– प्रभात कुमार राय –
हिन्दी काव्य जगत को अपने शंख-र्निघोष से निनादित करनेवाले राष्ट्रकवि दिनकर सिर्फ कविताओं के माध्यम से आग्नेय विस्फोट नहीं करते थे वरन् देश के आजाद होने के बाद उनकी राष्ट्रीय चेतना नये उत्तरदायित्व के रूप में आम जनों के सामाजिक सरोकारों के मुद्दों को तर्कपूर्वक एवं प्रभावी ढंग से उठाते थे। बहुत कम लोगों को पता होगा कि सूर्य (ऊर्जा का श्रोत) के पयार्यवाची अग्निकिरीटी दिनकर पचास की दशक में उत्तरी बिहार में बिजली की घोर अनुपलब्धता से मर्माहत होकर बरौनी थर्मल पावर स्टेशन को सर्वोच्च प्राथमिकता पर स्थापना हेतु राज्य सभा में सांसद की हैसियत से पुरजोर वकालत की थी।
परिणामस्वरूप, खारिज होने के कगार पर बरौनी थर्मल पावर स्टेशन की परियोजना का प्रस्ताव स्वीकृत हूआ और इस परियोजना को मूर्त रूप मिला। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप दिनांक 26.1.1960 को बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री, डा0 श्री कृष्ण सिंह द्वारा इस महत्वपूर्ण परियोजना का शिलान्यास किया गया।
स्वाभाविक है ‘प्रकाश का प्रवाह आ रहा दिगंत फोड़ के!’, ‘जलती घुला न यह निर्वापित दीप जला’, ‘दीपक जो नहीं जलाता है, रोशनी नहीं वह पाता है‘, ‘रश्मियाँ अपनी निचोड़ो ज्योति उज्ज्वल दो‘, ‘दिल्ली में ज्योति की चहल-पहल पर भटक रहा है सारा देश अंधेरे में’, आदि ऊर्जावान पंक्तियों के रचयिता को उत्तरी बिहार में बिजली की भीषण समस्या काफी उद्वेलित किया होगा। प्रस्तुत है राष्ट्रकवि दिनकर का दिनांक 4.3.1958 को राज्य सभा में दिये गये भाषण का अंशः
“श्रीमान् उपाध्यक्ष जी,
बजट पर होने वाली सामान्य बहस के सिलसिले में मुझे दो-एक जरूरी बातें कहनी है…..
उत्तर बिहार में जहाँ गंगा का पुल बन रहा है, वहाँ पर सरकार ने थर्मल पावर स्टेशन बनाने की स्कीम रखी थी, लेकिन सुना है अब वह स्कीम बंद कर दी गयी है या ठप्प कर दी गयी है। आज ही मैंने ‘टाइम्स आॅफ इंडिया‘ में एक लंबी सूची पढ़ी है जो अर्थ उप-मंत्री ने निकाली है। उसमें यह बताया गया है कि किन-किन योजनाओं को प्रायोरिटी दी जायगी। उसको देखकर मुझेे हैरत हुई कि उत्तर बिहार के थर्मल पावर स्टेशन का नाम उसमें नहीं है। मैं जानना चाहता हूँ कि इस योजना के लिए फाँरेन एक्सचेंज रिलीज क्यों नहीं किया जाता है? मैं आपको थोड़े में इस स्कीम की आवश्यकता बताता हूँ। उत्तर बिहार का रकबा 21 हजार वर्गमील है। उसकी आबादी 1 करोड़ 32 लाख है। मैं समझता हूँ यह आबादी आसाम की आबादी से अधिक है। उड़ीसा से अधिक है, केरल से अधिक है, सीलोन से अधिक है। लेकिन इतने लोगों के लिए पूरे उत्तर बिहार में जो बिजली का कुल इंसटालेशन है, वह सिर्फ 8000 किलोवाट है और उसमें भी 5000 किलोवाट डीजल तेल से तैयार किया जाता है। आशा की गयी थी कि यह थर्मल पावर स्टेशन बन जायगा तब उसी से पहले के इंस्टोलशन को भी शक्ति दी जायगी, लेकिन इसके ठप्प हो जाने से भारी विपत्ति खड़ी हो गयी।
दक्षिण बिहार में भी उतने ही लोग हैं जितने लोग उत्तर बिहार में बसते है। लेकिन जब कि उत्तर बिहार मेें पूरा इंस्टालेशन केवल 8000 किलोवाट है, तब दक्षिण बिहार में 6 लाख किलोवाट है। यही नहीं, बोकारो में 75000 बिजली का अतिरिक्त प्रबंध होनेवाला है, और उसके लिए फाँरेन एक्सचेंज रिलीज किया जा चुका है। इसी प्रकार दुर्गापुर के लिए भी 2 लाख 30 हजार किलोवाट की मंजूरी दी जा चुकी है, उसके लिए भी फाँरेन एक्सचेंज रिलीज किया जा चुका हैं। कोसी योजना से हम 15000 किलोवाट की उम्मीद लगाये हुए थे, लेकिन वह चीज भी अब ठप्प कर दी गयी है। इसीलिए मेरी प्रार्थना है कि उत्तर बिहार की इस आवश्यकता को देश की प्रायोरिटी नम्बर-1 में रखना चाहिए। यदि फाँरेन एक्सचेंज की कठिनाई हो तो मैं यह भी कहता हूँ कि बिहार की दूसरी योजनाओं को स्क्रैप कर दीजिए, उनको रोक रखिए, लेकिन बरौनी के थर्मल पावर स्टेशन को जल्दी बनना चाहिए और उसके लिए फाँरेन एक्सचेंज तुरन्त रिलीज होना चाहिए।“
