने के लिए वह सैकड़ों वर्ष पूर्व ही ‘इण्डिया’ को क्विट कर गए होते। ………….आप अपना काम जारी रखो………..फिकर नॉट हम सब उसे झेलने के लिए ही फ्रेन्ड बने हैं- बरदाश्त के बाहर होने पर अनफ्रेन्ड हो जाएँगे या फिर अपना एफ.बी. एकाउण्ट ही ब्लॉक कर देंगे।
डियर फ्रेन्ड्स! आप के लिए बस इतना ही। वो क्या है कि मेरा लंगोटिया यार सुलेमान हाथ के इशारे से लिखना बन्द करने को कह रहा है। फिर भी लिंक शेयर करने के पूर्व अपना कमेण्ट लिख दूँ- मित्रों मेरी इस बकवास को ग्लोबल अनफिट नान पब्लिकेशन ने प्रमुखता से स्थान दिया है। कृपया इसे देखें-पढ़े और अपने-अपने तरीके से कमेण्ट्स देकर बकवास लिखने के लिए उत्साहबर्धन करें। आप का पुराना फ्रेन्ड- कलमघसीट बकलम खुद………।
__________________________
डॉ. भूपेन्द्र सिंह गर्गवंशी
वरिष्ठ पत्रकार व् टिप्पणीकार
रेनबोन्यूज प्रकाशन में प्रबंध संपादक
संपर्क – bhupendra.rainbownews@gmail.com, अकबरपुर, अम्बेडकरनगर (उ.प्र.) मो.नं. 9454908400
##**लेख में व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं और आई.एन.वी.सी का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं।