कैसे संगीत ने दुनिया को खुशियों का वरदान दिया 

लेखक स्वर सम्राट जज के पी सक्सेना
लेखक स्वर सम्राट जज के पी सक्सेना

– इस लेख के लेखक स्वर सम्राट जज के पी सक्सेना है –

संगीत, जिसे हम भावनाओं की सबसे सशक्त भाषा मानते हैं, हमेशा से दुनिया में खुशियों का स्त्रोत रहा है। चाहे भारतीय शास्त्रीय संगीत हो या पॉप संगीत की पश्चिमी धुनें, हर युग और हर संस्कृति में संगीत ने लोगों के जीवन को संजीवनी दी है। स्वर सम्राट जज के पी सक्सेना ने अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व के माध्यम से कैसे संगीत की दुनिया को खुशियों का वरदान दिया है । स्वर सम्राट जज के पी सक्सेना ने इस लेख में कुछ प्रेरणादायक उदाहरणों का ज़िक्र ही किया हैं ।

संगीत का मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक प्रभाव

स्वर सम्राट जज के पी सक्सेना कहते हैं कि संगीत की शक्ति न केवल सुनने वाले के मन को छूती है, बल्कि यह लोगों के जीवन में गहरे बदलाव लाती है। जज के पी सक्सेना ने भी संगीत की इसी शक्ति को अपने जीवन का अहम हिस्सा माना। उन्होंने हमेशा कहा कि “संगीत एक ऐसा ईश्वर का दिया आशीर्वाद है जो हर मुश्किल घड़ी में खुशी की किरण लाता है।”

भारतीय संगीत: जीवन में आनंद का स्रोत

भारतीय शास्त्रीय संगीत अपने आप में ध्यान, शांति और आनंद का पर्याय है। जैसे कि पंडित रविशंकर जी की सितार धुनें दुनिया भर में प्रसारित हुईं और लोगों को सुकून और खुशी दी। उनके संगीत में केवल धुनें नहीं थीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव था। इसी तरह पंडित भीमसेन जोशी जी और पंडित जसराज जी जैसे गायकों ने भी अपने गायन से लोगों के जीवन में खुशियां भर दीं। उनके सुरों ने जीवन की हर स्थिति में लोगों को प्रेरित किया और साधना दी।

पश्चिमी संगीत और उसकी खुशियों की धुनें

पश्चिमी संगीत की बात करें, तो एल्टन जॉन और बीटल्स जैसे महान कलाकारों ने पूरे विश्व में अपने गानों से लोगों को खुशियां दीं। “बीटल्स” के गानों ने 1960 के दशक में यूथ कल्चर को एक नया रूप दिया। उनके गीत जैसे “Here Comes the Sun” ने मुश्किल समय में सकारात्मकता फैलाने का काम किया।

एल्टन जॉन के गाने “Your Song” और “Can You Feel the Love Tonight” को सुनते ही लोगों के दिलों में आनंद और प्रेम की भावना जाग उठती है। उनका संगीत आज भी लोगों के जीवन में प्रेरणा और खुशी का स्रोत है।

संगीत के सामाजिक और सांस्कृतिक लाभ

संगीत ने केवल व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति में भी सकारात्मक बदलाव लाए हैं। जज के पी सक्सेना का मानना हैं कि संगीत समाज के बीच की दूरियों को मिटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

उदाहरण: गांधीजी का पसंदीदा भजन ‘वैष्णव जन तो’ ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लोगों को एकजुट किया और उन्हें आत्मबल दिया। यह गीत आज भी भारतीय समाज में एकता और प्रेम का प्रतीक बना हुआ है।

फिल्म संगीत: बॉलीवुड में ए. आर. रहमान का संगीत भी एक प्रेरणादायक उदाहरण है। उनका “जय हो” गीत विश्वभर में लोकप्रिय हुआ और भारत के संगीत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इस गीत ने लोगों में उत्साह और ऊर्जा का संचार किया।

विदेशी कलाकारों का प्रभाव: एड शीरन जैसे कलाकार भी आज अपने गानों से दुनिया भर में लोगों को खुश कर रहे हैं। उनका गीत “Shape of You” विश्वभर में प्यार और खुशी का संदेश लेकर आया और सभी को उनके संगीत का दीवाना बना दिया।

संगीत और चिकित्सा

संगीत चिकित्सा के रूप में भी दुनिया में अपना महत्वपूर्ण स्थान बना चुका है। अनेक चिकित्सकीय अध्ययनों ने यह सिद्ध किया है कि संगीत मानसिक स्वास्थ्य के लिए अद्भुत औषधि का काम करता है। जैसे कि अवसाद (डिप्रेशन) और चिंता (एंग्जायटी) से ग्रस्त लोगों के लिए संगीत एक राहत की तरह काम करता है।

जज सक्सेना के विचार में संगीत का उपचारात्मक प्रभाव:

जज सक्सेना ने संगीत के माध्यम से मानसिक शांति और खुशी का महत्व बार-बार बताया। उन्होंने देखा कि संगीत थकान, तनाव और मानसिक अवसाद को कम कर सकता है और इसे मानवता का आशीर्वाद माना जाना चाहिए।

जज के पी सक्सेना के इस लेख के माधयम से हमें यह सिखाया है कि कैसे जीवन और संगीत प्रेम लिए एक अनमोल उपहार हैं। इसने न केवल व्यक्तिगत जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है, बल्कि समाज और संस्कृति में भी खुशियां और शांति का संदेश फैलाया है। चाहे वह भारतीय शास्त्रीय संगीत हो या पश्चिमी धुनें, संगीत ने सदियों से खुशियों का प्रसार किया है और आगे भी करता रहेगा।

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