
जयपुर में आयोजित एक प्रेरणादायी आयोजन में रोटरी क्लब जयपुर बापू नगर ने “भारत को जानिए” श्रृंखला की भव्य शुरुआत की। इस ऐतिहासिक पहल का उद्देश्य हमारे प्राचीन ज्ञान, संस्कृति, और सनातन धर्म की महानता को आज के युवाओं तक पहुँचाना है। श्रृंखला की प्रथम कड़ी का आयोजन सरस्वती बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय, जवाहर नगर, जयपुर में किया गया, जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. पीएम भारद्वाज उपस्थित रहे।
प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली: एक वैश्विक मॉडल
डॉ. पीएम भारद्वाज ने अपने ओजस्वी भाषण में बताया कि प्राचीन भारत की शिक्षा व्यवस्था पूरी दुनिया में अद्वितीय थी। उन्होंने कहा कि 18वीं सदी तक भारत में 7 लाख 32 हजार गुरुकुल संचालित हो रहे थे, जो देश के कोने-कोने में गुणवत्तापूर्ण, मूल्यनिष्ठ एवं रोजगारोन्मुखी शिक्षा दे रहे थे।
इन गुरुकुलों में नैतिक मूल्यों, कौशल विकास, व्यावहारिक ज्ञान, और उद्योग से जुड़ी शिक्षा को प्राथमिकता दी जाती थी। यह शिक्षा प्रणाली केवल पाठ्यक्रम पर आधारित नहीं थी, बल्कि यह जीवन के हर पहलू को संवारने का कार्य करती थी।
सनातन धर्म: विश्व की प्राचीनतम आध्यात्मिक धरोहर
इस आयोजन में स्वामी राजेश्वरानंद जी ने सनातन धर्म पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट किया कि सनातन धर्म केवल एक धार्मिक पंथ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला है। उन्होंने बताया कि कैसे ऋग्वेद, उपनिषद, महाभारत, रामायण, और अन्य ग्रंथों में छिपे ज्ञान ने भारत को आध्यात्मिक नेतृत्व प्रदान किया।
सनातन धर्म में प्रकृति, मानव, और ब्रह्मांड के बीच संतुलन पर बल दिया गया है। यही वह सिद्धांत हैं जो आज की पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान प्रस्तुत करते हैं।
भारतवर्ष: फिर से सोने की चिड़िया बनने की ओर
डॉ. पीएम भारद्वाज ने अपने विचारों में यह स्पष्ट रूप से कहा कि भारत दोबारा “सोने की चिड़िया” और “विश्व गुरु” बनेगा। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे युवाओं को अपनी संस्कृति, शिक्षा और धर्म की जड़ों से जोड़ना अनिवार्य है, तभी हम वैश्विक मंच पर पुनः नेतृत्व स्थापित कर पाएंगे।
उन्होंने वर्तमान शिक्षा प्रणाली की आलोचना करते हुए कहा कि अब आवश्यकता है कि हम अपने प्राचीन गुरुकुल मॉडल को आधुनिक तकनीक के साथ मिलाकर एक नया दिशा तय करें।
युवा पीढ़ी के लिए श्रृंखला की महत्ता
इस कार्यक्रम के निदेशक श्री बृज बिहारी शर्मा जी ने कहा कि आज के युवाओं को भारतीय सभ्यता, संस्कृति, और धर्म की संपूर्ण जानकारी नहीं है। ऐसे में “भारत को जानिए” श्रृंखला उनके लिए एक अमूल्य अवसर है।
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जब तक हम अपनी जड़ों से जुड़ाव नहीं रखेंगे, तब तक हम न तो व्यक्तिगत रूप से आगे बढ़ पाएंगे और न ही राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकेंगे।
स्वच्छ भारत अभियान और आधुनिक तकनीक का समावेश
डॉ. पीएम भारद्वाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में चल रहे स्वच्छ भारत मिशन की सराहना की। उन्होंने डॉ. डीपी शर्मा, जो स्वच्छ भारत अभियान के राष्ट्रीय ब्रांड एंबेसडर हैं, के प्रयासों को विशेष रूप से सराहा।
डॉ. भारद्वाज ने उपस्थित छात्रों और शिक्षकों को स्वच्छ भारत मिशन में सक्रिय भागीदारी निभाने की शपथ दिलाई और साथ ही यह भी प्रेरित किया कि वे नवीनतम तकनीक, वैल्यू-बेस्ड, स्किल-बेस्ड, और इंडस्ट्री कनेक्ट एजुकेशन अपनाएं, जिससे वे रोजगार के योग्य और आत्मनिर्भर बन सकें।
तकनीक और परंपरा का अद्वितीय संगम
इस कार्यक्रम की सबसे अनूठी बात यह रही कि इसे यूट्यूब लाइव के माध्यम से 12 अन्य विद्यालयों में भी प्रसारित किया गया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि भारतीय परंपरा और आधुनिक डिजिटल युग का समागम किस प्रकार से युवाओं को जोड़ने का माध्यम बन सकता है।
रोटरी क्लब का संकल्प और योगदान
इस कार्यक्रम के आयोजन में रोटरी क्लब जयपुर बापू नगर की भूमिका अतुलनीय रही। क्लब की प्रेसिडेंट रोटेरियन मीता माथुर, डायरेक्टर बृज बिहारी शर्मा, और अन्य रोटेरियन सदस्य जैसे चंद्र महाजन, सतीश प्रसाद, सुनील कुमार भार्गव, रिंकू माथुर, एवं सोनिया नायर की सहभागिता ने इस आयोजन को एक प्रेरणास्रोत कार्यक्रम बना दिया।
125 छात्रों और शिक्षकों की भागीदारी: भविष्य के भारत की नींव
इस आयोजन में 125 से अधिक छात्र-छात्राओं और बड़ी संख्या में शिक्षकों ने भाग लेकर अपने ज्ञान, संस्कार और भविष्य निर्माण के प्रति सजगता प्रदर्शित की। उनका उत्साह यह दर्शाता है कि यदि दिशा और मार्गदर्शन सटीक हो, तो भारतवर्ष को विश्व गुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता।
निष्कर्ष: जागृति का यह संकल्प नई क्रांति का सूत्रपात
“भारत को जानिए” श्रृंखला केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत है। यह हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पास जो सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत है, वह न केवल हमें गौरव देती है, बल्कि दुनिया को राह दिखाने की क्षमता भी रखती है।
डॉ. पीएम भारद्वाज और रोटरी क्लब जयपुर बापू नगर के इस प्रयास से यह स्पष्ट होता है कि भारत फिर से अपनी गरिमा को प्राप्त करेगा, और विश्व मंच पर आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक नेतृत्व प्रदान करेगा।