– तनवीर जाफरी –
इसमें कोई संदेह नहीं कि भारतवर्ष दुनिया के एक ऐसे भूभाग का नाम है जोकि अध्यात्म,शांति तथा प्राकृतिक सौंदर्य एवं यहां की सबसे समृद्ध विरासत अनेकता में एकता के चलते पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है। इतिहास हमें बताता है कि चीनी यात्री ह्यूएनसांग से लेकर वास्कोडिगामा व कोलम्बस को किस प्रकार भारतवर्ष ने अपनी ओर आकर्षित किया। विदेशी धरती पर पैदा होने वाले अनेक संत व पीर-फकीर भारत को अपनी कर्मभूमि बनाते रहे। यहां तक कि हज़रत मोहम्मद के नवासे हज़रत इमाम हुसैन ने भी करबला की लड़ाई को टालने के लिए यज़ीद के समक्ष अपने भारत आने का प्रस्ताव रखा। इतिहास के वर्तमान दौर में भी भले ही उसका स्वरूप अब अध्यात्म से हटकर राजनैतिक क्यों न हो गया हो परंतु दूसरों को अपने आप में समाहित कर लेने तथा उसे समर्थन,सहयोग व संरक्षण देने की हमारे देश की प्रकृति अब भी बदस्तूर जारी है। तिब्बत,बंगलादेश,नेपाल तथा पाकिस्तान जैसे देशों के शरणार्थी अथवा वहां के विस्थापित लोगों के साथ हमारे देश की सरकारों व यहां के नागरिकों का सकारात्मक बर्ताव हमें आज भी उसी प्राचीन मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। इसमें भी कोई शक नहीं कि कुछ आक्रांताओं ने भारत की इस उदारवादी प्रवृति का नाजायज़ फायदा भी उठाया। परंतु ऐसे लोगों की भारत पर बुरी नज़र या उनके द्वारा देश को लूटने या बांटने की कोशिश करना किसी भी प्रकार से धर्म अथवा अध्यात्म के कारणों से नहीं बल्कि केवल सत्ता की सियासत की वजह से था।
परंतु आज हमारे देश में कुछ ऐसे लोग देखे जा सकते हैं जो किसी न किसी कारणवश अपने-अपने देशों से तो निष्कासित कर दिए गए हैं या अपने देश छोडक़र अन्यत्र जा बसे हैं। परंतु वे अपने देश की व्यवस्था ही नहीं बल्कि अपने धर्म व समुदाय के प्रति भी पूरी आक्रामकता का प्रदर्शन करते रहते हैं। और उनकी यही आक्रामकता उनकी लोकप्रियता का कारण भी बन जाती है। इनमें दो विदेशी व्यक्ति इस समय भारतवर्ष में सक्रिय है जो इत्तेफाक से साहित्य,इतिहास तथा लेखन जगत से जुड़े हैं। इनमें एक हैं बंगला देशी मूल की लेखिका तसलीमा नसरीन तथा दूसरे पाकिस्तानी मूल के लेखक तारक फतेह। इन दोनों व्यक्तियों का घुमा-फिरा कर एक ही मकसद है कि किस तरह भारत की नागरिकता हासिल की जाए। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए वे जहां स्वधर्मी रूढ़ीवादी व कट्टरपंथी लोगों के िखलाफ अनेक सही बातें भी डंके की चोट पर करने का साहस रखते हैं वहीं कई बार इन्हें अपने जोश में होश खोकर बोलते भी देखा गया है। इस समय यह दोनों ही व्यक्ति दक्षिणपंथी हिंदूवादी संगठनों व नेताओं की आंखों का तारा बने हुए हैं। इन लोगों को सारी बुराईयां इस्लाम धर्म के भीतर ही नज़र आती हैं तथा यदि इनकी बातों को गौर से सुना जाए तो इन्हें भारत का अधिकांश मुसलमान रूढ़ीवाद व आतंकवाद का समर्थक ही नज़र आता है।
खासतौर पर तारक फतेह तो कभी-कभी अपनी ही जन्मभूमि पाकिस्तान पर इतने आक्रामक हो जाते हैं कि यदि उनका बस चले तो भारतीय सेना से वे पाकिस्तान पर हमला करवा दें। ब्लूचिस्तान,महाजिर जैसे विषयों पर अत्यधिक उत्साहित होकर बोलने वाले तारक फतेह ने पाकिस्तान छोडक़र कनाडा की नागरिकता धाारण की हुई है। उनकी बेटी नताशा फतेह जोकि कनाडा में सीबीसी रेडियो सेवा में कार्यरत है का विवाह एक ईसाई व्यक्ति से हुआ है। इसमें कोई शक नहीं कि तारक फतेह का परिवार तथा उनके सोच-विचार यह बताते हैं कि वे एक शिक्षित एवं उदारवादी सोच रखने वाले व्यक्ति हैं परंतु जब कभी वे भारतीय मुसलमानों को पाठ पढ़ाते या उन्हें राष्ट्रवादिता की सीख देते नज़र आते हैं उस समय उनकी क्रांतिकारी सोच न केवल स्वार्थपूर्ण व संदिग्ध प्रतीत होने लगती है बल्कि उनके बारे में कई तरह के सवाल भी खड़े होने लगते हैं। उन्हें भारतीय मीडिया भी केवल इसीलिए काफी तरजीह देता है क्योंकि वे मौलवी-मुल्लाओं,पाकिस्तान तथा मुस्लिम व मुगल शासकों के विरुद्ध खुलकर बोलते हैं।
