– डॉ डी पी शर्मा –
अभी भारत में महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता कहने और न कहने पर विवाद चल रहा है। एक युवा संत कालीचरण ने अपना तर्क दिया है कि वह महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता नहीं मानते। उन्होंने महात्मा गांधी के खिलाफ अपशब्द कहे या न कहे यह तर्क का विषय है मगर उन्हें राजद्रोह की धाराओं के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है।
तदोपरांत पूज्य शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी कहते हैं कि जो भारत में जन्मा है, भारत की कोख से जन्मा है, भारत उसकी माता है न कि उसका पिता। यह तथ्य तर्कसंगत है, न्याय संगत है, और धर्मसंगत भी कि धरती और कोख का आश्रय देने वाली माता होती है ना कि पिता।
माता इस दुनिया का सबसे बड़ा यथार्थ भी है। यहां तक कि ईश्वर भी एक विश्वास करने वाला तंत्र ही तो है। मां न केवल जन्म देती है वल्कि पालन पोषण और संरक्षण भी करती है।
योगेश्वर कृष्ण ने स्वयं को भगवान होते हुए भी भारत का पिता नहीं कहा। भगवान राम पुरुषोत्तम राम कहलाए, पुरुषोत्तम पिता नहीं।
जबकि भगवान राम तो मां सीता के पति थे और परमेश्वर भी।
जब हमने स्वयं हजारों लाखों साल पूर्व भगवान राम, भगवान कृष्ण को पिता परमेश्वर और ब्रह्मा, विष्णु और महेश को जगत निर्माता, पालनकर्ता और संहारकर्ता मान लिया तो फिर भारत माता का और कोई दूसरा पति कैसे हो सकता है?
हिंदू धर्म में तो एक पत्नी और एक पिता का विधान है और यही विधान हमारे संविधान द्वारा भी प्रदत्त है। तब सवाल उठता है कि महात्मा गांधी क्या भारत माता को भी अपनी पत्नी मान बैठे जबकि उनकी तो पत्नी मां कस्तूरबाई पहले से विद्यमान थीं।
हिंदू विधान और भारतीय विधान संहिता में तो बहुपति प्रथा वर्जित है तो क्या महात्मा गांधी को हम भारत माता का पति मानकर अपराध तो नहीं कर रहे या अपराधी घोषित तो नहीं कर रहे?
कोई भी व्यक्ति कितना भी महान क्यों न हो हम उसे राष्ट्रपुत्र का खिताब दे सकते हैं, राष्ट्रपिता का नहीं। क्योंकि यह न केवल हमारे सांस्कृतिक विधान, वल्कि संवैधानिक संहिता के भी खिलाफ है। बहु पत्नी प्रथा और बहु पति प्रथा दोनों ही हमारे समाज, विधान और संस्कृति में वर्जित हैं तो फिर महात्मा गांधी को अपराध करने की अनुमति कैसे दी जा सकती है?
हमारे धर्म और सनातन संस्कृति में भी एक ही पति का प्रावधान है और वह भी भारत माता का पति तो सिर्फ ईश्वर ही हो सकता है। महात्मा गांधी जैसा व्यक्ति जिसने स्वयं अपने पतित चरित्र के बारे में लिखा और दुनिया को बताया हो तो वह हमारा पिता कैसे हो सकता है? यदि हम ऐसा मान भी लें तो महात्मा गांधी महान पुरुष हैं, महानायक हैं, महा नेता हैं, और राष्ट्रपिता हैं ना कि ईश्वर या पैगंबर जिनके बारे में विश्वास के अलावा चर्चा नहीं की जा सकती, तर्क और वितर्क के मंच तैयार नहीं किए जा सकते ।
अगर राष्ट्रपिता कहना ही था घोषित करना ही था तो भगवान राम को क्यों नहीं, भगवान कृष्ण को क्यों नहीं ? जवाहरलाल नेहरू ने स्वयं को चचाजान और महात्मा गांधी को पिताजान घोषित कर दिया अर्थात महात्मा गांधी और नेहरू भाई भाई हुए। इसलिए भ्रातृत्व धर्म का पालन करते हुए जवाहर लाल नेहरू ने स्वयं को “छोटा पिता यानी राष्ट्रचचा” और महात्मा गांधी को *बड़ा पिता यानी राष्ट्रपिता” घोषित कर दिया।
काबिले तारीफ थी ये ऐतिहासिक जुमलेबाजी की राजनीतिक बाजीगरी और बाजीगरी की राजनीति। मगर अफसोस कि दो पद खाली छोड़ दिए। एक राष्ट्रचचीजान का और दूसरा राष्ट्रमाताजान का।
आज दोनों महापुरुष अगर इस दुनिया में होते तो हम उनसे पूछते कि आखिर महिला सशक्तिकरण के खिलाफ आपने यह दोनों पद खाली कैसे छोड़ दिए?
About the Author
Prof.(Dr.) DP Sharma
International consultant/adviser (IT), ILO (United Nations)-Geneva
PhD [Intranet-wares], M.Tech [IT], MCA, B.Sc, DB2 &WSAD-IBM USA, FFSFE-Germany, FIACSIT- Singapore , AMIT, AMU MOE FDRE under UNDP and Ex. Academic Faculty Ambassador for Cloud Computing Offering (AI), IBM-USA , External Consultant & Adviser (IT), ILO [ An autonomous Agency of United Nations]- Geneva
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