डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी की कविता : मोहब्बत की भी एक वैक्सीन

डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी की बारूदी कलम व संवेदना की स्याही से

 

डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी 

 

कौन लुटा है किसने लूटा है मोहब्बत के शहर में,
मोहब्बत की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

नफ़रत का जहर है रिश्तों की फिजां में,
नफरत की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

रोज सोचते हैं कि सोचते क्या हैं, सोचने की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

ढूंढते हैं शिक़ायत मुलाकात ए मोहब्बत में,
शिकायतों की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

नफरतें हैं बेशुमार दोस्तों की महफिलों में,
दोस्ती की भी एक वैक्सीन बना दी जाए ।

 

कौन जला है दोस्तों के शहर में,
शहरों की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

हर शख्स है परेशान अपनों की चुभन में,
चुभन की भी एक वैक्सीन बना दी जाए ?

 

वेगाना हूं मैं अपनों के घरों में,
इस घर की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

किसने लूटा है ये वतन लालच की हदों मे,
लालच की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

मोहब्बत की रवानी हैं गर्दिश की फिजां में,
गर्दिश की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

कितने मरते हैं, मोहब्बतों के शहर में,
मोहब्बतों की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

संवेदना है, आंसू हैं बारूदी कलम
में,
इस बारूद की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

कौन लुटा है किसने लूटा है मोहब्बत के शहर में,
मोहब्बत की भी एक वैक्सीन बना दी जाए?

 

परिचय – :

डॉ डीपी शर्मा ( डॉ डीपी शर्मा धौलपुरी )

 परामर्शक/ सलाहकार
अंतरराष्ट्रीय परामर्शक/ सलाहकार
यूनाइटेड नेशंस अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन
नेशनल ब्रांड एंबेसडर, स्वच्छ भारत अभियान

Disclaimer – :  मेरे जज्वात व शब्दों से हैरानी होगी मगर भाव, भाषा और मन का भारीपन तो                             दिल की गहराइयों से निकलता है।
                   -:  कविता या मिसरों का किसी जीवित अथवा दिवंगत शख्स से कोई वास्ता नहीं है।

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