विक्रम सिन्हा
नई दिल्ली. भारत सरकार, पश्चिम बंगाल सरकार और गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के प्रतिनिधियों के बीच तीसरे दौर की त्रिपक्षीय वार्ता कल सम्पन्न हुई। बातचीत अच्छे और सौहार्दपूर्ण वातावरण में हुई। भारत सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व केन्द्रीय गृह सचिव जी.के पिल्लई और पश्चिम बंगाल सरकार के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राज्य के मुख्य सचिव ए.के. चक्रबर्ती और जीजेएम प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व अनमोल प्रसाद ने किया।
वार्ता में कई मसलों पर सहमति व्यक्त की गई. भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत एक पर्वतीय परिषद के गठन के प्रस्ताव को छोड़ दिया जाएगा। सैध्दांतिक तौर पर जीजेएमसी अधिनियम, 1988 को निरस्त करने पर सहमति हुई। आपसी विचार-विमर्श और सहमति के माध्यम से एक वैकल्पिक प्रशासनिक ढांचे को अंतिम रूप देने के तुरन्त बाद अधिनियम को निरस्त करने की प्रक्रिया चलाई जाएगी।
भारत सरकार ने तीसरे दौरे की त्रिपक्षीय वार्ता के दौरान हुए विचार-विमर्श को आगे बढाने के लिए एक वार्ताकार की नियुक्ति की घोषणा की। जीजेएम और राज्य सरकार दोनों ने इसका स्वागत किया। जीजेएम ने विश्वास दिलाया है कि एक शांति और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाया जाएगा और सभी दल वार्ता को आगे बढाने के लिए रचनात्मक सहयोग की भावना के साथ कार्य करने पर सहमत हुए।
केन्द्र सरकार दार्जिलिंग में विकास कार्यों की समीक्षा के लिए एक दल भी भेजेगी। भारत सरकार और पश्चिम बंगाल सरकार ने पंचायत समितियों, ग्राम पंचायतों के अलावा नगर निगमों के चुनावों को कराए जाने के लिए एक अंतरिम उपाय और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को बहाल करने का प्रस्ताव रखा। जीजेएम ने कहा कि वे इस पर विचार-विमर्श करके राज्य सरकार को इसका जवाब देंगे।
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा यह सूचित किया गया कि सीआरएफ और विशेष केन्द्रीय सहायता की करीब 70 करोड़ रुपए की धनराशि का उपयोग नहीं किया गया है। इस राशि के उपयोग पर विचार-विमर्श के लिए राज्य सरकार के अधिकारियों के एक दल को दार्जिलिंग भेजने पर भी सहमति व्यक्त की गई। इस बात पर भी सहमति जताई गई कि अगली त्रिपक्षीय बैठक 21 दिसंबर 2009 को दार्जिलिंग में होगी।