देश में असहिष्णुता : यह पत्थर कहां से आया है ?

–   तनवीर जाफरी   –

                        देश में बढ़ती जा रही असहिष्णुता को लेकर इन दिनों राजनैतिक हल्क़ों में एक बड़ी बहस छिड़ी हुई है। हालांकि देश में असहिष्णुता बढऩे का article on prof mm kalburgi,article written for prof mm kalburgi,prof mm kalburgi, article on intolrence, intolrence and prof mm kalburgi, mm kalburgiआरोप लगाने वाले अधिकांश लोग देश के बहुसंख्य समुदाय के ही हैं। इनमें तमाम लेखक,बुद्धिजीवी,िफल्मकार,उद्योगपति,राजनेता, तथा बौद्धिक वर्ग के लोग शामिल हैं। परंतु यदि अल्पसंख्यक समाज का कोई विशिष्ट व्यक्ति ‘असहिष्णुता’ का शब्द अपने मुंह पर लाता है तो उसे इसी वर्ग के लोग जिनपर देश में असहिष्णुता का वातावरण पैदा करने का आरोप लग रहा है यह उसे आनन-फानन में देशद्रोही,ग़द्दार या पाकिस्तानी कहने लगते हैं और उसे देश छोडक़र पाकिस्तान जाने तक की सलाह दे डालते हैं। हालांकि दक्षिणपंथी विचारधारा रखने वाले ऐसे लोगों की इस तरह की प्रतिक्रियाएं स्वयं उनपर लगने वाले आरोपों की ही पुष्टि करती हैं कि वास्तव में इन्हीं लोगों की वजह से ही देश में असहिष्णुता बढ़ रही है। परंतु इसके बावजूद यह वर्ग स्वयं को सबसे बड़ा राष्ट्रवादी तथा राष्ट्र का हितैषी जताने से भी नहीं चूकता। सवाल यह है कि देश में बढ़ रही असहिष्णुता की बात क्या केवल शाहरूख खान या आमिर खान जैसे अल्पसंख्यक समुदाय से संबंध रखने वाले परंतु देश के सबसे लोकप्रिय समझे जाने वाले िफल्म अभिनेताओं द्वारा ही की जाती है?

देश की राजधानी दिल्ली के समीप दादरी कस्बे के बिसाहड़ा गांव में 28 सितंबर 2015 को गौमांस रखने की अफवाह फैलाकर अखलाक अहमद नामक व्यक्ति की हत्या किए जाने के बाद भारत के महामहिम राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी ने इस घटना के बाद विभिन्न अवसरों पर कई बार देश की वर्तमान चिंताजनक स्थिति पर भिन्न-भिन्न शब्दों में अपनी चिताएं ज़ाहिर कीं। धर्मनिरपेक्षता,असहिष्णुता,सांप्रदायिक सद्भाव, सर्वधर्म संभाव आदि सभी विषयों पर राष्ट्रपति महोदय अपनी बात कहते रहे हैं। यहां तक उन्हें भारतीय समाज के विभाजित होने की चिंता इतनी सताने लगी है कि उन्होंने अहमदाबाद के साबरमती आश्रम में अपने विचार व्यक्त करते हुए पिछले दिनों महात्मा गांधी के नज़रिए को पेश करते हुए अपनी बात इन शब्दों में कही कि-‘भारत की असली गंदगी सडक़ों पर नहीं बल्कि हमारे दिमाग में है। और उन विचारों को न छोड़ पाने में जो समाज को ‘वो’ और ‘हम’ में बांटते हैेंं’। स्वच्छ भारत अभियान के संदर्भ में राष्ट्रपति महोदय का कहना था कि-‘हमें अपने दिमाग की सफाई की शुरुआत भी करनी होगी’। आपने कहा कि मानवता का आधार एक-दूसरे पर भरोसा करना है। राष्ट्रपति महोदय ने यह भी कहा कि-‘हर रोज़ हम अपने आसपास अभूतपूर्व हिंसा देख रहे हैं। हिंसा के मूल में अंधकार,डर और अविश्वास है’।

