यूपी के सांसदों पर बड़ी जिम्मेदारी है। यह सांसद वाराणसी से सांसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,आजमगढ़ से सांसद अखिलेश यादव व मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल हैं। यह अपनी अपनी पार्टी के शीर्ष नेता हैं और जनता के बीच लोक प्रिय भी हैं। भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी व अपना दल सोनेलाल के प्रत्याशी इन सांसदों के लोकप्रियता के सहारे अपने नैया पार लगने की उम्मीद बांधे हैं।
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेता व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल अक्तूबर से रैलियों के जरिए योगी सरकार के तमाम विकास परियोजनाओं की हरी झंडी दिखाई थी। उसके बाद से चुनाव का ऐलान होने के बाद से उनका राज्य के विभिन्न हिस्सों में जाकर आक्रामक प्रचार अभियान चलाना भाजपा को आत्मविश्वास से भर गया। अब आखिरी चरण में उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी चुनाव होना है।
इस तरह उनकी लोकप्रियता से यहां के भाजपा प्रत्याशी भरसक लाभ उठाने की कोशिश में हैं। भाजपा को उम्मीद है कि सांसद मोदी के क्षेत्र वाराणसी की जनता पिछले तीन चुनावों की तरह इस बार भी उसकी झोली भर देगी। अपनी समाजवादी पार्टी को भाजपा के विकल्प के तौर पर पेश करते आ रहे अखिलेश यादव के लिए भी इस आखिरी चरण में इम्तहान है। वह आजमगढ़ से सांसद हैं और अधिकांश सीटों पर बसपा ने कब्जा किया था। उसी तरह का प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद सपा को है। आजमगढ़ का सामाजिक समीकरण भाजपा के लिए कांटे भरी राह बनाता है। यह अखिलेश के लिए चुनौती है कि अपने संसदीय क्षेत्र में साइकिल की रफ्तार पिछली बार की तरह बनाए रखें।
उनकी परख जौनपुर में भी होनी है और मिर्जापुर गाजीपुर व अन्य इलाकों में भी। अपना दल सोनेलाल पटेल की अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल मिर्जापुर से सांसद हैं और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री भी हैं। पर उनको भी सातवें चरण में अपने नेतृत्व व लोकप्रियता का इम्तहान देना है। मिर्जापुर, जौनपुर व वारणसी में अपने प्रत्याशियों को जिताना है, दूसरे उन्हें अपना दल के दूसरे कृष्णा पटेल गुट से भी खुद को 21 साबित करने की चुनौती है। कृष्ण पटेल गुट सपा के साथ गठबंधन में हैं तो अपना दल सोनेलाल भाजपा के साथ गठबंधन किए हुए है। समाजवादी पार्टी के साथ ओमप्रकाश राजभर का गठबंधन की असल परीक्षा इस आखिरी चरण में खास तौर पर होनी है।
अपनी पार्टी सुभासपा के अध्यक्ष होने के नाते इन प्रत्याशियों की नैया पार लगाने की जिम्मेदारी तो वह उठा ही रहे हैं, खुद उनका चुनाव भी इसी दौर में जहूराबाद सीट पर है। बेटा अरविंद राजभर भी वाराणसी की शिवपुर सीट से है। ऐसे में उनकी साख, लोकप्रियता, रणनीति के साथ साथ उनके गठबंधन की परख भी होनी है। ओमप्रकाश राजभर पिछले चुनाव में भाजपा के साथ थे इस चुनाव में सपा के साथ। चुनाव परिणाम बताएंगे कि किसके साथ रहने में सुभासपा को ज्यादा फायदा हुआ और यह भी पता चलेगा कि भाजपा ने बिना सुभासपा के क्या खोया या क्या पाया। और सपा उन्हें साथ लेकर कितने फायदे में रही। PLC