अमेरिका की अमानवीय योजना पर वैश्विक आक्रोश
नई दिल्ली, 6 फरवरी 2025 – जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद असद मदनी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान की कड़ी निंदा की है, जिसमें उन्होंने गाजा पर अमेरिकी कब्जे और फिलिस्तीनी जनता को जबरन बेदखल करने का समर्थन किया है। मौलाना मदनी ने कहा कि यह प्रस्ताव मानवाधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का घोर उल्लंघन है।
उन्होंने कहा कि गाजा केवल एक भूभाग नहीं, बल्कि लाखों फिलिस्तीनियों की मातृभूमि है, जिन पर दशकों से अत्याचार किए जा रहे हैं। ऐसे में अमेरिकी प्रशासन द्वारा इस तरह का प्रस्ताव पेश किया जाना एक क्रूर मजाक है। मौलाना मदनी ने कहा कि यह फिलिस्तीनियों के जख्मों पर नमक छिड़कने के समान है और यह पूरी दुनिया में न्यायप्रिय लोगों के लिए अस्वीकार्य है।
इजरायली हमलों में हजारों निर्दोषों की मौत
हाल ही में हुए इजरायली हमलों में लगभग 50,000 निर्दोष लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। मौलाना मदनी ने कहा कि इस त्रासदी के बीच अमेरिकी राष्ट्रपति का गाजा पर कब्जे का समर्थन करना अमानवीयता की पराकाष्ठा है।
उन्होंने कहा, “यह न केवल अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए खतरा है बल्कि इससे मध्य पूर्व में अशांति और बढ़ेगी। फिलिस्तीनी जनता को उनके घरों से जबरन बेदखल करने की कोई भी योजना घोर अन्याय होगी, और इस अन्याय के विरुद्ध हम पूरी ताकत से आवाज उठाएंगे।”
अमेरिका-इजरायल गठबंधन: अत्याचार की नई साजिश
मौलाना मदनी ने इस बात पर भी चिंता जताई कि व्हाइट हाउस में अमेरिकी राष्ट्रपति और इजरायल के प्रधानमंत्री मंच साझा कर रहे हैं और मिलकर ऐसी योजनाओं की घोषणा कर रहे हैं, जो पूरी दुनिया के न्यायप्रिय लोगों के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि गाजा पर कब्जे की योजना केवल इजरायली विस्तारवादी नीतियों को बल देने के लिए बनाई गई है, ताकि फिलिस्तीनियों को हमेशा के लिए उनकी जमीन से वंचित कर दिया जाए।
“अगर अमेरिका वास्तव में शांति चाहता है, तो उसे इजरायल के साथ खड़े होने के बजाय फिलिस्तीनियों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।”
संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की मांग
जमीअत उलमा-ए-हिंद ने इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक शक्तियों से अपील की कि वे इस अन्याय के विरुद्ध खुलकर आवाज उठाएं।
उन्होंने कहा कि यदि अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा पर कब्जे की इस साजिश के खिलाफ कड़ा रुख नहीं अपनाता, तो यह भविष्य में अन्य देशों के लिए भी एक खतरनाक उदाहरण बनेगा।
“हम वैश्विक समुदाय से अपील करते हैं कि वे इस प्रस्ताव का न केवल विरोध करें, बल्कि गाजा के पुनर्वास और फिलिस्तीनियों के अधिकारों को बहाल करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाएं।”
भारत को अपने ऐतिहासिक रुख पर कायम रहना चाहिए
मौलाना मदनी ने इस बात को भी रेखांकित किया कि भारत हमेशा फिलिस्तीन के पक्ष में सैद्धांतिक रुख अपनाता आया है।
“ऐसी स्थिति में यह अत्यंत आवश्यक है कि भारत अपने दीर्घकालिक न्यायोचित रुख पर कायम रहे और न्याय एवं शांति के पक्ष में आवाज उठाए।”
उन्होंने भारत सरकार से अनुरोध किया कि वह इस मामले में अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाए और अमेरिकी प्रशासन को स्पष्ट संदेश दे कि गाजा पर कब्जे की योजना अस्वीकार्य है।
फिलिस्तीनी संघर्ष: अन्याय के खिलाफ एक ऐतिहासिक लड़ाई
फिलिस्तीनी जनता दशकों से अन्याय और बर्बरता के खिलाफ संघर्ष कर रही है। उनके अधिकारों को छीना गया, उनकी भूमि पर कब्जा किया गया, और उन्हें शरणार्थी बनने पर मजबूर किया गया।
“यह संघर्ष केवल भूमि के एक टुकड़े का नहीं, बल्कि न्याय, सम्मान और मानवाधिकारों की रक्षा का संघर्ष है।”
फिलिस्तीनी मुद्दे का न्यायोचित समाधान आवश्यक
जमीअत उलमा-ए-हिंद ने अपनी अटूट एकजुटता दोहराते हुए कहा कि:
- गाजा का पुनर्वास किया जाए।
- फिलिस्तीनियों के वैध अधिकारों को बहाल किया जाए।
- इस मुद्दे का न्यायोचित समाधान निकाला जाए।
“हम पूरी दुनिया से अपील करते हैं कि वे मानवता और न्याय के पक्ष में खड़े हों और इस अमानवीय योजना का डटकर विरोध करें।”