– तनवीर जाफरी –
इंडोनेशिया तथा पाकिस्तान के बाद भारतवर्ष पूरे विश्व में मुस्लिम जनसंख्या वाला तीसरा सबसे बड़ा देश है। दुनिया में आतंकवाद का व्यापार चलाने वाले कई अंतर्राष्ट्रीय संगठनों की बुरी नज़रें भारत की ओर भी पड़ती रहती हैं। यह शक्तियां कभी 6 दिसंबर 1992 के बाबरी मस्जिद विध्वंस की याद दिलाकर,कभी कश्मीर में आतंकवादियों के विरुद्ध हो रही सैन्य कार्रवाई के नाम पर तो कभी 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित हिंसक वीडियो दिखलाकर भारतीय मुसलमानों को वरगलाने की कोशिश में लगी रहती हैं। कभी-कभी ऐसे समाचार भी सुनने को मिलते हैं कि आतंकवादी संगठन आईएसआईएस ने भारत में मुस्लिम युवकों को अपने साथ जोडऩे के लिए भर्ती केंद्र संचालित करने के प्रयास किए। परंतु तमाम कोशिशों के बावजूद भारतीय मुसलमान अभी भी ऐसे सभी दुष्चक्रों से पूरी तरह से सुरक्षित है। इसकी सबसे बड़ी वजह यही है कि 1947 में पाकिस्तान के धर्म आधारित विभाजन के बावजूद भारत को ही अपनी जन्म-कर्म एवं मरणभूमि समझने वाले मुसलमानों के एक बड़े हिस्से ने भारतवर्ष को ही मादर-ए-वतन स्वीकार करते हुए इसकी रक्षा,प्रगति,विकास तथा खुशहाली का संकल्प लिया। 1947 के बाद भारत में आज तक कोई भी ऐसा संगठन अथवा राजनैतिक दल बनाने की कोशिश मुस्लिम समाज द्वारा नहीं की गई जिसके झंडे व बैनर तले देश के हर वर्ग का मुसलमान एकजुट हो। निश्चित रूप से यह हमारे देश के सर्वधर्म संभाव व सांप्रदायिक सौहाद्र की ही एक सबसे बड़ी मिसाल समझी जा सकती है कि स्वतंत्रता से लेकर अब तक देश में मुस्लिम समाज का नेतृत्व प्राय:देश के धर्मनिरपेक्ष हिंदू नेताओं के हाथों में ही रहा है।
परंतु गतृ दो दशकों से मुस्लिम जगत के दिन-प्रतिदिन खराब होते जा रहे माहौल तथा कई देशों में जारी गृहयुद्ध,हिंसा तथा सत्ता संघर्ष के हालात ने पूरी दुनिया में इस्लाम धर्म को बड़े ही सुनियोजित तरीके से आतंकवाद को प्रेरित करने वाला धर्म प्रचारित करने की कोशिश की है। इस्लाम धर्म को नीचा दिखाने की कोशिश में लगी यह इस्लाम विरोधी ताकतें इस्लाम से संबंधित महापुरषों के त्याग,तपस्या,बलिदान तथा सौहाद्र व मानवता की दास्तानें दोहराने के बजाए यह बताने की कोशिश करती हैं कि हिंसा व आतंकवाद इस्लाम धर्म की शिक्षाओं में शामिल है। कई बार यह आरोप भी लगाए जाते हैं कि कुरान शरीफ हिंसा तथा आतंकवाद के लिए मुस्लिम समाज को प्रेरित करता है। ऐसे में पूरी दुनिया को यह बताना बेहद ज़रूरी है कि इस्लाम को बदनाम करने की जो साजि़श इस्लाम विरोधी शक्तियों द्वारा रची जा रही है वह गलत,बेमानी,सुनियोजित तथा बेबुनियाद हैं। और इस काम को अंजाम देने के लिए एक तो मुसलमानों के विभिन्न वर्गों का खासतौर पर विभिन्न वर्गों के धर्मगुरुओं का एकजुट होना बेहद ज़रूरी है तथा इन्हीं धर्मगुरुओं का ही यह कर्तव्य भी है कि वे एक मंच पर आकर मुस्लिम एकता का परिचय देते हुए स्वयं इस्लामी धर्मग्रंथों व इस्लाम के इतिहास के माध्यम से दुनिया को यह बताने व समझाने की कोशिश करें कि इस्लाम का आतंकावाद से कोई लेना-देना नहीं बल्कि इस्लाम आतंकवाद या हिंसा के सख्त िखलाफ है।
हालांकि भारत में इस्लाम धर्म के अलग-अलग वर्गों के धर्मगुरुओं द्वारा देश में कई बार आतंकवाद विरोधी सम्मेलन आयोजित कर दुनिया को यह संदेश देने की कोशिश की जा चुकी है कि भारतीय मुसलमान आतंकवाद या ऐसी किसी भी हिंसक गतिविधियों के सख्त िखलाफ हैं। यहां तक कि भारतीय मुसलमानों द्वारा मुंबई में मारे गए पाकिस्तानी आतंकवादियों को दफन करने के लिए कब्रिस्तान में जगह देने से ही इंकार कर दिया गया था। परंतु गत् कई वर्षों से उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से व्यापक मुस्लिम एकता तथा मुस्लिम जगत द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हें। लखनऊ से अक्सर ऐसी खबरंे आती रहती हैं कि शिया व सुन्नी जमात के कुछ अमनपसंद धर्मगुरुओं द्वारा अपनी सामुदायिक संकीर्णताओं को त्याग कर एक-दूसरे की मस्जिदों में एक-दूसरे समुदाय के इमामों के पीछे नमाज़ पढऩे का सिलसिला शुरु किया गया है। देश के कई सुप्रसिद्ध शिया व सुन्नी उलेमा ऐसे प्रयासों में दिन-रात लगे हुए हैं। गत् दिनों एक ऐसा ही सफल प्रयास लखनऊ के बड़ा इमामबाड़ा में आयोजित आतंकवाद विरोधी शिया-सूफी सम्मेलन में देखने को मिला। खबरों के मुताबिक़ इस सम्मेलन में देश के विभिन्न क्षेत्रों से विभिन्न वर्गों के मुस्लिम धर्मगुरु तो शामिल हुए ही साथ-साथ इस सम्मेलन में कई हिंदू धर्मगुरुओं ने भी शिरकत की। इस सम्मेलन में उपस्थित समस्त धर्मगुरुओं ने एक स्वर से आतंकवाद की निंदा की तथा इस्लाम धर्म से आतंकवाद का किसी प्रकार का भी संबंध होने जैसे बेबुनियाद आरोपों को खारिज किया।
इस सम्मेलन की विशेषता यह भी रही कि इसमें मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सदस्य तथा उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री तथा डा० दिनेश शर्मा उपस्थित रहे। चूंकि लखनऊवासी डा० शर्मा लखनऊ की सांझी तहज़ीब से भलीभांति परिचित हैं इसलिए उन्होंने अपने भाषण में अपने अनुभव तथा इतिहास के पन्नों को सांझा करते हुए जो बातें कहीं वह न केवल मुस्लिम एकता के लिए अनुकरणीय थीं बल्कि इससे यह भी ज़ाहिर हो रहा था कि भारतीय संस्कृति केवल मुस्लिम एकता का ही संदेश नहीं देती बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता की भी सबसे बड़ी धरोहर है। डा० शर्मा ने कहा कि यह सम्मेलन प्रमाणित करता है कि देश का अल्पसंख्यक अपनी मातृभूमि के लिए कितना चिंतित व गंभीर है। उन्होंने यह भी कहा कि हुसैनी वह है जो आतंकवाद का मुकाबला करता है और मानवता की राह में अपना सबकुछ न्यौछावर कर देता है। उन्होंने इस अवसर पर एपीजे अब्दुल कलाम की राष्ट्र के प्रति कुर्बानियों को भी याद किया। उपमुख्यमंत्री ने बहादुरशाह ज़फर की कुर्बानी की भी याद दिलाई। उन्होंने यह भी याद किया कि नवाब आसिफुद्दौला किस प्रकार ईद व रामलीला एक साथ मनाते थे तथा सरकारी खज़ाने से ही रामलीला भी हुआ करती थी। उन्होंने अवध के नवाब द्वारा रामलीला व ईदगाह हेतु ज़मीन दिए जाने जैसे सौहाद्रपूर्ण फैसलों की भी याद दिलाई।
निश्चित रूप से आज हमारे देश में इस प्रकार के धार्मिक व सामुदायिक स्तर के एकता व सौहाद्र्र पर आधारित सम्मेलनों की सख्त ज़रूरत है। देश में किसी भी धर्म के अनुयाईयों द्वारा कहीं भी हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा हो तो यह उसी धर्म के दूसरे शांतिप्रिय सदस्यों का ही दायित्व है कि वे अपने स्तर पर अपने ही समाज के लोगों को आतंकवाद व हिंसा के विरुद्ध एकजुट करने का प्रयास करंे। इसमें कोई संदेह नहीं कि लगभग सभी धर्मों व वर्गों के मध्य उनसे संबंधित धर्मगुरु अपने-अपने समाज पर अच्छा प्रभाव रखते हैं। ऐसे में सभी धर्मगुरुओं व धर्मोपदेशकों का यह कर्तव्य है कि वे अपने अनुयाईयों को धर्म व इतिहास संबंधी विवादित विषयों को बताने या उनसे प्रेरणा लेने से बाज़ आएं तथा बजाए इसके धर्म एवं इतिहास की उन घटनाओं से समाज को अवगत कराया जाए जो परस्पर सौहाद्र्र व भाईचारे की प्रेरणा देती हैं। नि:संदेह आतंक तथा हिंसा किसी भी धर्म की शिक्षाओं का अंग नहीं है। लिहाज़ा आतंक व हिंसा की राह पर चलने वाले या इसे प्रोत्साहित करने वाले लोग स्वयं को धार्मिक कहने के अधिकारी हरगिज़ नहीं हैं।
Tanveer Jafri
Columnist and Author
Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.
He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities.
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