पंचायत चुनाव को लेकर प्रशासनिक और राजनीतिक सुगबुगाहट शुरू हो गई है। फिलहाल राजनीतिक दलों की निगाह जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्ष के आरक्षण पर टिकी हुई है। जिन नेताओं को चुनाव लडऩा है, उन्होंने अपने-अपने संगठन के चक्कर लगाना भी शुरू कर दिए हैं।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा इसी साल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव कराने को लेकर तैयारियां चल रही हैं। ये चुनाव दिसम्बर माह में करवाए जाने की संभावना है। इसको लेकर आयोग अपनी तैयारी तो कर ही रहा है, वहीं चुनाव लडऩे के इच्छुक दावेदार भी सक्रिय हो गए हैं। फिलहाल जनपद और जिला पंचायत के अध्यक्ष को लेकर अभी आरक्षण होना है। आरक्षण प्रक्रिया इसी माह होने की भी संभावना है। इसके बाद अध्यक्ष पद को लेकर चला आ रहा संशय भी समाप्त हो जाएगा। वैसे ये चुनाव गैरराजनीतिक होते हैं, क्योंकि में इसमें राजनीतिक पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर चुनाव नहीं लड़ा जाता है। फिर भी अध्यक्ष पद को लेकर कांग्रेस और भाजपा में घमासान मचता है और चुनाव एक तरह से राजनीतिक हो जाते हैं। दोनों ही दल के दावेदार अपने-अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं और जिन लोगों को टिकट चाहिए, वे अपने-अपने संगठन के नेताओं के चक्कर काटने लगे हैं। वैसे भाजपाई ज्यादा उत्साहित हैं, क्योंकि जिस तरह से उपचुनाव में भाजपा को जीत मिली है, उसी को देखते हुए माना जा रहा है कि लोग भाजपा के पक्ष में ही वोट देंगे, वहीं कृषि कानून वापस लेने का फायदा भी पंचायत चुनाव में मिलेगा। PLC