विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस: क्या बंटवारे की ऐतिहासिक पीड़ाओं को समझ पाएंगी भावी पीढ़ियां?

डॉ. डीपी शर्मा व् विजय समनोत्रा
डॉ. डीपी शर्मा व् विजय समनोत्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिवर्ष 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय एक ऐतिहासिक और दूरदर्शी कदम है। यह पहल हमें 1947 के उस भयानक दौर की याद दिलाती है, जब देश का विभाजन हुआ था। इस दिन को मनाने का उद्देश्य केवल इतिहास को याद करना नहीं है, बल्कि उन लाखों लोगों के बलिदान और दर्द को सम्मान देना है, जिन्होंने इस त्रासदी में अपना सब कुछ खो दिया था। यह दिवस भावी पीढ़ियों को यह समझाने का एक अवसर प्रदान करता है कि आजादी की कीमत कितनी भारी थी।

इस ऐतिहासिक निर्णय के पीछे इंटरनेशनल वैज्ञानिक एवं डिजिटल डिप्लोमेसी एक्सपर्ट डॉ. डीपी शर्मा और पूर्व हैड ऑफ द ऑफिस ऑफ यूनाइटेड नेशंस एनवायरमेंट प्रोटेक्शन श्री विजय समनोत्रा जैसे शोधकर्ताओं का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने वर्षों के गहन शोध के बाद प्रधानमंत्री को 14 अगस्त को इस दिवस के रूप में घोषित करने का सुझाव दिया था। उनका मानना था कि यह दिवस सामाजिक सौहार्द और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने उनके प्रतिवेदन पर कार्रवाई करते हुए 14 अगस्त 2021 को इसकी घोषणा की, जिसके बाद यह दिवस प्रतिवर्ष एक महत्वपूर्ण स्मरणोत्सव के रूप में मनाया जाने लगा है।

 

विभाजन के दौरान हुई हिंसक उथल-पुथल, नरसंहार, अपहरण और धर्म परिवर्तन की कहानियाँ आज भी हमारे समाज में गहरी पीड़ा बनकर मौजूद हैं। लाखों हिंदू, मुस्लिम, सिख, जैन और बौद्ध समुदाय के लोगों को अपने घर-बार, अपनी संपत्ति और अपने प्रियजनों को खोना पड़ा। दुर्भाग्यवश, इन पीड़ितों का कभी सही ब्यौरा तैयार नहीं किया गया। इस दिवस के माध्यम से, हम न सिर्फ उन गुमनाम शहीदों को श्रद्धांजलि देते हैं, बल्कि युवा पीढ़ी को उस दर्द और बलिदान से भी अवगत कराते हैं, जिससे हमारा देश गुजरा था। यह उन्हें उन परिस्थितियों को समझने का मौका देगा, जो इस त्रासदी का कारण बनीं, और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रेरित करेगा।

डॉ. शर्मा और श्री समनोत्रा ने एक और महत्वपूर्ण मांग रखी है: इजराइल के होलोकास्ट म्यूजियम की तर्ज पर भारत में एक डिजिटल और फिजिकल म्यूजियम का निर्माण। इस संग्रहालय में विभाजन से जुड़ी स्मृतियों, कहानियों और दस्तावेजों को संरक्षित किया जाएगा। यह उन लोगों के अनुभवों को रिकॉर्ड करेगा जो आज भी जीवित हैं, ताकि उनकी व्यथा और बलिदान भावी पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बन सके। यह संग्रहालय एक शिक्षा केंद्र के रूप में भी काम करेगा, जहां युवा भारतीय इतिहास के इस काले अध्याय के बारे में जान सकेंगे और अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों को समझ सकेंगे।विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस एक राष्ट्र के रूप में हमारी सामूहिक चेतना को जगाने का प्रयास है।

 

यह हमें सिखाता है कि इतिहास की कड़वी सच्चाइयों को स्वीकार करना और उनसे सीखना कितना महत्वपूर्ण है। इस दिवस का असली उद्देश्य नफरत फैलाना नहीं, बल्कि उन ऐतिहासिक गलतियों को याद कर एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना है, जहाँ सद्भाव और शांति सर्वोपरि हो। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस दर्दनाक इतिहास को संरक्षित करें और यह सुनिश्चित करें कि हमारी आने वाली पीढ़ियां इसे सिर्फ एक इतिहास का हिस्सा नहीं, बल्कि एक महत्वपूर्ण सबक के रूप में देखें।

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