नई दिल्ली,
सिंहस्थ कुंभ में व्यापक विचार-विमर्श के बाद हिन्दू संगठनों और सन्तों की और से एक ज्ञापन केन्द्रीय अन्वेषण ब्योरों ।सी बी आई। को दिया गया । जिसमें सी बी आई के निदेशक श्री अनिल कुमार सिंन्हा को बघाई दी गयी की उन्होंने न केवल एन जी ओ की आड में नक्सली आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चलाने में लिप्त तीस्ता शीतलवाड जैसे देश के दुश्मनों पर शिकंजा कसा बल्कि आनन्द जोशी जैसे गृह मंत्रालय के विदेशी मुद्रा अनुदान नियमन में जुडे रिश्वत खोर अधिकारियों को भी गिरफ्त में लिया है। जो चन्द डालरों के बदले देश के दुश्मनों सी आई ए के ऐजेन्टों को नक्सली मिश्निरी आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिये आर्थिक संसाधन डालर मुहैय्या कराते थे।
ज्ञापन के बारे में बताते हुए दारा सेना के अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कहा कि हमने ज्ञापन द्वारा सी बी आई को जानकारी दी की देश में आतंकवादी एन जी ओ का एक बहुत बडा गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह में न केवल आनन्द जोशी जैसे गृह मंत्रालय के विदेशी मुद्रा अनुदान नियमन में जुडे रिश्वतखोर अधिकारी है बल्कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के जजों,वकीलों और सरकारी वकीलों को भी डालरों की झलक दिखलाकर यें आतंकवादी एन जी ओ भारत को कमजोर करने में लगाते हैं।
श्री जैन ने बताया कि इसका सबसे बडा प्रत्यक्ष सबूत हमारे सामने तब आया जब गत वर्ष मई माह में हमने देखा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के एक जज राजीव शकधर ने उस गीन पीस सोसाईटी के पक्ष में लगातार 4 फैसले दिये जिसको भारत सरकार ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाकर न केवल उसके खाते सील कर दिये बल्कि उसके विदेशी अनुदान पर रोक लगा दी। इस मामले में जब हम राष्ट्रवादी शिवसेना की ओर से हस्तक्षेपी पक्षकार बने तो हमारी हस्तक्षेप याचिका को वापिस लिया बताकर जज राजीव शकधर ने खारिज कर दिया जबकि हमने जज राजीव शकधर को कहा था कि हम अपनी दक्त याचिका वापिस नहीं लेंगे, जिसमें हमने ग्रीन पीस सोसाईटी के देशद्रोह और नक्सली मिश्निरी ईसाई आतंकवादियों से गठजोड का खुलासा किया था।
श्री जैन ने सी बी आई को आगे बताया कि उक्त जज राजीव शकधर को देशद्रोहियों का मददगार पाकर हमने जब उसका पुतला फृंका तो यह मुकदमा दिल्ली उच्च न्यायालय के दूसरे जज श्री राजीव सहाय को दिया गया। अपने मनपसन्द जज के हटते ही अगली सुनवायी पर उक्त ग्रीन पीस सोसाईटी ने मुकदमा वापिस ले लिया। जिसने न्यायपालिका के न्यायधीशों के देशद्रोहियों के गठजोड का भान्डाफौड कर दिया।उल्लेखनीय है कि इस मामले की पैरवी भारत सरकार की ओर से आनन्द जोशी द्वारा की जा रही थी।
हिन्दू संगठनों ने ज्ञापन देकर सी बी आई निदेशक श्री अनिल कुमार सिंन्हा से अनुरोध किया कि हिन्दुत्व और भारत सरकार के विरूद्ध देश में आतंकवादी एन जी ओ का एक बडा रैकेट काम कर रहा है। जो न्यायधीशों द्वारा उल्टे सीधे आदेश पारित करवा कर न केवल भारत सरकार के बजट को बर्बाद करते है बल्कि धार्मिक मामलों में न्यायालय द्वारा दखल दिलवा भारत की जनता को भारत सरकार के विरूद्ध भडकाकर देश में जन विद्रोह द्वारा अव्यवस्था फैलाना चाहते है। जिनमें हरित अधिकरण में याचिका कर्ता मनोज मिश्रा,मधु भादुडी,आनन्द आर्य,वकील एम सी मेहता,संजय पारिख,रितविक दत्ता,राहुल चैाधरी आदि शामिल हैं। जो फोर्ड फाउन्उेशन की मदद से ‘‘यमुना जीए अभियान’’ जैसी आठ-दस एन जी ओ चलाकर हरित अधिकरण के चैयरमैन श्री स्वतन्त्र कुमार को डालरो की झलक दिखला जन विद्रोह कराने में संलिप्त हैं।जिसकी समय रहते जांच जरूरी है।