भारत के राष्ट्रपति द्वारा व्यक्त किए गए उपरोक्त शब्द आिखर हमें क्या संदेश देते हैं? उन्हें किस समय,किस परिपेक्ष्य में और क्योंकर ऐेसे उपदेश देने की ज़रूरत महसूस हुई? यह तो भारत के राष्ट्रपति जैसा देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद था जिसकी वजह से तथाकथित राष्ट्रभक्तों को अपना मुंह बंद रखना पड़ा वरना राष्ट्रपति महोदय को भी न जाने क्या-क्या बातें सुननी पड़ जातीं। आिखर उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी की बारीक से बारीक गतिविधियों पर यही शक्तियां अपनी पैनी नज़र रखती ही हैं और समय-समय पर उनकी आलोचना की करती रहती हैं। नोबल शांति पुरस्कार विजेता एवं तिब्बतियों के अध्यात्मिक गुरू दलाई लामा भी कुछ दिन पूर्व देश के लोगों को सहष्णिुता व भाईचारे की सीख दे चुके हैं। देश में असहिष्णुता के मुद्दे पर चल रही बहस के मध्य दलाई लामा ने पिछले दिनों बैंगलोर में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक संगठन तवाज़ुुुन इंडिया के उद्घाटन के अवसर पर कहा कि-‘भारत को धर्मनिरपेक्षता में अपने विश्वास को मज़बूत करना चाहिए क्योंकि देश का संविधान भी इसी पर आधारति है। भारत सबसे बेहतर जगह है   जहां दुनिया के किसी भी अनय देश के मुकाबले धार्मिक सहिष्णुता का सबसे अच्छे तरीके से पालन किया जाता है। स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के बुद्धिजीवियों ने धर्मनिरपेक्षता पर आधारित संविधान की रचना की। तीन हज़ार वर्ष पहले से अहिंसा और सहिष्णुता तथा लोगों को समाज में शांति एवं एकता के साथ रहने का उपदेश देने वाले भारत के लिए कुछ नया नहीं है। इतनी शताब्दियों तक भारत धार्मिक समरसता के साथ रहा परंतु यह बहस कि धर्मनिरपेक्षता का मतलब किसी दूसरे धर्म का अनादर करना है,यह तर्कसंगत नहीं’। जिस समय दलाई लामा का यह बयान आया था उस समय भी कुछ तथाकथित राष्ट्रभक्तों ने दलाई लामा की भी आलोचना करनी शुरु कर दी थी। गोया किसी भी बड़े से बड़े व प्रतिष्ठित व्यक्ति के मुंह से उपदेश रूपी कोई वाक्य देश का वह वर्ग सुनने को तैयार ही नहीं जिसपर असहिष्णुता बढ़ाए जाने के आरोप की उंगली उठती हो।

इसी प्रकार हमारे देश में जब अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गत् वर्ष गणतंत्र दिवस परेड में मुख्यातिथि के तौर पर शिरकत की उस समय केंद्र का सत्तापक्ष इस बात के लिए स्वयं को गौरवान्वित महसूस कर रहा था कि पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति भारतीय गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्यातिथि के रूप में शरीक हो रहे हैं। परंतु जाते-जाते जब ओबामा ने सिरीफोर्ट ऑडिटेरयम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में महात्मा गांधी की शिक्षाओं तथा उसपर आधारित भारतीय संविधान के मूल्यों की दुहाई देते हुए दक्षिणपंथियों को आईना दिखाने की कोशिश की उस समय भी इन्हीं तथाकथित राष्ट्रभक्तों को काफी तकलीफ हुई। गोया विश्व का बड़े से बड़ा जि़म्मेदार व्यक्ति या संगठन ऐसा नहीं है जिसने गत् 20 महीनों के मोदी के शासनकाल में देश के बदलते हालात तथा समाज में बढ़ती जा रही भय तथा बंटवारे की भावना को लेकर अपनी चिंता का इज़हार न किया हो। नरेंद्र मोदी के ब्रिटेन दौरे के समय उनसे इस विषय पर सवाल भी पूछे गए। उन्हें ह्यूमन राईटस वायलेशन तथा असहिष्णुता संबंधी प्रश्रों का सामना करना पड़ा। अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने तो अपनी एक रिपोर्ट में यह तक कह दिया कि यदि बीजेपी के कुछ नेताओं को काबू नहीं किया गया तो यह सरकार राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी साख गंवा बैठेगी। परंतु मूडीज़ की इस रिपोर्ट के बाद भी सत्ता के नशे में चूर सत्ताधीश ऐसी प्रतिक्रियाओं के कारणों को समझने के बजाए तथा इसकी हकीकत से रूबरू होने के बजाए यह कहकर ऐसी रिपोर्ट को खारिज करते हैं कि-‘यह तो मूडीज़ के जूनियर पैनलिस्ट की अपनी राय है’।

