एक गुफ्तगू, इंडस्ट्री एवं एकेडमिया के राष्ट्रीय लिंकेज के कर्मयोगी एवम् प्रेरक व्यक्तित्व श्री पी एम भारद्वाज के साथ।
सुना है कि आप नई शिक्षा नीति 2020 के आने से पहले ही इस आवश्यकता को महसूस कर चुके थे कि देश के सर्वांगीण विकास एवं उत्थान के लिए इंडस्ट्री एवं एकेडेमिया को एक दूसरे के नजदीक आना चाहिए। इस विजन एवं मिशन को मूर्तरूप देने के लिए आपने अपनी सेवानिवृत्ति के बाद भारद्वाज फ़ाउंडेशन की स्थापना की तथा इस विजन को हकीकत के धरातल पर उतारने के मिशन में जुट गए।
1.आप अपने जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि के बारे में बताएं कि आपने किस प्रकार अपनी शिक्षा दीक्षा के बाद प्रोफेशनल दुनिया में प्रवेश किया और अनेक महत्वपूर्ण पदों पर काम करते हुए देश की प्रगति में योगदान दिया।
… मेरा जन्म 13 फरवरी 1954 को श्री गंगानगर, राजस्थान में हुआ। मेरे जन्म के समय मेरे पिता राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट, सिंचाई विभाग श्री गंगानगर में अधिशासी अभियंता के पद पर कार्यरत थे।वे धार्मिक, आध्यात्मिक के साथ बहुत ईमानदार व्यक्ति थे। वे स्मार्ट एवं हार्ड वर्क में विश्वास करते थे। वे मेरे पहले गुरु एवं आदर्श थे। हम नौ भाई- बहन थे एवं पिताश्री के ईमानदार होने की वजह से मेरा बचपन आर्थिक मजबूरियों में बीता, लेकिन माता – पिता द्वारा प्रदत्त संस्कारों ने मुझे लगन, ईमानदारी और अथक परिश्रम के अतुलनीय धन से समृद्ध कर दिया। मैंने इंजीनियरिंग की डिग्री वर्ष 1975 में मोतीलाल नेहरू इंजीनियरिंग कॉलेज, इलाहाबाद से प्राप्त की।
वर्ष1977 में मेरी शादी हुई। मेरी पत्नी के पिता एक आई ए एस अधिकारी थे एवं वे भी ईमानदार, आध्यात्मिक और धर्म परायण व्यक्ति थे जिस कारण सौभाग्य वश मुझे मेरे अनुकूल संस्कारित पत्नी मिली।हम सहज सहयोगिनी दो बेटियों के गौरवान्वित पालक हैं।
2. अपने व्यवसायिक जीवन यात्रा के दौरान संघर्ष,समस्यों और उनके निदान के बारे में बताएं।
….मैनें भारत सरकार की प्रतिष्ठित कंपनी इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड, कोटा में मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में कार्य शुरू किया। जहां एक ही छत के नीचे तकरीबन 700 इंजीनियर एक साथ कार्य करते थे। उस समय कंपनी देश- विदेश के बड़े प्रोजेक्ट करती थी। मुझे सौभाग्य वश बहुत अच्छे प्रोजेक्ट एवं तकरीबन संस्थान के सभी विभागों जैसे प्रोडक्शन, क्वालिटी एश्योरेंस, ह्यूमन रिसोर्स, इंजीनियरिंग, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, मैटेरियल मैनेजमेंट एवं एप्लीकेशन इंजीनियरिंग आदि में काम करने का मौका मिला। सभी डिपार्टमेंट में मैंने कुछ ना कुछ लीक से हटकर काम करने की कोशिश की एवं अपनी विशेष उपलब्धि दर्ज कराई। धीरे धीरे मेरी छवि, ईमानदारी, मेहनत, हार्ड व स्मार्ट वर्क की वजह से ट्रबल शूटर की बन गई। सिद्धांतवादी व ईमानदार होने की वजह से मुझे काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ा। लेकिन ईश्वर प्रदत्त आत्मबल से मैं सदैव आगे बढ़ता गया।जो भी काम मुझे दिया जाता था उसे मैं पूर्ण निष्ठा और सावधानी से करता रहा।