सिंहस्थ कुंभ में व्यापक विचार-विमर्श के बाद हिन्दू संगठनों और सन्तों की और से एक ज्ञापन केन्द्रीय अन्वेषण ब्योरों ।सी बी आई। को दिया गया । जिसमें सी बी आई के निदेशक श्री अनिल कुमार सिंन्हा को बघाई दी गयी की उन्होंने न केवल एन जी ओ की आड में नक्सली आतंकवादी और राष्ट्र विरोधी गतिविधियां चलाने में लिप्त तीस्ता शीतलवाड जैसे देश के दुश्मनों पर शिकंजा कसा बल्कि आनन्द जोशी जैसे गृह मंत्रालय के विदेशी मुद्रा अनुदान नियमन में जुडे रिश्वत खोर अधिकारियों को भी गिरफ्त में लिया है। जो चन्द डालरों के बदले देश के दुश्मनों सी आई ए के ऐजेन्टों को नक्सली मिश्निरी आतंकवादी गतिविधियां चलाने के लिये आर्थिक संसाधन डालर मुहैय्या कराते थे।
ज्ञापन के बारे में बताते हुए दारा सेना के अध्यक्ष श्री मुकेश जैन ने कहा कि हमने ज्ञापन द्वारा सी बी आई को जानकारी दी की देश में आतंकवादी एन जी ओ का एक बहुत बडा गिरोह सक्रिय है। इस गिरोह में न केवल आनन्द जोशी जैसे गृह मंत्रालय के विदेशी मुद्रा अनुदान नियमन में जुडे रिश्वतखोर अधिकारी है बल्कि सर्वोच्च और उच्च न्यायालय के जजों,वकीलों और सरकारी वकीलों को भी डालरों की झलक दिखलाकर यें आतंकवादी एन जी ओ भारत को कमजोर करने में लगाते हैं।
श्री जैन ने बताया कि इसका सबसे बडा प्रत्यक्ष सबूत हमारे सामने तब आया जब गत वर्ष मई माह में हमने देखा कि दिल्ली उच्च न्यायालय के एक जज राजीव शकधर ने उस गीन पीस सोसाईटी के पक्ष में लगातार 4 फैसले दिये जिसको भारत सरकार ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाकर न केवल उसके खाते सील कर दिये बल्कि उसके विदेशी अनुदान पर रोक लगा दी। इस मामले में जब हम राष्ट्रवादी शिवसेना की ओर से हस्तक्षेपी पक्षकार बने तो हमारी हस्तक्षेप याचिका को वापिस लिया बताकर जज राजीव शकधर ने खारिज कर दिया जबकि हमने जज राजीव शकधर को कहा था कि हम अपनी दक्त याचिका वापिस नहीं लेंगे, जिसमें हमने ग्रीन पीस सोसाईटी के देशद्रोह और नक्सली मिश्निरी ईसाई आतंकवादियों से गठजोड का खुलासा किया था।
श्री जैन ने सी बी आई को आगे बताया कि उक्त जज राजीव शकधर को देशद्रोहियों का मददगार पाकर हमने जब उसका पुतला फृंका तो यह मुकदमा दिल्ली उच्च न्यायालय के दूसरे जज श्री राजीव सहाय को दिया गया। अपने मनपसन्द जज के हटते ही अगली सुनवायी पर उक्त ग्रीन पीस सोसाईटी ने मुकदमा वापिस ले लिया। जिसने न्यायपालिका के न्यायधीशों के देशद्रोहियों के गठजोड का भान्डाफौड कर दिया।उल्लेखनीय है कि इस मामले की पैरवी भारत सरकार की ओर से आनन्द जोशी द्वारा की जा रही थी।
हिन्दू संगठनों ने ज्ञापन देकर सी बी आई निदेशक श्री अनिल कुमार सिंन्हा से अनुरोध किया कि हिन्दुत्व और भारत सरकार के विरूद्ध देश में आतंकवादी एन जी ओ का एक बडा रैकेट काम कर रहा है। जो न्यायधीशों द्वारा उल्टे सीधे आदेश पारित करवा कर न केवल भारत सरकार के बजट को बर्बाद करते है बल्कि धार्मिक मामलों में न्यायालय द्वारा दखल दिलवा भारत की जनता को भारत सरकार के विरूद्ध भडकाकर देश में जन विद्रोह द्वारा अव्यवस्था फैलाना चाहते है। जिनमें हरित अधिकरण में याचिका कर्ता मनोज मिश्रा,मधु भादुडी,आनन्द आर्य,वकील एम सी मेहता,संजय पारिख,रितविक दत्ता,राहुल चैाधरी आदि शामिल हैं। जो फोर्ड फाउन्उेशन की मदद से ‘‘यमुना जीए अभियान’’ जैसी आठ-दस एन जी ओ चलाकर हरित अधिकरण के चैयरमैन श्री स्वतन्त्र कुमार को डालरो की झलक दिखला जन विद्रोह कराने में संलिप्त हैं।जिसकी समय रहते जांच जरूरी है।