कविताएँ
1. काव्य प्रेरणा
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काव्य प्रेरणा
लहरों सी बहती
कौशल और जुनून
खेलते भाव
प्रत्येक शब्द है
भाग्य के धागे में गूँथे
एक पतंग की तरह अशांत
सहजता की ओर अग्रसर
व्यस्त ऊंचाइयों के खिलाफ
भावावेग और भाग्य…..’बैरागी’
2. मेरी कविता की खंडित रूपरेखा
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एक खाली पृष्ठ पर
मेरी कविता की
खंडित रूपरेखा
असंबद्ध विचार
बासी बयानबाजी
दम घुट रहा है, जबकि
एक गवाह
खोया किनारा
समय सागर के पार
भाग्य की बांहों में
खुद की तलाश में
अविवेचित परिधि से निकल
यथार्थ के धरातल पर
स्वतंत्र फ़कीरी लिए
अपनी काव्य यात्रा पर
निरंतर यायावर….’बैरागी’
3. एक ठिठकती सी सुबह
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किसी रात
दिन के इंतज़ार में
मुद्दत से बैठा रहा
तभी
एक ठिठकती सी
सुबह
तुम
खुद में खोई
सूनी राहों से
गुज़रती
घुल गई
सांसों की तरह
दो पल को
मेरी सांसों में
मुस्कुराहट
जो आजतक ठहरी है
मेरे लबों पर
भ्रम कहाँ है
जैसी तुम हो
कुछ कुछ वैसा मैं हूँ
और वैसा ही प्रेम है
और गर
कहीं तुम चली जाओगी
तो पीछे रह जायंगे
गीले सपने
अनन्त रातें
तुम्हारे बिना
क्षणभंगुर यादें…..’बैरागी’
4. पृष्ठों की श्रृंखला
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शायद मैं हूँ
बहुत से पृष्ठों से बना
हर रोज फाड़ रहा हूँ
मेरे दिल से
पृष्ठों की श्रृंखला
जिन पृष्ठों में मैंने जीवन जिया था कभी
अब शेष कुछ शब्दों के साथ
मैं सिर्फ सांस लेने की कोशिश कर रहा हूँ
फिर से
हो सकता है कि मैं रोता हूँ
लेकिन कोई नहीं देखता
शब्द सब जानते हैं
मुझे पहचानते हैं
वे मेरे आँसू सोखकर
छंद से चमकते हैं
शब्द
बस शब्द
कभी कभी विरोध कर
वापस लौटते हैं अराजक बन
मुझमें मेरे मौन को मारने के लिए…..’बैरागी’
5. क्षितिज सी हलचल लिए
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इरादे के साथ, धीमी गति से
स्थिर, लय के साथ
क्षितिज सी हलचल लिए
मैं खड़ा हूं
किनारे पर
अदृश्य सीमा के
हम संपर्क में है
और मुझे पता है
मेरा उद्देश्य
तुम्हारे साथ रहने के लिये
कई टुकड़ों में
जीवन
खुशी के क्षण
आगे निकलते
गले लगाते
ताजा पेज
रिक्त कुरकुरा
लिखे जाने के लिए इंतजार में …’बैरागी’
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डॉ. विवेक सिंह
शिक्षक, स्वतंत्र लेखक, कवि
डॉ. विवेक सिंह पेशे से शिक्षक, स्वतंत्र लेखक, कवि और वेब विश्लेषक हूँ। कवितायेँ लिखना, समसामयिक लेखन, हमेशा कुछ नया करते रहना, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर लिखना, मानव सह-अस्तित्व के लिए कार्य करना। कई समसामयिक मुद्दे मन को उद्वेलित करते हैं मेरा प्रयास, मेरा लक्ष्य इन मुद्दों को अभिव्यक्ति देना है। कविता है कवि की आहट उसके जिंदा रहने की सुगबुगाहट उसके सपने उसके आँसू उसकी उम्मीदें उसके जीने के शाब्दिक मायने …लेखन और कविता मेरे इन्हीं विचारों और दृष्टिकोण की अभिव्यक्ति है जो देश-परिवेश और समाज-दुनिया में हो रही घटनाओं और परिस्थितियों से उपजते हैं।
पत्रकारिता एवं जनसंचार में स्नात्तकोत्तर और पीएच-डी.| “हिंदी पत्रकारिता और भूमंडलीकरण की भूमिका” विषय पर शोध प्रबंध तथा विभिन्न प्रिंट पत्रकारिता और इलेक्टॉनिक मीडिया संबंधी शोध कार्य। प्रतिष्ठित समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में नियमित लेख एवं कविताएं प्रकाशित | बस इसी बहुरंगी जिन्दगी की कुछ रंगों को समेटे टूटे फूटे शब्दों में लिखता हूँ …. “यादें ही यादें जुड़ती जा रही हैं, हर रोज एक नया फलसफा जिन्दगी से जुड़ता जा रहा है….चलिए आप और हम साथ साथ चलते।
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