हम तो भई शुरू से ही विज्ञान के विद्यार्थी रहें तो ‘हमिंग बर्ड’ का नाम तो सुन रखे काफी पहले से कि ये इंद्रधनुषी रंगों वाली दुनिया की सबसे छोटी चिड़िया होती हैं जो अपने लघु आकार के कारण हर दिशा में उड़ने की क्षमता रखती हैं और उसी तरह से उसके बारे में जानते हैं… पर, इस पर ‘काव्यमय’ सृजन भी किया सकता हैं न सोचा, न जाना लेकिन ‘बिहारी’ तो होते ही हैं सबसे अलग… तो ‘मुकेश कुमार सिन्हा’ जो अब कोई गुमनाम या अपरिचित नाम नहीं हैं क्योंकि उनकी लिखी ‘हमिंग बर्ड’ भी अपरिमित आकाश की तरह हर सीमा-सरहद को पार कर देश-विदेश सब जगह अपनी ही गति से उड़ान भर रही हैं तो फिर हमारे घर क्यों न आती… बस, प्यार से पुकारने की जरूरत थी वो उड़कर हमारे पास आ गई… इतनी अधिक इसकी चर्चा सुन रखी थी कि सब्र नहीं हो रहा था कि आखिर एक कवि हृदय ने किस तरह अपने ख्वाबों की ताबीर को इस नन्ही-सी चिड़िया के नाम पर रख अपने मनोभावों को अभिव्यक्त किया होगा… सबसे मुश्किल काम तो यही होता हैं न… ‘नामकरण’ क्योंकि यदि वो सार्थक न हो या लेखन से तालमेल न बिठा पाये या मुखर न हो तो हम उसके प्रति उतने उत्सुक नहीं हो पाते या केवल नाम ही आकर्षक हो लेकिन उसमें लिखी गयी सामग्री उतनी ही रोचक या संदेशात्मक न हो तब भी तो वो निरर्थक रहता… तो बड़ी मशक्कत के बाद तय किया गया नाम ‘हमिंग बर्ड’ आज इतना लोकप्रिय हो गया कि पहले लोग ‘गूगल’ पर पक्षी के बारे में जानकारी लेने इसे टाइप करते थे और अब इस किताब की मालूमात करने के लिये इसे इस्तेमाल करते हैं इस तरह ये किताब भी अब उसी तरह कीर्तिमान बना रही हैं नित नई उपलब्धियां हासिल कर रही हैं ।इस किताब ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हर वो चीज़ जो अपीलिंग हो फिर चाहे किसी के भी द्वारा और किसी भी जगह पर रची गयी हो बिना किसी सुनियोजित प्रचार-प्रसार के भी हर किसी के कानों तक पहुँच जाती फिर आँखें उसका दीदार करना चाहती तो हमने भी कर लिया और ‘कलेवर’ को देखा सोचा कि जब ये ही इतना प्रभावशाली, शालीन किसी संत-सा शांत गंभीर… मन में सुकूं का संचार करने वाला हैं जिसे देखते ही आत्मिक सुख मिल रहा हैं तो उसके अंदर अभिव्यक्त हृदयानुभुती भी जरुर निर्मल पवित्र मन्दिर में बजती घंटियों सी मधुर और परमेश्वर का आवाहन करती आरती के पवित्र बोलों सी होगी क्योंकि हर एक किताब रचनाकार की तपस्या का ही तो फल होती हैं लेकिन सिर्फ़ वही जिनको लिखने में या जिनका सृजन करने में उतनी ही शुचिता, त्याग एवं समर्पण किया जाता फिर वो भी तो उसी तपोफल या वरदान की भांति फलीभूत होती इसी तरह ‘हमिंग बर्ड’ मुकेश कुमार सिन्हा जी की बरसों की साधना का प्रत्यक्ष परिणाम जो कहीं से भी उस नन्ही-मुन्नी चिरैया की तरह छुटकू सी नहीं बल्कि बाज़ की तरह अपने विशाल डैने फैलाये संपूर्ण साहित्याकाश पर आच्छादित दिखाई देती हैं तभी तो आज यदि ‘हमिंग बर्ड’ का नाम लिया जाये तो भले ही कोई उस चिड़िया से नावाकिफ़ हो लेकिन इस कविताई चिरैया को हर कोई जानता हैं… इस तरह कवि महोदय ने अनजाने में ही एक तीर से दो शिकार कर लिये लोगों का अपनी लेखनी से ज्ञानवर्धन और मनोरंजन करने के साथ-साथ उनका सामान्य ज्ञान भी बढ़ा दिया… क्योंकि जो भी इस शब्द या इसके अर्थ या इस पक्षी से अनजान होंगे उन सबने कम से कम इसे जानने का प्रयास तो किया होगा कि आखिर ये बला क्या हैं ?इनके इस स्वपन को साकार करने में बहुत से लोगों ने इनका साथ दिया हैं तभी तो ये किसी का भी आभार व्यक्त न करना भूले और उन्होंने अपनी ये अनुपम कृति मैया-बाबा, दीदी-नीटू, रश्मि दी-
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अंत में यदि एक शब्द में बोलूं तो उनके इस ‘कविता संग्रह’ में ‘मुम्बईया भेलपुरी’ की तरह सबकुछ हैं… कहीं हल्की-सी मिठास… तो कहीं थोड़ा-सा तीखापन… तो कहीं खट्टापन भी मिल जायेगा… मतलब जिसको जैसा भी पसंद हैं… वैसा ही एहसास इसमें मिल जायेगा… जो पढ़ने वाले के अंतर्मन को तृप्त कर जायेगा… तो हम अब यही उम्मीद करते हैं कि ‘हमिंग बर्ड’ की तरह ये किताब भी चहुँ दिशा में उड़ती फिरे और हर घर की ‘बुक-सेल्फ’ में इसे अपने लिये ठिकाना मिलें… आमीन…शुभकामनाओं सहित… !!!
