– तनवीर जाफ़री –
परन्तु बार बार धर्मगुरुओं से हो रहे टकराव व उन्हें मिलने वाली धमकियों के बीच वे अपनी प्रतिरक्षा की ख़ातिर बड़ी ही आसानी से इस्लाम व मुस्लिम विरोधी ताक़तों के हाथों का खिलौना बन गये। एक के बाद एक उनके कई ऐसे बयान आने लगे जिसे सुनकर यह आसानी से समझा जा सकता है कि वे इस्लाम विरोधी शक्तियों के हाथों का खिलौना बन चुके हैं। अपने बयानों के चलते रिज़वी कई बार विवादों में घिरे हैं और उन पर इस्लाम-विरोधी होने का आरोप भी लगा है। इस्लामी धर्मगुरुओं द्वारा उन्हें इस्लाम से खारिज़ भी कर दिया गया । कभी उन्होंने बाबरी मस्जिद ‘ढांचे’ को हिन्दुस्तान की धरती पर कलंक बताया तो कभी देश की नौ विवादित मस्जिदों को हिंदुओं को सौंपने जैसा बयान दिया। कभी उन्होंने चांद तारे वाले हरे झण्डे को इस्लामी झण्डे के रूप में प्रयोग करने पर आपत्ति जताई,तो कभी मदरसों को आतंकी ट्रेनिंग का गढ़ बताया,उन्होंने मदरसों को बंद करने की बात भी कही, मुसलमानों को उन्होंने जनसंख्या बढ़ोत्तरी का ज़िम्मेदार बताया। और कुछ समय पूर्व तो उनके भीतर इस्लाम के प्रति द्वेष इस हद तक नज़र आया कि उन्होंने इसी वर्ष मार्च महीने में क़ुरआन शरीफ़ की 26 आयतों को विवादित बताते हुये इन्हें क़ुरआन से हटाने के लिए उच्चतम न्यायलय में जनहित याचिका तक डाली। हालांकि उच्चतम न्यायलय ने उनकी याचिका ख़ारिज कर दी और उनपर जुर्माना भी लगाया। उनका कहना था कि क़ुरआन की इन आयतों से आतंकवाद को बढ़ावा मिलता है।
अपने ‘मुसलमान ‘ होने के अंतिम दिनों में पिछले दिनों उन्होंने पैग़ंबर हज़रत मुहम्मद पर ‘मोहम्मद ‘ नमक एक ऐसी पुस्तक लिखी जिसे लेकर इस्लामी जगत में उनका विरोध और भी मुखर हो गया। देश में कई जगह उनके विरुद्ध प्रदर्शन हुए,उनके पुतले जलाये गये और कई जगह पुलिस रिपोर्ट भी दर्ज की गयी। ज़ाहिर है जो वसीम रिज़वी भ्रष्टाचार के गंभीर मामलों में शामिल थे और जिन्हें मौलवियों व उनके समर्थकों द्वारा धमकाया,डराया व निशाना बनाया जा रहा था उन्होंने अचानक इस्लाम व इस्लामी मान्यताओं विरोधी रुख़ अपनाकर विमर्श का रुख़ ही बदल दिया। वर्तमान सत्ता जिसका आधार ही इस्लाम व मुस्लिम विरोध है,उसने रिज़वी को संरक्षण दिया। जो रिज़वी मुसलमानों,क़ुरआन व इस्लाम में सुधारों की बातें करते थे उन्हीं के विरुद्ध उनके एक नौकर की पत्नी ने बलात्कार का आरोप भी लगाया। वसीम रिज़वी ने अपनी विवादित पुस्तक विमोचन से लेकर धर्म परिवर्तन तक का जो ‘नाटक ‘ रचा इसमें उनको संरक्षण देने वाले मुख्य किरदार हैं गाज़ियाबाद ज़िले के डासना के महाकाली मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती। इस मंदिर व महन्त का नाम भी तब सुर्ख़ियों में आया था जब एक प्यासे मुसलमान बालक ने मंदिर के बाहर लगे सार्वजनिक पियाऊ से पानी पीने की कोशिश की थी। और उसे महंत के चेलों ने इसलिये पीटा था कि उसने मुसलमान होकर मंदिर के पियाऊ से पानी क्यों पिया। उसके बाद ही महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती मीडिया की सुर्ख़ियां बने।और बाद में उन्होंने प्रसिद्धि का ‘शॉर्टकट’ अपनाने के लिये इस्लाम, महिला व मुस्लिम विरोध को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया। इन्हीं महंत यति नरसिंहानंद सरस्वती ने वसीम रिज़वी की पुस्तक का विमोचन भी किया और इन्हीं ने उनको सनातन हिन्दू धर्म में शामिल करने की दीक्षा भी दी। गोया मुसलमान बच्चे को मंदिर का पानी पीने का विरोध करने वाले महंत को मुस्लिम घराने के ही वसीम रिज़वी के प्रति इतना प्रेम उमड़ा कि महंत जी ने उन्हें न केवल हिन्दू धर्म में शामिल कराया बल्कि उन्हें अपने ”त्यागी गोत्र’ में शामिल कर अपनी संपत्ति में हिस्सा देने की घोषणा तक कर डाली।
वसीम रिज़वी से जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बनने तक के उनके विवादित जीवन में जो चीज़ सबसे महत्वपूर्ण नज़र आती है वह है उनका धर्मगुरुओं से लगातार चलने वाला टकराव। न कि हिन्दू धर्म के प्रति उनका आकर्षण या प्रेम। इसका सबसे बड़ा सुबूत यह भी है कि उनके निरंतर इस्लाम विरोध व धर्म गुरुओं से उनके टकराव के बीच कथित तौर पर जब यह ‘फ़तवा’ आया कि रिज़वी को मरणोपरांत क़ब्रिस्तान में दफ़्न करने की जगह नहीं मिलेगी। उसी समय उन्होंने लखनऊ के एक क़ब्रिस्तान में अपने लिये क़ब्र की एक जगह ख़रीद ली। ज़ाहिर है वह मरणोपरांत इस्लामी रीति रिवाज से ही अपना अंतिम संस्कार चाहते थे तभी उन्होंने अपनी क़ब्र की जगह ख़रीदी ?आज वे हिन्दू धर्म स्वीकार करने के बाद मरणोपरांत अपना दाह संस्कार चाह रहे हैं? निश्चित रूप से किसी भी धर्म या विश्वास को मानना या स्वीकार करना किसी भी व्यक्ति का अति व्यक्तिगत विषय है। इसमें किसी को भी विरोध या आपत्ति का कोई अधिकार नहीं। परन्तु इस तरह के अवसरवादी ‘धर्म परिवर्तन’ को धर्म परिवर्तन नहीं बल्कि तमाशा ही कहा जायेगा।
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Tanveer Jafri
Columnist and Author
Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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