देश में असहिष्णुता की बात करने या सद्भाव से रहने की सीख देने की जुरअत यदि कोई दूसरा करे फिर तो इन राष्ट्रभक्तों के चेहरे लाल हो जाते हैं और यह लोग उसे न जाने कैसे-कैसे अभद्र शब्दों से नवाज़ने लगते हैं। परंतु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं अपने मुंह से जैसे भी शब्दों का प्रयोग करें वे शब्द इन्हें सकारात्मक तथा देश की मान-मर्यादा को ऊंचा उठाने वाले प्रतीत होते हैं। उदाहरण के तौर पर प्रधानमंत्री ने अपनी एक विदेश यात्रा के दौरान कहा था कि-‘पहले लोग यह सोचते थे कि हमने ऐसे कौन से पाप किए जो भारत में पैदा हुए। लेकिन लोगों की यह अवधारण बदल गई है। मोदी के कहने का तात्पर्य यह था कि उनके सत्ता में आने के बाद ही भारत के लोगों की अवधारणा बदली है या उनमें सकारात्मक सोच पैदा हुई है। अन्यथा उनसे पहले तो लोगों की सोच यही थी कि उन्होंने ‘कौन सा पाप किया था जो वे भारत में पैदा हुए’। ऐसी टिप्पणी यदि किसी भी अन्य व्यक्ति ने की होती तो यही ‘राष्ट्रभक्त’ उसका जीना हराम कर देते। परंतु प्रधानमंत्री जैसे देश के सर्वोच्च पद पर बैठे हुए व्यक्ति द्वारा देश के लोगों के विषय में विदेश में जाकर ऐसा बयान देना किस कद्र शर्मनाक है। हालांकि मोदी के इस बयान की पूरे देश में भरपूर निंदा भी की गई। परंतु जो लोग असहिष्णुता की बात करने वालों को ग़द्दार,देशद्रोही जैसे शब्दों से सुशोभित किया करते थे उन लोगों ने नरेंद्र मोदी के इस ‘सद्वचन’ के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा।

लिहाज़ा देश का कौन सा व्यक्ति क्या बोल रहा है और क्यों बोल रहा है इन बातों को नापने का एक न्यायपूर्ण मापदंड होना चाहिए। किसी की बातों को उसके धर्म व जाति से जोडक़र देखने के बजाए यह सोचना चाहिए कि आिखर उसे ऐसी बात किन परिस्थितियों में और क्यों कहनी पड़ी। असहिष्णुता की बातें करने वालों का जिस स्तर पर विरोध किया जाता है विरोध करने का वह स्तर ही स्वयं इस बात का सुबूत बन जाता है कि वास्तव में देश में असहिष्णुता फैलाने वाली शक्तियां कौन हैं और उनकी मंशा क्या है? इसलिए  लोगों द्वारा उठाए जाने वाले सवालों के कारणों की पड़ताल किए जाने की ज़रूरत है न कि यह सोचने की कि अमुक व्यक्ति ने अमुक सवाल ही क्यों उठाया? बक़ौल शायर-

   सवाल यह नहीं शीशा बचा कि टूट गया-यह देखना है कि पत्थर कहां से आया है?

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Author-Tanveer-Jafri-Tanveer-Jafri-writer-Tanveer-Jafriतनवीर-जाफरीतनवीर-जाफरी,About the Author

Tanveer Jafri

Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also a recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities

Email – : tanveerjafriamb@gmail.com –  phones :  098962-19228 0171-2535628
1622/11, Mahavir Nagar AmbalaCity. 134002 Haryana

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