सज्जन शक्ति संघ में आये और साथ मिलकर कार्य करे : सुनील कुलकर्णी
संघ के शारीरिक एवं घोष का प्रकटोत्सव का आयोजन, 200 से अधिक स्वयंसेवकों ने किया प्रदर्शन
आई एन वी सी न्यूज़
भोपाल ,
मुख्य वक्ता श्री सुनील कुलकर्णी ने कहा कि संस्कारित व्यक्ति के द्वारा राष्ट्रनिर्माण यह संघ का उद्देश्य है। संघ की दैनिक शाखा पर गीत, सुभाषित, वीर गाथाओं, गीत इत्यादि के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य किया जाता है। उन्होंने कहा कि जो स्वयं के कर्तव्य को जानता है, उसे नर कहते हैं। वहीं, जो अपने कर्तव्य को नहीं जानता या जान कर भी दूसरों को पीड़ा देने का कार्य करता है, उसे नराधम कहते हैं। जबकि जो अपने कर्तव्य को जनता है और अपने स्वार्थ को छोड़कर समाज के लिए जीता है, उसे नरोत्तम कहते हैं। चौथा प्रकार है- नारायण। जो अपने बारे में विचार ही नहीं करता बल्कि अपना समूचा जीवन दूसरों की चिंता में लगा देता है, उसे नारायण कहते हैं। संघ की शाखा में नर से नारायण बनाने का प्रयास किया जाता है। उन्होंने कहा कि संघ ने अपनी अब तक की यात्रा में ऐसे अनेक कार्यकर्ता तैयार किये जो मानव सेवा के लिए समर्पित हैं।
उन्होंने कहा कि देश की प्रगति के लिए समाज की सज्जनशक्ति को जगाना है। वर्तमान समय में भी ऐसी ताकतें सक्रिय हैं जो देश के टुकड़े करने का सपना देखती हैं। सज्जनशक्ति जाग्रत होगी तो ऐसी ताकतें सफल नहीं होंगी। उन्होंने सज्जनशक्ति से आग्रह किया कि वह संघ में आये और साथ में मिलकर कार्य करे। उन्होंने कहा कि संघ हिन्दू समाज के संगठन का प्रयास करता है। हिन्दू से अभिप्राय, इस देश में जन्मा व्यक्ति, जो इस देश की संस्कृति को अपना मानता है। उन्होंने कहा कि हिन्दू कभी साम्प्रदायिक नहीं होता। हिन्दू समाज के जागरण से एक परिवर्तन आया है। अभी तक हिन्दू को सांप्रदायिक कहने वाले लोग भी स्वयं को हिन्दू बता रहे हैं। स्वयं को सच्चा हिन्दू बताने की होड़ लग गई है। उन्होंने कहा कि आज हिन्दू कहने में गर्व की अनुभूति होने लगी है।
उन्होंने कहा कि आरएसएस को समझना है तो संघ के नज़दीक आना होगा। जो विरोधी संघ के बारे में मिथ्या प्रचार कर रहे हैं, उन्हें समाज की सज्जनशक्ति की ओर से संघ को समर्थन देकर सटीक उत्तर दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि संघ कभी भी समाज को निराश नहीं करेगा। संघ सदैव युवाओं का संस्कार करने का कार्य करता रहेगा।
इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सेवानिवृत्त मेजर जनरल डॉ. पीएन त्रिपाठी ने कहा कि संघ का उद्देश्य है चरित्र निर्माण और देश सेवा। भारतीय सेना का भी यही उद्देश्य है। चरित्र निर्माण के लिए मन एवं वचन में एकरूपता होनी चाहिए। नये परिवर्तनों को ध्यान में रखकर संघ को युवा पीढ़ी को सही दिशा देने का काम भी करना चाहिए। संघ विश्व की सबसे बड़ी सांस्कृतिक संस्था है। संघ के अनुशासन का लोहा विश्व मानता है। उन्होंने कहा कि भारत में सबके लिए पांच वर्ष का सैन्य प्रशिक्षण होना चाहिए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में समाज के प्रबुद्ध नागरिक उपस्थित रहे।