– वरिष्ठ पत्रकार रीता विश्वकर्मा की ख़ास पड़ताल –
वन-टू का फोर करके रातों-रात लखपति बनाने का प्रलोभन देने वाली कम्पनियों की संख्या सैकड़े में दो वर्ष में ग्राहकों के करोड़ों रूपए लेकर दर्जनों कम्पनियाँ हो चुकी हैं फरार
पश्चिम बंगाल देश का ऐसा राज्य है जहाँ मनी लाण्ड्रिंग, मनी मार्केटिंग और मनी सर्कुलेशन जैसे फर्टाइल उद्योग में उसी प्रान्त के मास्टर माइण्ड अपने तिकड़मी मस्तिष्क से वन-टू का फोर करने जैसी योजनाएँ बनाकर अनेकानेक कम्पनियों के निदेशक/संस्थापक बने, वहीं से इसका संचालन करते हैं। कोलकाता में इस तरह की कम्पनियों का कथित मुख्यालय स्थापित करके ये लोग पश्चिम बंगाल छोड़कर अन्य राज्यों जहाँ के लोग गरीब, अज्ञानी, अशिक्षित तथा लोभी हैं में अपनी कम्पनियों के भव्यतम कार्यालयों की स्थापना करके स्थानीय बेरोजगारों को कम्पनी के प्रबन्धक/सीनियर एसोसिएट्स/जोनल मैनेजर जैसे तथाकथित ओहदों से नवाज कर करोड़ों का धन्धा करके मालामाल हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश में इस तरह की कम्पनियों का संजाल फैला हुआ है। हालाँकि इस तरह की कम्पनियों का प्रादुर्भाव चार दशक पूर्व से ही हो चुका है, लेकिन वर्तमान में इनका संजाल कुछ ज्यादा ही विस्तृत हुआ है। इन कम्पनियों के निदेशक/संचालकों के दर्शन कर पाना मुश्किल है। ये लोग मोबाइल एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों के माध्यम से ही सम्पर्क साध कर अपनी तिजारियाँ भर रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों जैसे फैजाबाद, अम्बेडकरनगर, देवरिया, बस्ती आदि में इन कम्पनियों ने अपना आकर्षक कार्यालय खोल रखा है।
उत्तर प्रदेश सूबे के जिले अम्बेडकरनगर में मनी मार्केटिंग/मनी सर्कुलेशन बोल-चाल की भाषा में वन-टू का फोर करके लोगों को रातों-रात लखपति बनाने वाली निजी कम्पनियों की बाढ़ सी आ गई है। तरह-तरह के लुभावने वायदे करके इन कम्पनियों के संचालक एवं पदाधिकारी भोली-भाली जनता की गाढ़ी कमाई अपनी तिजोरियों में भरकर रफूचक्कर हो जाते हैं। जिले में प्रतिमाह करोड़ों का व्यवसाय कर रही इस तरह की निजी कम्पनियों के लिए यहाँ की जनता फरटाइल लैण्ड साबित हो रही है।
जिले से विगत दो-तीन वर्षों में रातों-रात फरार होने वाली कम्पनियों की गिनती दर्जनों में पहुँच चुकी है बावजूद इसके निवेशकर्ता और प्रशासन इससे कोई सबक नहीं ले रहा है। गत वर्ष से अब तक जिले में कुछ कम्पनियों के विरूद्ध उसके एजेन्ट तथा ग्राहक/निवेशकर्ता/उपभोक्ता पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारियों से शिकायत भी कर चुके हैं। वर्तमान समय में जिले में छोटी-बड़ी मिलाकर तकरीबन सौ कम्पनियाँ व्यवसाय कर रही हैं। उपभोक्ताओं का धन दो गुना-चौगुना करने का लालच देकर ये निजी कम्पनियाँ करोड़ों का वारा-न्यारा कर रही हैं। गैर प्रान्तों तथा जिलों से यहाँ तैनात कम्पनियों के अधिकारी/अभिकर्ता बनाए जाने के लिए जिले के बेरोजगार युवाओं को अपना निशाना बनाते हैं। इन्हें अच्छे कमीशन व वेतन का लालच देकर उपभोक्ता बनाने तथा उनसे बड़ी से बड़ी रकम निवेश कराने के लिए दबाव बनाते हैं। उपभोक्ता इनकी चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर अपने धन का निवेश करके जल्द से जल्द लखपति बनने का सपना देखने लगते हैं। जब इनके निवेश किए धन की परिपक्वता तिथि आती है, तो ऐसी दशा में ये कम्पनियाँ भुगतान करने में अपने हाथ खड़ा कर देती हैं।
चिटफण्ड कम्पनी प्रोग्रेस ग्रुप का कार्यालय सीज
उल्लेखनीय है कि विगत वर्षों से जिले में अपना व्यवसाय जमाने वाली रामेल, प्रोग्रेस, डॉल्फिन, वेल्किन, आर्किड आदि कम्पनियाँ यहाँ की भोली-भाली जनता से अब तक अरबों रूपया ऐंठ कर फरार हो चुकी हैं। अब इन कम्पनियों के भव्य आफिसों में प्रशासनिक ताले लगने शुरू हो गए हैं। इसी क्रम में गत दिवस प्रोग्रेस कल्टीवेशन लिमिटेड कम्पनी के जिले में संचालित सभी कार्यालयों को पुलिस ने जिलाधिकारी के आदेश पर सील कर दिया। जमा धनराशि का भुगतान न करने के चलते अकबरपुर कोतवाली क्षेत्र स्थित गाँधीनगर, निकट बस स्टेशन मंे संचालित प्रोग्रेस ग्रुप कम्पनी पर एजेन्टों की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। डी.एम. के निर्देश पर पुलिस ने कम्पनी के अकबरपुर, जलालपुर एवं टाण्डा स्थित कार्यालयों को सील कर कंप्यूटर, रजिस्टर, कैशबुक एवं सदस्यता पत्रावली आदि कब्जे में ले लिया।