3.मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में शुरुआत करके आप भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र के चार संस्थानों के एम डी/ सी एम डी के पद पर रहे। इसका श्रेय आप अपने किन गुणों को देते हैं कृपया बताएं।
….ऊपर वर्णित गुणों एवम् कार्य पद्धति का पालन करते हुए संस्थान के उच्च अधिकारियों व आम जन में मेरी छवि एक कर्मठ, संवेदनशील, कोस्ट कोन्शियस, स्किलफुल अधिकारी के रूप में बनती चली गई जिससे अंत में मुझे सरकार द्वारा संस्थान के उच्चतम पद एम डी/सी एम् डी की जिम्मेदारी भी सौंपी गई जिसे मैंने बहुत ईमानदारी और सक्रियता से निभाया।
4.इतने बड़े पदों से सेवानिवृत्त होने के बाद किस प्रेरणा और विचार से भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर की स्थापना की।
….. भारत सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र की 4 संस्थाओं के एमडी / सीएमडी के रूप में काम करते हुए महसूस किया कि उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार शैक्षणिक संस्थाएं छात्रों को शिक्षा नहीं दे रही थी। कई सारे उद्योग भी समय-समय पर नवीन तकनीक काम में नहीं ले पा रहे थे।व्यवहारिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी कमी महसूस की। स्किल डेवलपमेंट पर ध्यान नहीं दिया जा रहा था। रिसर्च एवं डेवलपमेंट में नए आविष्कारों के लिए उचित प्रेरणा और दिशा निर्देश दिए जाने की कमी थी। इंडस्ट्री और शैक्षणिक संस्थानों में सामंजस्य की कमी के कारण स्नातक छात्रों में उद्योग जगत के अनुसार प्रायोगिक ज्ञान और कुशलता का अभाव था। अतः इस दूरी को पाटने हेतु तथा अर्जित ज्ञान एवं अनुभव को समाज में बांटने के लिए मैंने वर्ष 2013 में भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर की स्थापना की।इस संस्था से निस्वार्थ, अवैतनिक रूप से भारत के कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों के कुलपति, उद्योग जगत के मुख्य अधिकारी, वाणिज्यिक संगठनों के पदाधिकारी जुड़े हुए हैं जिनके प्रति मैं तहे – दिल से आदर और आभार प्रकट करता हूं।
5. भारद्वाज फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे विभिन्न कार्यों के बारे में विस्तार से बताएं।
… भारद्वाज फाउंडेशन जयपुर द्वारा कई कार्य किए जा रहे हैं जैसे……
i.. स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी मैं लीडरशिप मैनेजमेंट स्पिरिचुअलिटी एवं लेटेस्ट टेक्निकल इश्यूज के बारे में व्याख्यान एवं कार्यशाला आयोजित की जा रही हैं।
ii.. युवा सशक्तिकरण एवं महिला सशक्तिकरण के बारे में तरह-तरह के प्रोग्राम आयोजित किए जा रहे हैं।
iii.. ब्लड डोनेशन कैंप, गरीब व असहाय लोगों को निशुल्क भोजन व कपड़े वितरण आदि।
iv.. इंडस्ट्री एवं शैक्षणिक संस्थाओं की इंटरफेसिंग के लिए कार्यक्रम जिसमें शैक्षिक संस्थाओं कुलपति, आचार्य, उद्योगपति,प्रोफेशनल्स,वाणिज्यिक संगठनों के पदाधिकारी और अन्य प्रबुद्ध जन सक्रिय भाग लेकर विचार मंथन और एमओयू के माध्यम से कार्य निष्पादन कर रहे हैं।
6.भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर द्वारा उद्योग जगत और शैक्षणिक संस्थानों के इंटरफेसिंग के लिए अभी तक क्या-क्या कार्य किए गए हैं? इनसे क्या लाभ हुआ है? एवं आगे की रूपरेखा क्या है?
