Article By
Kalyan Sharma
IT specialist
इतिहास हमेशा खुद को दोहराता है सभ्यताओं के उद्भव के पश्चात दुनिया को एक नई दिशा देकर विश्व गुरु के रूप में अपनी पहचान स्थापित करने वाला भारत आज पुन: सूचना प्रौद्योगिकी के युग में अपने आप को डिजिटल गुरु के रूप में विश्वमंच पर ला खड़ा करने के की दिशा में कदम रख चूका है ।
दुनिया के आकर्षण का केंद्र बनता भारत अपने ज्ञान पुंज से पूरी दुनिया को प्रकाशमान बनाने की ओर अग्रसर है। वसुधैव कुटुम्बकम् के भाव से भरे हमारे ऋषि मुनियों ने अपने शोध के समुद्र मंथन से अनेकानेक बहुमूल्य पदार्थों से पूरी दुनिया को लाभान्वित किया।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) की व्यापकता और भारत के कदम
वहीं कुछ विक्षिप्त मानसिकता वालों ने एक सोची समझी साजिश के तहत हमारे साहित्य और संस्कृति पर प्रहार भी किये। वेदों और हमारे साहित्य से हमें ही दूर कर स्वयं इन ज्ञान ग्रंथों के अमृत सार को अपने नाम से प्रकाशित करवाने की होड़ में जुट गए। हम कुछ समझ पाते कि इससे पहले ही उन्होंने हमारे ग्रंथों को नष्ट कर हमारी शिक्षा को अनुपयोगी साबित करने व विदेशी भाषा, विदेशी ग्रंथ और विदेशी ज्ञान को श्रेष्ठ एवं मार्गदर्शक के रुप में स्थापित करने के लिए ऐसी मानसिकता वाली कई लेखनी तैयार गई, जो लोगों की मानसिकता में बदलाव लाने के लिए तत्परता से अपने उद्देश्य में जुट गई।
An Untold Story about the Struggle and Determination of Dr. DP Sharma
यह ऐसा दौर रहा जिसमें विश्वगुरु व सोने की चिड़िया भारत को एक गरीबी और निरक्षरता के प्रतीक के रूप मे दिखाने का प्रयास किया गया । वे एक हद तक सफल भी रहे परन्तु वे हमारी बौद्धिक क्षमता व भारतीय आत्मा को नष्ट न कर सके। जैसा कि गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है कि “नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः” जिसके फलस्वरूप आज डिजिटल युग में हम डिजिटल क्रांति के नेतृत्वकर्ता और विश्वगुरु के रूप पुन: विश्वमंच पर उभरने में कामयाबी की और अग्रसर है, आज भारत कंप्यूटर सॉफ्टवेयर निर्माता के रूप में अग्रणी पंक्ति में खड़ा है। दुनिया की दिग्गज सॉफ्टवेयर निर्माता कंपनियों का संचालन आज भारतीय हाथों में है और इन मेंं काम करने वाले पेशेवर इंजीनियर भी इसी मिट्टी में पले बढ़े हैं ।
आज देश को विकास और सम्पन्नता के पथ पर ला खड़ा करने में आई. टी. क्षेत्र का योगदान बहुत ही महत्वपूर्ण रहा है । पिछले कुछ दशकों से रोजगार पैदा करने और देश को आर्थिक मजबूती प्रदान करने में इस क्षेत्र का योगदान इन आंकड़ो को देखते ही प्रतीत होता है कि वित वर्ष 2022 के दौरान भारत में सूचना प्रौद्योगिकी का सकल घरेलू उत्पाद में 8% हिस्सेदारी के साथ आईटी और बीपीएम उद्योग का राजस्व 227 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है जो सालाना 15.5% की वृद्धि है ।
इसी वित वर्ष के अंतर्गत लगभग 5 लाख युवाओं के लिए रोजगार सृजन हुआ जो बेहद सुखद और देश के उज्ज्वल भविष्य की ओर इशारा है। इसमें लगभग 50 लाख लोग प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से काम कर रहे हैं इस कारण आज यह सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने वाले क्षेत्रों में से एक बन गया है। यह न केवल देश को आर्थिक सुदृढ़ता की ओर ले जा रहा है बल्कि लोगों के जीवन को आसान बनाने और लेनदेन में पारदर्शिता लाने में भी महती भूमिका निभा रहा है।
आज भुगतान का स्वरुप डिजिटल भुगतान में परिवर्तित होता जा रहा है । देश आज डिजिटल पेमेंट के मामले में दुनिया में शीर्ष पर है। न केवल आपसी लेनदेन में ही डिजिटल भुगतान का उपयोग किया जा रहा है बल्कि ई-गवर्नेंस जैसी सुविधाओं में भी डिजिटल भुगतान बहुत उपयोगी साबित हो रहा है ।
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2021-22 में रोजाना लगभग 90 लाख डीबीटी भुगतान किए गए जिससे 9.5 करोड़ लाभार्थियों लाभान्वित हुए तथा देश में प्रतिदिन औसतन 28.4 करोड़ डिजिटल ट्रांजेक्शन किया जा रहा है । हाल ही में दावोस में संपन्न हुए वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में केंद्रिय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दिसंबर 2022 में भारत का डिजिटल पेमेंट ट्रांजैक्शन 1.5 ट्रिलियन डॉलर का रहा।
आकंड़ो के मुताबिक पिछले साल पूरी दुनिया में हुए रियलटाइम डिजिटल पेमेंट्स में से 40 फीसदी भागीदारी भारत की है।
आज आई. टी. ने न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था के उत्थान में सक्रिय योगदान दिया अपितु भाषा, साहित्य व संस्कृति को भी उचित सम्मान दिलवाने में भूमिका निभाई है । आज भारतीय भाषाओं में भी कंप्यूटर के उपयोग ने इसे आम आदमी की पहुंच तक लाने में सहायक सिद्ध हुआ है । अमरीकी कंप्यूटर वैज्ञानिक रिक ब्रिग्स ने 1985 में एक पेपर प्रकाशित किया।
इस पेपर में उन्होंने प्राकृतिक भाषाओं को कंप्यूटर की भाषा के तौर पर उपयोग करने के बारे में लिखा। इसमें उन्होंने संस्कृत को केस स्टडी के रूप में लिया और कंप्यूटर भाषा के रूप में संस्कृत को सबसे उपयुक्त होने का दावा किया। कृत्रिम बुद्विमता (AI ) का उपयोग कर दुनिया के विकसित कहलाने वाले देश आज वेदो, आयुर्वेद और योगा पर शोध कर रहे हैं।
डिजिटल क्रांति ने साबित कर दिया है कि भारत के कदम डिजिटल विश्वगुरु बनने की दिशा में निकल पड़े है। देश के युवा अपने ज्ञान , कौशल और परिश्रम से भारत को दुनिया का सिरमौर बनाकर ही दम लेंगे और सरकार भी इसके लिए प्लेटफॉर्म तैयार कर इस पावन यज्ञ में आहुति देने को तत्परता दिखा रही है .
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