मुकेश कुमार सिन्हा
लेखक व् कवि
संग्रह : “हमिंग बर्ड”कविता संग्रह (सभीई-स्टोर पर उपलब्ध) सह- संपादन: “कस्तूरी”, “पगडंडियाँ”, “गुलमोहर”, “तुहिन”एवं“गूँज” (साझा कविता संग्रह)
प्रकाशित साझा काव्य संग्रह:1.अनमोल संचयन,2.अनुगूँज, 3.खामोश, ख़ामोशी और हम, 4.प्रतिभाओं की कमी नहीं (अवलोकन 2011), 5.शब्दों के अरण्य में , 6.अरुणिमा, 7.शब्दो की चहलकदमी, 8.पुष्प पांखुड़ी 9. मुट्ठी भर अक्षर (साझा लघु कथा संग्रह)
सम्मान:
1. तस्लीम परिकल्पना ब्लोगोत्सव (अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स एसोसिएशन) द्वारा वर्ष 2011 के लिए सर्वश्रेष्ठ युवा कवि का पुरुस्कार.
2. शोभना वेलफेयर सोसाइटी द्वारा वर्ष 2012 के लिए “शोभना काव्य सृजन सम्मान”
3. परिकल्पना(अंतर्राष्ट्रीय ब्लोगर्स एसोसिएशन)द्वारा ‘ब्लॉग गौरव युवा सम्मान’ वर्ष
2013 के लिए
4.विक्रमशिला हिंदी विद्यापीठ से हिंदी सेवा के लिए ‘विद्या वाचस्पति’ 2014 में
संपर्क -:
ई -मेल:mukeshsaheb@gmail.com , मोबाइल: +91-9971379996 , निवास: लक्ष्मी बाई नगर, नई दिल्ली 110023
वर्तमान: सम्प्रति कृषि राज्य मंत्री, भारत सरकार, नई दिल्ली के साथ सम्बद्ध I
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सुश्री इंदुसिंह‘इन्दुश्री’
लेखिका व् कवयित्री
संपर्क -:
पता : कोठारीकाम्प्लेक्स,धनारेकॉलोनी गलीन. ३, नरसिंहपुर (म.प्र.) पिनकोड– 487001 मोबाइल 9584876612 , ई-मेल: singh_indu2008@yahoo.com
शिक्षा : M.Phil. (Comp. Sc.), MCA, M.Sc(IT), M.Sc.(Botany), PGDCA, DCA,B.Sc.(Bio)
सम्प्रति : व्याख्याता (कंप्यूटरसाइंस)
प्रकाशन : ‘सारांश समयका’ (साँझाकाव्यसंग्रह), काव्यशाला (साँझा काव्य संग्रह), कविता अनवरत-३ (साँझा काव्य संग्रह), साज़ सा रंग(साँझा काव्य संग्रह), सिर्फ तुम(साँझा कहानी संग्रह), भावों की हाला (साँझा काव्य संग्रह) विभिनपत्र-पत्रिकाओंऔरसमाचार-पत्रोंमेंकविता / कहानी / आलेख और रचनायेंप्रकाशित।
सम्मान : ‘वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई साहित्य गौरव सम्मान अखंडभारत परिवा रद्वारा।
जीवन के विभिन्न पहलूओ को छूती हुयी कब अपके अंर्मन को छू जाती है पता ही नही चलता आम भाषा में आमआदमी की कविता जो सचमुच खास है …आम को खास बनाती छुटकु सी हम्मींग बर्ड ऊँची उड़ान भरती हुई..उम्मीद जगाती है..
शुक्रिया डेजी जायसवाल
शुक्रिया संपादक
इस समीक्षा के मार्फ़त मेरे हमिंग बर्ड को इतना मान देने के लिए !!
दिल से आभार रश्मि अभय आपका भी 🙂
‘हमिंग बर्ड’ सिर्फ नाम सुना था, कभी देखा नहीं..हाँ पढ़ने को जरूर मिला ‘मुकेश’ जी के संग्रह के रूप में। बहुत कम शब्दों में यही कहना चाहती हूँ कि कविता के रूप में पिरोये गए शब्द एक आम व्यक्ति के भावनाओं को बखूबी व्यक्त करने में सफल है…जितनी भी रचनायें है वो काफी ज़मीनी है और ह्रदय को छूने में सक्षम है। हर वो व्यक्ति जिसने भी इसे पढ़ा होगा उसे कहीं ना कहीं अपनी ज़िन्दगी भी नज़र आई होगी। इतने अच्छे लेखन और संग्रह के लिए ‘मुकेश’ जी को बहुत बहुत बधाई।
धन्यवाद् रश्मि अभय !