….. मेरा यह स्पष्ट रुप से मानना है कि जब तक शैक्षणिक संस्थाएं उद्योगों की आवश्यकताओं के अनुसार छात्रों को शिक्षा नहीं देंगी एवं उद्योग समय-समय पर लेटेस्ट उपलब्ध तकनीकी को उपयोग में नहीं लेंगे भारतवर्ष विश्व में सुपर पावर नहीं बन पाएगा। भारतवर्ष एक युवा देश है एवं सुपर पावर बनने के लिए सभी तरह की क्षमता मौजूद है! छात्रों में सही तरह के टैलेंट पैदा कर उन्हें उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार समायोजित किया जा सकता है एवं इससे भारत विश्व मैं सुपर पावर के रूप में स्थान बना सकता है।
अनगिनत संख्या में व्याख्यान के अलावा राष्ट्रीय स्तर के 31 प्रोग्राम भारद्वाज फाउंडेशन, जयपुर बड़ी-बड़ी शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योगों के साथ मिलकर आयोजित कर
चुका है।
मुख्य रूप से महर्षि अरविंद शैक्षणिक संस्थान, मणिपाल यूनिवर्सिटी जयपुर, जेके लक्ष्मीपत यूनिवर्सिटी, जयपुर नेशनल यूनिवर्सिटी, डॉ के एन मोदी यूनिवर्सिटी, बीकानेर टेक्निकल यूनिवर्सिटी, एआईसीटीई, स्वामी केशवानंद इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, इंस्टीट्यूशन आफ इंजिनियर्स, माइनिंग इंजीनियर एसोसिएशन ऑफ इंडिया , एंपलॉयर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान , राजस्थान चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री व आर्य ग्रुप ऑफ़ कॉलेजेस कूकस के साथ आयोजित किए गए हैं। राष्ट्रीय स्तर के इन सभी कार्यक्रमों में शैक्षणिक संस्थानों एवं उद्योगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया है। प्रोग्राम को प्रेस एवं मीडिया का भी भरपूर सहयोग मिला है। कई प्रोग्रामों में राजस्थान राज्य सरकार एवं भारत सरकार के मंत्रियों ने भी भाग लिया है और हाल में 8 दिसंबर को आयोजित 31वें प्रोग्राम में राजस्थान के राज्यपाल श्री कलराज मिश्र मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए और उन्होंने भारद्वाज फाउंडेशन के राष्ट्र निर्माण के प्रोग्रामों की भूरी – भूरी प्रशंसा की थी।
7.अगले 5 सालों में आप उद्योगों व शैक्षणिक संस्थाओं को किस स्थिति में देखना चाहते हैं ।
… उद्योगों एवं शैक्षणिक संस्थानों को एक दूसरे से हाथ मिला कर आगे बढ़ना चाहिए | शैक्षणिक संस्थान पाठ्यक्रम तैयार करते समय उद्योग से प्रतिनिधि कमेटी में रखें एवं उनकी सलाह जरूर माने साथ में सभी उद्योग शैक्षणिक संस्थाओं से आधुनिक तकनीक के बारे में जानकारी समय-समय पर हासिल करते रहें। रिसर्च भी कॉलेजों द्वारा उद्योगों की आवश्यकता के अनुसार नहीं हो रही है अतः कॉलेजों को उद्योगों की समस्याओं के हिसाब से रिसर्च करनी चाहिए।उद्योगों की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों की नियुक्ति शैक्षणिक संस्थाओं एवं शैक्षणिक संस्थाओं के लोगों की नियुक्ति उद्योगों में समय समय पर होनी चाहिए।
8. आप इंडस्ट्रियल एडवाइजरी बोर्ड भारत सरकार के साथ साथ एआईसीटीई जैसे शीर्ष संस्थान की राष्ट्रीय इंटर्नशिप कमेटी के भी सदस्य हैं। देश के उत्थान के लिए किस तरह का रोड मैप इंडस्ट्री एवं एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के लिए बनाना चाहिए,सरकार से आपकी क्या अपेक्षा है?
