– सोनाली बोस –
दोस्ती की हवा हमारे इर्द गिर्द हमेशा मौजूद रहती है| उसका होना हमारे वजूद के लिए बेहद ज़रूरी है क्योंकि साँसों की रफ़्तार उसी से चलती है, लेकिन जिस तरह वो अपनी मौजूदगी से हमारे जीवन में इस तरह रच बस गयी है कि हम उसके होने को हमेशा महसूस तो करते हैं लेकिन एक ख़ास अहमियत नहीं देते हैं| ठीक उसी तरह ज़िंदगी में कुछ रिश्तों की अनदेखी सी मौजूदगी हमेशा रहती है| हम जानते हैं कि वो रिश्ते हमारे साथ हैं और हमेशा रहेंगे भी इसलिए अक्सर उन्हें याद रखते हुए भी भूल से जाते हैं; ठीक ऐसा ही एक रिश्ता है दोस्ती का| दोस्ती के इसी रिश्ते का उत्सव मनाने के लिए हर साल अगस्त के पहले रविवार को मनाया जाता है – फ्रेंडशिप डे यानि मित्रता दिवस। एक ऐसा दिन जब हर कोई चाहे दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न बैठा हो, अपने दोस्त को ज़रूर याद करता है।
दोस्ती.. कितना मीठा और छोटा सा शब्द है ना? लेकिन यकीन मानिए ये शब्द खुद में एक पूरा संसार संजोये हुए है| वैसे भी किसी भी समाज से सरोकार रखने वाले इंसान के लिए ‘रिश्ता’ शब्द बड़ी अहमियत रखता है। हम परिवार में विभिन्न रिश्तों की डोर से बँधे होते हैं। लेकिन इन पारिवारिक रिश्तों के अलावा एक और महत्वपूर्ण रिश्ता हमारे जीवन में काफी महत्व रखता है और वह है दोस्ती या मित्रता का रिश्ता, जो विश्वास व सहयोग के आधार पर टिका होता है। कहते हैं ना कि मित्र राज़दार भी होते हैं और सुख-दुःख के साथी भी। लेकिन क्या ये हमेशा ज़रूरी होता है कि मित्र या दोस्त रिश्तेदार ना हो? क्या हमारा कोई रिश्तेदार हमारा मित्र नहीं हो सकता ? मानती हूँ कि जो बातें या राज़ हम अपनों से नहीं कर पाते अक्सर वही बातें हम अपने दोस्तों से खुल के कर डालते हैं, शायद इसलिए कि वहां किसी किस्म की झिझक या डर नहीं होता है| दोस्त होना एक तरह की योग्यता है, जबकि रिश्तेदारी भाग्य…। अच्छा दोस्त होने के लिए कई तरह की शर्तें होती हैं, तभी तो वह दोस्त हो पाता है। इसके उलट रिश्तेदारी तो हमें जन्मजात विरासत में मिलती है। जैसी भी हो हमें उसे निभाना ही है, जबकि दोस्ती में ऐसी कोई मजबूरी नहीं होती, इसलिए कड़वाहट भी नहीं। कितना सुखद होता होगा ना जब अपना कोई रिश्ता दोस्ती में डूबा हुआ हो|
मित्रता दो शब्दों से बनी होती है; विश्वास और कोमलता| कभी भी अपने दोस्त का विशवास ना तोड़ना और जितना हो सके एक दूसरे के साथ प्यार से पेश आना इस रिश्ते की बुनियादी ज़रूरतें हैं| दोस्ती शब्द से ही एक पवित्र रिश्ते का एहसास होता है अगर आप दोस्ती के वास्तविक अर्थ से अवगत है और अपनी दोस्ती को पूरे विश्वास,निष्ठा व वफादारी से निभाने की क्षमता रखते हैं तब ही आपको दोस्ती के लिए अपने हाथ बढ़ाने चाहिए वरना यह कहकर संतोष कर लीजिए कि “दुनिया में राज़-ए-दिल दोस्ती करते तो हम किससे, मिलते ही नहीं जहाँ में हमारे ख्याल के” | और अगर मैं ये कहूं कि दुनिया में माँ पिता और जीवनसाथी से बेहतर दोस्त कोई और हो ही नहीं सकता है तो शायद आप का मन कहेगा कि आज फ्रेंडशिप डे के दिन भी कितनी बोर बातें ले कर बैठ गयी हूँ, है ना? लेकिन दिल ही दिल में आप भी तो यही महसूसते हैं, है कि नहीं?
वैसे भी मतलब परस्त इस दुनिया में आज के समय में एक सच्चा साथी और दोस्त मिलना बड़ा ही दुष्कर है| इसी बात पर मुझे जनाब वसीम बरेलवी का ये शेर याद आ रहा है ‘’ शर्तें लगाईं जाती नहीं दोस्ती के साथ, कीजे मुझे क़ुबूल मेरी हर कमी के साथ |‘’ और शायद बिना किसी शर्त के दुनिया में चंद ही ऐसे लोग हैं जो आपको प्यार करते हैं और ता उम्र साथ भी निभाते हैं| यदि बच्चा अपने माँ पिता के साथ एक दोस्ताना ताल्लुक रखता है तो यक़ीनन वो कभी भी बाहरी लोगों के बहकावे में नहीं आयेगा| जब घर का माहौल उसे खुशनुमा और दोस्ताना मिलेगा तो अपनी तमाम परेशानियां वो बेहिचक अपने माँ पिता से शेयर करेगा और उसे वक़्त पर सही मार्गदर्शन भी मिलेगा| इसी तरह अगर हमारा जीवनसाथी सिर्फ पति या पत्नी ना होकर एक दोस्त हो तो क्या बात है| जिस तरह हम रूठना मनाना, घूमना सैर करना हम अपने दोस्तों के साथ करते हैं अगर वही हम अपने पार्टनर के साथ करें तो? कहते भी हैं ना कि पति पत्नी में प्यार कम हो तो चलता है लेकिन दोस्ती कम नहीं होनी चाहिए| ज़माने में बदलाव की बयार बह रही है| अब अगर हम अपने आस पास नज़र दौडाते हैं तो पाते हैं कि हर तरफ एक खास बात की जा रही है कि कम्युनिकेशन हो| किसी भी तरह का काम क्यों न हो लेकिन हर रिश्ते में कम्युनिकेशन हो| और ये आपसी कम्युनिकेशन दो तरफ़ा होना होगा और इस बातचीत को भी बिज़नेस कम्युनिकेशन नहीं दोस्ताना होगा, यानी कि एकदम पारदर्शी… दोस्तों के जैसा…. |
फिर देर किस बात की, आइये फिर इस फ्रेंडशीप डे एक फ्रेंडशिप बैंड बाँध ही दें खुली, निश्छल और मोहक और पारदर्शी दोस्ती के नाम|
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Sonali Bose
Senior journalist and Authoress
Associate editor
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This is a must read for someone who has not been aware of the fragrance, energy, and strength of Friendship so far. The author has done a threadbare analysis of friendship in all its colours and textures.
Keep on writing and writing …