फतेह से कई बार यह सवाल पूछा जा चुका है कि वे पाकिस्तान में रहकर पाकिस्तान की व्यवस्था के विरुद्ध उंगली क्यों नहीं उठाते? एक पाकिस्तानी मूल के बुद्धिजीवी होने के नाते उसी व्यवस्था में रहकर व्यवस्था के िखलाफ आवाज़ उठाने तथा उसमें सुधार लाने की कोशिश वे क्यों नहीं करते? उनसे यह सवाल भी किया जा चुका कि आपकी यह भाषा कहीं केवल इसलिए तो नहीं कि आप शोहरत हासिल करने के लिए ही इस प्रकार के विवादास्पद बयान देते रहते हों? यह भी कहा जा चुका है कि आप यह सबकुछ भारत की नागरिकता लेने की खातिर तो नहीं कर रहे? हालांकि इस सवाल के जवाब में वे कई बार साकारात्मक नज़र आए तथा उन्होंने यह बात कही कि वे भारत की नागरिकता हासिल करना चाहते हैं। परंतु यदि हम तारिक फतेह की तुलना पाकिस्तान में ही रहकर इस्लामी कट्टरपंथ,इस्लाम में कठमुल्लाओं का बढ़ता वर्चस्व, आतंकवादियों का इस्लाम पर जकड़ता शिकंजा तथा पाकिस्तान की बदनुमा सियासत जैसे विषयों पर तारिक फतेह से भी ज़्यादा मुखरित होकर बोलने वाले लेखक एवं पत्रकार,इतिहास कार व बुद्धिजीवी हसन निसार से करें तो हमें तारक फतेह की बातों में सिवाय स्वार्थ तथा बनावटीपन के और कुछ नज़र नहीं आता। परंतु जब पत्रकार तारक फतेह की किसी दुखती रग पर उंगली रखते हैं उस समय वे बुरी तरह नाराज़ होते भी दिखाई देते हैं। उनके इसी बड़बोलेपन ने पिछले दिनों उन्हें चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय में वहां के छात्रों के हाथों अपमानित होने की स्थिति तक पहुंचा दिया। खबरों के मुताबिक वे वहां के कुछ खास समुदाय के छात्रों को आतंकवादी कहकर पुकार रहे थे। जिसके चलते उन्हें शारीरिक उत्पीडऩ के दौर से गुज़रना पड़ा जोकि दुर्भाग्यपूर्ण था।
तसलीमा नसरीन भी इसी तरह कई विशेष विषयों को लेकर मुखरित रहती हैं। खासतौर पर उन्होंने अपने बचपन से लेकर जवानी तक बंगलादेश के समाज में बलात्कार व अनैच्छिक शारीरिक संबंध जैसी कई घटनाएं देखीं व स्वयं इसकी भुक्तभोगी रहीं। इस प्रकार की घटनाओं को उन्होंने धर्म तथा समुदाय से जोडक़र पेश करने की कोशिश की। जबकि वास्तविकता यह है कि किसी भी पुरुष महिला के बीच पेश आने वाली इस प्रकार की घटनाएं पूरे विश्व में घटित होती हैं और यह जाति-धर्म का विषय नहीं बल्कि लिंगभेद का विषय है। दुनिया का कोई भी देश या धर्म ऐसा नहीं है जहां दुराचारी प्रवृति के लोग न पाए जाते हों। हां उनकी संख्या कहीं कम तो कहीं ज़्यादा ज़रूर हो सकती है। दुर्भाग्यवश हमारे ही देश में पिछले कुछ वर्षों में बलात्कार की इतनी घटनाएं हुईं खासतौर पर देश की राजधानी दिल्ली इस विषय पर इतनी कलंकित हुई कि मीडिया में उसे बलात्कार की राजधानी तक कहा गया। इसका अर्थ यह तो नहीं निकाला जा सकता कि पूरे देश या यहां के नागरिकों का स्वभाव ही ऐसा है? लिहाज़ा ऐसे लोगों की बातों को बहुत गौर से सुनने की ज़रूरत है। हमारे देश में ही अधिकांश बहुख्ंख्य मुसलमानों का मिज़ाज आतंकवाद व रूढ़ीवाद तथा कठमुल्लापन का विरोधी है। उसे किसी तारक फतेह या तसलीमा नसरीन जैसे लोगों से सबक सीखने की ज़रूरत नहीं जो स्वयं अपना देश छोडक़र भारत में बैठकर यहां की नागरिकता लेने की खातिर यहां की सरकारों को खासतौर पर रूढ़ीवादी ताकतों को खुश करने के लिए अत्यधिक मुखरित होने की कोश्शिें करते रहते हैं।
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Tanveer Jafri
Columnist and Author
Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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