डॉ डीपी शर्मा ने अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में चैटजीपीटी एवं गूगलबार्ड पर अपना नज़रिया रखते हुए कहा की तकनीकी विकास तंत्र जैसे चैटजीपीटी एवं गूगलबार्ड के कारण दुनियां कहीं किसी खतरनाक मोड पर तो नहीं ?
प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रबंधन में हालिया प्रगति पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीआरएटीएसएम 2023), मुंबई शहर में आयोजित हुआ। इसका एक मुख्य उद्देश्य तकनीकी बाधाओं को हल करने के चरणों में सतत विकास को बढ़ावा देना था।
कांफ्रेंस के उद्घाटन सत्र में कीनोट स्पीकर के रुप में बोलते हुए अंतरराष्ट्रीय डिजिटल डिप्लोमेट, वैज्ञानिक एवं स्वच्छता मिशन के प्रधानमंत्री द्वारा मनोनीत नेशनल एंबेसडर डॉ डीपी शर्मा ने कहा कि दुनिया अब तकनीकी विकास के एक ऐसे मोड़ पर आ खड़ी हुई है जहां से हमें इसके मानव उपयोगी बनाने के पहलुओं पर पुनर्विचार कर इसके दुष्प्रभावों को नियंत्रित करने के मिशन पर काम करना होगा।
An Untold Story about the Struggle and Determination of Dr. DP Sharma
उन्होंने अभी हाल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के द्वारा नवीन तकनीकी सॉफ्टवेयर के विकास जैसे ओपन एआई चैटजीपीटी एवं गूगलबार्ड के दुष्प्रभाव पर चर्चा करते हुए कहा कि यदि हमने स्वयं को रिइन्वेंट नहीं किया और तकनीक का अंधानुकरण किया तो यह तकनीक आने वाली जनरेशन को नकारा और आलसी भी बना सकती है।
हम तकनीकी विकास की दुनियां में पीछे नहीं जा सकते मगर जो तकनीकी विकास हो रहा है उसको 360 डिग्री के एंगल पर विश्लेषण कर उसके लाभ और हानि पर नियंत्रण कर सकते हैं। हमें सिर्फ 180 डिग्री भविष्य पर ध्यान ना दे कर 180 डिग्री इतिहास पर भी गौर करना होगा ताकि तकनीक को अभिशाप के बजाय वरदान बनाया जा सके।
इस कॉन्फ्रेंस में उज़्बेकिस्तान, फिलीपींस एवं यूनाइटेड स्टेट्स के अलावा अन्य कई देशों के वैज्ञानिकों ने अपने रिसर्च का प्रेजेंटेशन किया।