…. मैं पुरजोर शब्दों में कहना चाहता हूं कि जब तक हमारे देश का नॉलेज बैंक जो कि बहुत बड़ा है, औद्योगिक विकास की यात्रा से नहीं जुड़ेगा तब तक भारत सुपर पर नहीं बन पाएगा।शैक्षणिक संस्थान के अंदर कार्यरत लोगों को अपना ज्ञान उद्योग के विकास में लगाना पड़ेगा। ऐसे ही उद्योग जगत के लोगों को शैक्षणिक संस्थाओं की मदद करनी होगी। सरकार को चाहिए कि राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर उद्योग एवं शैक्षणिक संस्थाओं की इंटरफेसिंग को अनिवार्य करें। सरकार को एक मॉनिटरिंग बोर्ड की स्थापना करनी चाहिए जो कि इस बात का पूरा ध्यान रखें कि शैक्षणिक संस्थाएं एवं उद्योगों के बीच में इंटरफेसिंग हो अथवा नहीं।
9. युवा सशक्तिकरण के बारे में आप क्या कर रहे हैं।
….. आजकल मैं खासतौर से यह महसूस कर रहा हूं कि युवा शक्ति निराशा के दौर से गुजर रही है। मेरा ऐसा मानना है कि अगर युवा वर्ग स्किल्ड होगा मगर मोटिवेटेड नहीं होगा तो भी वह काम ढंग से नहीं कर पाएगा। बगैर मोटिवेशन के युवा स्किल्स का सही उपयोग नहीं कर पाएंगे।अतः युवा सशक्तिकरण के लिए मेरे हिसाब से सबसे ज्यादा जरूरी है कि युवाओं को निराशा के दौर से बाहर निकाला जाए एवं जो भी अनुभवी लोग हैं वह अपने ज्ञान के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करें, उनका सही मार्गदर्शन करें जिससे युवाओं का सशक्तिकरण हो सके।उन्हें नौकरी के बजाय व्यवसायिक बनने की प्रेरणा और सहयोग की नितांत आवश्यकता है जिससे वे काम मांगने वाले के बजाय काम देने वाले बन सकें।
10. विश्व के उत्थान के लिए आप अपने व्याख्यान में लगातार बोलते आए हैं कि साइंस व स्पिरिचुअलिटी को नजदीक लाना होगा, तभी विज्ञान का सही उपयोग हो पाएगा । इन तथ्यों, सत्यों एवं कृत्यों में आपका इस योगदान है।
…… खाली वैज्ञानिक उत्थान से देश का उत्थान नहीं हो पाएगा क्योंकि अगर हमने विज्ञान में तरक्की कर भी ली लेकिन आध्यात्मिक उन्नति नहीं हुई तो विज्ञान का उपयोग गलत ढंग से किया जाएगा अतः जरूरी है कि विज्ञान में तरक्की के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान भी होना चाहिए ताकि विज्ञान का सही उपयोग विश्व उत्थान के लिए किया जा सके |
11. कोई विशेष संदेश जो आप देना चाहें।
…. मैं यहां सद्गुरु संत कबीर का एक दोहा उद्धृत करना चाहूंगा……
तरुवर, सरवर, संत जन और चौथा बरसे मेह।
परमारथ के कारने चारों धारी देह।।
यानी कि पेड़, तालाब, संत जन और पानी भरे हुए बादलों की तरह परमारथ के काम करने चाहिए समाज को हरदम देने के लिए तत्पर रहना चाहिए एवं जॉय ऑफ गिविंग को समझना चाहिए।अगर हम लेने के बजाए देने की भावना रखेंगे तो भगवान का भी आशीर्वाद हमें मिलेगा एवम् किसी चीज की कमी नहीं रहेगी और एक अच्छे विश्व का निर्माण भी होगा ।