युवाओं को ग्रीन कंप्यूटिंग, ग्रीन टेक्नोलॉजी एवं ग्रीन इंजीनियरिंग के मॉडल पर कार्य करना चाहिए – डॉ डीपी शर्मा

ग्रीन टेक्नोलॉजी: भविष्य की ओर बढ़ता भारत! डॉ डीपी शर्मा ने साझा किए महत्वपूर्ण विचार
ग्रीन टेक्नोलॉजी: भविष्य की ओर बढ़ता भारत! डॉ डीपी शर्मा ने साझा किए महत्वपूर्ण विचार

सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम

भांकरोटा स्थित राजस्थान कॉलेज ऑफ़ इंजीनियरिंग फॉर वुमेन, जयपुर में आयोजित “सतत प्रौद्योगिकी के लिए विकसित होता परिदृश्य” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य टेक्नोलॉजी को सस्टेनेबल बनाना और महिलाओं को तकनीकी क्षेत्र में अधिक भागीदारी देने हेतु प्रोत्साहित करना है।

इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ता यूनाइटेड नेशंस के डिजिटल डिप्लोमेट एवं प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर डॉ डीपी शर्मा ने ग्रीन कंप्यूटिंग, ग्रीन टेक्नोलॉजी और ग्रीन इंजीनियरिंग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि यदि हम डिज़ाइन, डेवलपमेंट, मैन्युफैक्चरिंग, उपयोग एवं डिस्पोज़ल की प्रक्रिया में ग्रीन स्टैंडर्ड्स को अपनाते हैं, तो हम कार्बन उत्सर्जन को कम कर सकते हैं और पर्यावरण अनुकूल टेक्नोलॉजी विकसित कर सकते हैं।

ग्रीन कंप्यूटिंग: सतत विकास की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम

डॉ शर्मा ने अपने उद्बोधन में बताया कि ग्रीन कंप्यूटिंग का उद्देश्य ऊर्जा दक्षता बढ़ाना, ई-वेस्ट कम करना और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा देना है। इसके तहत निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है—

  1. ऊर्जा-कुशल हार्डवेयर एवं सॉफ़्टवेयर: कम बिजली खपत करने वाले प्रोसेसर, ईको-फ्रेंडली बैटरियों और ऊर्जा दक्ष सर्वर का उपयोग।
  2. क्लाउड कंप्यूटिंग का अधिकतम उपयोग: डेटा केंद्रों में बिजली की खपत को कम करने के लिए क्लाउड टेक्नोलॉजी को अपनाना।
  3. ई-वेस्ट मैनेजमेंट: इलेक्ट्रॉनिक कचरे का सही तरीके से पुनर्चक्रण (रीसाइकलिंग) करना।
  4. वर्चुअलाइजेशन टेक्नोलॉजी: हार्डवेयर संसाधनों का अनुकूलन करने के लिए वर्चुअलाइजेशन को अपनाना।

डॉ शर्मा ने इस विषय पर ज़ोर देते हुए कहा कि आने वाले वर्षों में ग्रीन कंप्यूटिंग का प्रभाव आईटी उद्योग में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकता है।

ग्रीन टेक्नोलॉजी: स्मार्ट और पर्यावरण अनुकूल समाधान

ग्रीन टेक्नोलॉजी के महत्व को समझाते हुए उन्होंने बताया कि यह केवल ऊर्जा दक्षता तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उद्योगों को टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल बनाने की दिशा में कार्य करता है। ग्रीन टेक्नोलॉजी के अंतर्गत—

  1. सौर एवं पवन ऊर्जा का उपयोग: कंपनियों को पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों की बजाय नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों को अपनाना चाहिए।
  2. सस्टेनेबल मैन्युफैक्चरिंग: उत्पादों के निर्माण में पुनर्नवीनीकरण सामग्री का अधिक उपयोग किया जाए।
  3. स्मार्ट ग्रिड टेक्नोलॉजी: ऊर्जा उपभोग को नियंत्रित करने और कम करने के लिए अत्याधुनिक डिजिटल सिस्टम अपनाना।
  4. वेस्ट मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी: उत्पादन इकाइयों में कचरे को कम करने और उसका पुनर्चक्रण करने पर ध्यान देना।

डॉ शर्मा ने बताया कि आज ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन एक बड़ी समस्या बन चुके हैं, और ग्रीन टेक्नोलॉजी इन समस्याओं को हल करने में प्रभावी भूमिका निभा सकती है

ग्रीन इंजीनियरिंग: टिकाऊ भविष्य के लिए नवाचार

इंजीनियरिंग क्षेत्र में नवाचार और स्थिरता को प्राथमिकता देने की आवश्यकता पर बल देते हुए डॉ शर्मा ने कहा कि ग्रीन इंजीनियरिंग का उद्देश्य ऐसी तकनीकों का विकास करना है जो पर्यावरण पर न्यूनतम प्रभाव डालें। इस दिशा में—

  1. इको-फ्रेंडली डिज़ाइन: नई तकनीकों को इस तरह डिज़ाइन किया जाए कि वे ऊर्जा कुशल हों और प्रदूषण न फैलाएं।
  2. बायोडिग्रेडेबल मटेरियल्स: निर्माण क्षेत्र में पारंपरिक सामग्रियों की बजाय बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों का उपयोग किया जाए।
  3. वॉटर-कंजरवेशन टेक्नोलॉजी: जल संरक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाए।
  4. इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम: वाहनों से होने वाले कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए स्मार्ट परिवहन प्रणाली विकसित की जाए।

उन्होंने बताया कि यदि युवा इंजीनियर ग्रीन इंजीनियरिंग के मॉडल पर कार्य करें, तो हम सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के लक्ष्यों को जल्द ही प्राप्त कर सकते हैं

सम्मेलन में विशेषज्ञों ने दिए अपने विचार

इस राष्ट्रीय सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों से आए 20 से अधिक तकनीकी विशेषज्ञों ने अपने अनुभव साझा किए। हरियाणा, आंध्रप्रदेश, उत्तरप्रदेश, कोलकाता, महाराष्ट्र, गुजरात, चेन्नई, और दिल्ली से आए वक्ताओं ने महिलाओं की तकनीकी क्षेत्र में बढ़ती भागीदारी और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी में उनकी भूमिका पर प्रकाश डाला।

सम्मेलन में कई प्रमुख विषयों पर चर्चा हुई, जिनमें शामिल हैं—

  • सस्टेनेबल इनोवेशन: कैसे नए विचारों और प्रौद्योगिकियों को पर्यावरणीय दृष्टिकोण से विकसित किया जा सकता है।
  • उद्योग और पर्यावरण के बीच संतुलन: कैसे कंपनियां उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ ग्रीन टेक्नोलॉजी को अपना सकती हैं।
  • शिक्षा और अनुसंधान का योगदान: विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों द्वारा सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के प्रयास।

कॉन्फ्रेंस का सफल समापन और भविष्य की योजनाएँ

कॉलेज निदेशक डॉ अरिहंत खींचा ने सभी विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया और इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के सम्मेलन तकनीकी क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने और सस्टेनेबल टेक्नोलॉजी के महत्व को समझाने में सहायक सिद्ध होते हैं

उन्होंने आगे कहा कि आने वाले वर्षों में ग्रीन टेक्नोलॉजी, ग्रीन इंजीनियरिंग और ग्रीन कंप्यूटिंग को अपनाकर हम पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ तकनीकी विकास को भी एक नया आयाम दे सकते हैं।

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