बी0टी0पी0एस0 में 3ग15 मेगावाट इकाईयाँः एक झलक
3ग15 मेगावाट की इकाईयों की आपूर्ति, अधिष्ठापन तथा कमिशनिंग मेसर्स इन्वेस्ट इम्पोर्ट, बेनेग्रेड युगोस्लाविया द्वारा अमेरीकी वित्तीय सहायता से टर्न-की आधार पर किया गया था। ब्यायलर की आपूर्ति एल0एण्डसी0 स्टनेमुलर, पश्चिमी जर्मनी द्वारा किया गया था। अन्य महत्वपूर्ण उपकरणों की आपूर्ति तीन अन्य विदेशी आपूर्तिकत्र्ताओं, टर्मोडेक्ट्रों (बेनेग्रेड), रेड कोनार (जाग्रेब) तथा जुकोटरबिना (बेनेग्रेड) द्वारा किया गया था। सिविल इंजीनयरिंग डिजाइन एवं निर्माण तथा इलेक्ट्रिकल एवं यांत्रिक इंजीनयरिंग के डिजाइन हेतु तत्कालीन अन्र्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध फिलाडेलिफिया के मेसर्स कुलिजियान कारपोरेशन की सेवा कानसलटेन्ट के तौर पर भी गयी थी। प्रथम 15 मेगावाट की इकाई दिनांक 20.10.1963 को कमीशन हुई थी। उसके बाद क्रमशः दिनांक 16.11.1963 तथा 26.11.1963 को अन्य दो इकाईयों का कमिशनिंग सफलतापूर्वक किया गया। उस समय इन तीनों इकाईयों के अधिष्ठापन का कुल लागत 6.7 करोड़ रूपया था। कालान्तर में दिनांक 16.12.1983, 5.10.1985 तथा 26.11.1985 को तीनों इकाईयों को तकनीकी तौर पर कालग्रस्त (वनजकंजमकद्ध होने, स्पेयर पार्टस की अनुपलब्धता एवं अत्यल्प दक्षता ( efficiency ) के कारण केंद्रीय विधुत्तीय अधिकरण द्वारा रिटायर कर दिया गया।
कहा जाता है कि राष्ट्रकवि के तर्कपूर्ण एवं जोरदार पहल पर तत्कालीन प्रधानमंत्री, नेहरूजी, जिनके हृदय में दिनकर जी के लिए काफी सम्मान था, ने अविलंब हस्तक्षेप कर वांछित फाँरेन एक्सचेंज को रिलीज करवाया जिससे 15 मेगावाट की यूगोस्लाविया वाली तीन यूनिटों का निर्माण संभव हो सका। अपनी जन्म भूमि सिमरिया के पाश्र्व में स्थित बरौनी थर्मल स्थित पावर स्टेशन के कमिशनिंग के बाद भी राष्ट्रकवि का इससे काफी लगाव रहा। अपनी दैनंदिनी ‘दिनकर की डायरी’ में उन्होंने बरौनी थर्मल पावर स्टेशन के अतिथिशाला में नामचीन साहित्यकारों, जो उनसे मिलने उनके गाँव आते थे, के ठहरने की चर्चा भी की है।
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प्रभात कुमार राय
मुख्यमंत्री, बिहार के ऊर्जा सलाहकार
Former Chairman of Bihar State Electricity Board & Former Chairman-cum-Managing Director Bihar State Power (Holding) Co. Ltd. . Former IRSEE ( Indian Railway Service of Electrical Engineers ) . Presently Energy Adviser to Hon’ble C.M. Govt. of Bihar . Distinguished Alumni of Bihar College of Engineering ( Now NIT , Patna ) Patna University. First Class First with Distinction in B.Sc.(Electrical Engineering). Alumni Association GOLD MEDALIST from IIT, Kharagpur , adjudged as the BEST M.TECH. STUDENT.
Administrator and Technocrat of International repute and a prolific writer . His writings depicts vivid pictures of socio-economic scenario of developing & changing India , projects inherent values of the society and re-narrates the concept of modernization . Writing has always been one of his forte, alongside his ability for sharp, critical analysis and conceptual thinking. It was this foresight and his sharp and apt analysis of developmental processes gives him an edge over others.
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