यूरिया खाद की जांच में बड़ी लापरवाही सामने आई है। अरबों रुपए का नकली खाद बिक जाने और खेतों में डल जाने के बाद कृषि विभाग के अफसरों की आंख, खाद की जांच करने के लिए खुली है। कुछ सप्ताह की जांच में ही 50 खाद के नमूने अमानक पाए हैं। कार्रवाई स्वरूप कृषि विभाग ने आधा दर्ज फर्म संचालकों का लाइसेंस निरस्त किया है, जबकि एक फर्म संचालक पर एफआइआर कराई है। इधर, अमानक खाद खरीदने वाले किसानों की गेहूं-चना, आलू-मटर की पैदावार को लेकर चिंता बढ़ गई है। रबी की फसल सामान्यत: अक्टूबर-नवंबर महीने में बोई जाती हैं। खेतों में गेहूं, चना, आलू, मटर की 90 फीसदी बोवनी हो चुकी है। खेतों में पैदावार बढ़ाने को खाद भी डाला जा चुका है। वो खाद जिसकी जांच कायदे से डेढ़-महीने पहले ही हो जाना थीं, मगर ऐसा नहीं हुआ। शिकायत पर अफसरों ने कुछ सहकारी समितियों और निजी फर्मों से खाद के नमूने जांच करने को लिए। 202 नमूनों की जांच रिपोर्ट में 50 नमूने अमानक पाए गए।
दावे के बाद भी खाद समस्या बरकरार
इन दिनों प्रदेश में रबी फसलों की बुवाई हो रही है। लेकिन अधिकतर किसान खाद के लिए या तो समितियों के चक्कर काट रहे हैं या धरना, प्रदर्शन और सड़क पर चक्काजाम कर रहे हैं। प्रदेश का कोई भी जिला ऐसा नहीं है जहां का किसान खाद के लिए परेशान न हो रहा है। वहीं दूसरी तरफ शासन-प्रशासन का दावा है कि प्रदेश में खाद की कमी नहीं है। शासन-प्रशासन के लाख दावे के बाद भी खाद की समस्या बरकरार है। कहीं किसान का पूरा परिवार तो कहीं छात्र-छात्राएं खाद के लिए कतार में नजर आ रहे हैं। प्रदेश के अलग अलग जिलों में खाद की किल्लत से किसान परेशान है। जानकारी के मुताबिक 52 में से 35 जिलों में जरूरत से कम खाद मौजूद है। जिसके चलते किसानों को खाद पर्याप्त नहीं मिल पा रहा। PLC