निर्मल रानी
लेखिका व सामाजिक चिन्तिका
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर निर्मल रानी गत 15 वर्षों से देश के विभिन्न समाचार पत्रों, पत्रिकाओं व न्यूज वेबसाइट्स में सक्रिय रूप से स्तंभकार के रूप में लेखन कर रही हैं !
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भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने गत दिनों टीवी चैनल्स के लिये एक चेतावनी रुपी ऐडवाइज़री जारी की है। मंत्रालय ने इस ऐडवाइज़री के माध्यम से रूस व यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध तथा पिछले दिनों राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाक़े में भड़की सांप्रदायिक हिंसा के बाद देश के मुख्य धारा के निजी टीवी चैनलों के प्रसारण के तरीक़ों व इनसे संबंधित कार्यक्रमों में अपनाई गयी आपत्तिजनक भाषा व शीर्षक आदि पर सख़्त एतराज़ जताते हुये कहा है कि ‘कुछ चैनल इन घटनाओं के प्रसारण में सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा का इस्तेमाल करते हुये इन्हें भ्रामक और सनसनीखेज़ तरीक़े से प्रसारित कर रहे हैं। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने झूठे दावे करने और अस्वीकार्य भाषा का प्रयोग करने वाले ऐसे टी वी चैनल्स को चेतावनी देते हुए कहा है कि ,यदि आवश्यक समझा जाएगा तो केबल टेलीविज़न नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 में निर्धारित प्रावधानों के अंतर्गत इस प्रकार के चैनल्स अथवा ऐसे आपत्तिजनक कार्यक्रमों के प्रसारण को प्रतिबंधित भी किया जा सकता है।
इसी तरह सरकार ने दिल्ली जहांगीरपुरी हिंसा की रिपोर्टिंग के उकसाऊ व आपत्तिजनक तरीक़ों व इनसे संबंधित भड़काऊ शीर्षक व कार्यक्रमों का भी उल्लेख किया। जैसे ‘दिल्ली में अमन के दुश्मन कौन’, ‘बड़ी साज़िश दंगे वाली, करौली, खरगौन वाया दिल्ली’, ‘हिंसा से एक रात पहले साज़िश का वीडियो’ ‘अली Vs बली, कहां कहां खलबली?’ और ‘अली, बजरंगबली पर खलबली’ तथा एक टी वी चैनल द्वारा प्रसारित ‘हुंकार’ शीर्षक के कार्यक्रम में प्रयुक्त आपत्तिजनक भाषा के प्रयोग का ज़िक्र करते हुये सभी टी वी चैनल्स को नियमों के अंतर्गत ही कार्यक्रम प्रसारित करने का निर्देश दिया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अनुसार चैनल्स ने समाचारों में असंसदीय, भड़काऊ और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा का प्रयोग किया तथा सांप्रदायिक टिप्पणियों और अपमानजनक संदर्भों वाली बहसें प्रसारित कीं, जो दर्शकों पर नकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव डाल सकती हैं और सांप्रदायिक वैमनस्य को भी भड़का सकती हैं। इससे बड़े पैमाने पर शांति भंग हो सकती है।’
इसी सन्दर्भ में सरकार को एक दिशानिर्देश उन नेताओं व धर्गुरूओं के लिये भी सख़्त लहजे में जारी करने चाहिये जो इसतरह के भड़काऊ ‘गोदी मीडिया’ को अपने नफ़रती व ज़हरीले बयानों से उकसाऊ सामग्री उपलब्ध कराते हैं। जो सरकार टी वी चैनल्स के दिन प्रतिदिन के शीर्षक व भड़काऊ शब्दावली पर नज़र रखती है वह यह भी बख़ूबी जानती है कि देश में किसी धर्म के विरुद्ध नारे लगाने वाले दूसरे धर्म के लोग कौन हैं? गाँधी को गाली देने वाले,हत्यारों व बलात्कारियों तथा दंगाइयों का महिमामंडन करने वाले कौन हैं। देश में सशस्त्र संघर्ष छेड़ने और धर्म विशेष के घरों पर बुलडोज़र चलाने की बातें करने वालों को भी सरकार बख़ूबी जानती है। सरकार की जनसँख्या नियंत्रण नीति के विरुद्ध केवल सांप्रदायिक विद्वेष वश चार बच्चे पैदा करने का आह्वान करने वाले कौन हैं ? अपने घरों में शस्त्र,तीर कमान और बोतलें आदि रखने का आह्वान करने वाले ‘माननीयों ‘ को भी सरकार भली भांति जानती है। सरकार को ऐसे लोगों के विरुद्ध भी केवल ‘ऐडवाइज़री ‘ मात्र जारी करने की नहीं बल्कि सख़्त कार्रवाई करते हुये इन्हें जेल में ठूसने की ज़रुरत है। यदि सरकार ऐसे समाज विभाजक लोगों को ‘छुट्टे सांड’ की तरह घूमने देती है और केवल ‘गोदी मीडिया’ वाले चैनल्स को ‘ऐडवाइज़री जारी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझती है फिर तो यही सन्देश जायेगा कि ‘ऐडवाइज़री’ की यह क़वायद मात्र दिखावा है वह भी या तो किसी दबाव में जारी की गयी है या दुनिया को दिखाने के लिये। फिर भी सकारात्मक सोच का तो यही तक़ाज़ा है कि सरकार ने टी वी चैनल्स को जो दर्पण दिखाया है इसके लिये यही कहा जा सकता है कि -‘देर आयद दुरुस्त आयद’ ।
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