– गार्गी परसाई –
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वर्ष 2017-18 के बजट में 10 प्रमुख क्षेत्रों का नाम लिया जिन पर फोकस किया जाएगा। कृषि क्षेत्र भी उन क्षेत्रों में से एक है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए उन्होंने बजट में कई घोषणाएं कीं जैसे – ऋण की उपलब्धता बढ़ाया जाना, अनुबंध खेती के फसल घाटे को कम करने के लिए नए कानून का निर्माण और डेयरी क्षेत्र में किसानों की आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि स्थापित किया जाना।
क्षेत्र को बड़ा प्रोत्साहन देते हुए वित्त मंत्री ने 2017-18 में कृषि ऋण का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रूपये के रिकॉर्ड स्तर पर निर्धारित किया है। उन्होंने कहा कि अल्पसेवित क्षेत्रों, पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर के किसानों के लिए पर्याप्त ऋण की व्यवस्था सुनिश्चित करने के विशेष प्रयास किये जाएंगे।
यह स्वीकार करते हुए कि डेयरी किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, वित्त मंत्री ने तीन वर्षों में 8000 करोड़ रूपये की संचित निधि से नाबार्ड में एक दुग्ध प्रसंस्करण एवं संरचना निधि स्थापित करने की घोषणा की। प्रारंभ में यह 2000 करोड़ रुपये के कोष के साथ शुरू होगा.
दूध प्रसंस्करण सुविधा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता से किसानों को और अधिक फायदा होगा। मंत्री महोदय ने माना है कि ऑपरेशन फ्लड कार्यक्रम के अंतर्गत स्थापित की गई दूध प्रसंस्करण इकाइयां अप्रचलित और पुरानी हो गई हैं।
मानसून की अनिश्चितताओं (60 फीसदी भारतीय खेती-बाड़ी मानसून पर निर्भर है) के मद्देनजर श्री जेटली ने नई `प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के लिए 9,000 करोड़ रुपये की व्यवस्था की है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का दायरा 2016-17 में 30 प्रतिशत फसल क्षेत्र से बढ़ाकर 2017-18 में 40 प्रतिशत तथा 2018-19 में 50 प्रतिशत किया जाएगा। बजट अनुमान 2016-17 में इस योजना के लिए 5,500 करोड़ रूपये का बजट प्रावधान किया गया था, जिसे बकाया दावों का निपटान करने के लिए 2016-17 के संशोधित बजट अनुमान में बढ़ाकर 13,240 करोड़ रूपये कर दिया गया था।
श्री जेटली ने कहा, इस योजना के अंतर्गत बीमाकृत राशि जो 2015 के खरीफ सीजन में 69,000 करोड़ रूपये थी, 2016 के खरीफ सीजन में दोगुने से भी बढ़कर 1,41,625 करोड़ रुपये हो गई है। योजना को 1 अप्रैल, 2016 को लॉन्च किया गया था। इसके जरिए दावे आधारित बीमा योजना से प्रीमियम आधारित प्रणाली के लिए अग्रिम सब्सिडी की तरफ शिफ्ट किया गया। इससे किसानों पर कम से कम बोझ पड़ा।
इसके अतिरिक्त किसानों को सहकारी ऋण ढांचे से लिए गये ऋण के संबंध में प्रधानमंत्री द्वारा घोषित 60 दिनों के ब्याज के भुगतान से छूट का भी लाभ मिलेगा।
प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पीएसीएस) ऋण संवितरण के लिए प्रमुख हैं। सरकार जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों की कोर बैंकिंग प्रणाली के साथ सभी 63,000 क्रियाशील प्राथमिक कृषि ऋण सोसाइटियों के कम्प्यूटरीकरण और समेकन के लिए नाबार्ड की सहायता करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्य 1900 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत से राज्य सरकारों की वित्तीय भागीदारी के द्वारा 3 वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। इससे छोटे और सीमांत किसानों को ऋण का निर्बाध प्रवाह सुनिश्चित हो जाएगा।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मृदा स्वास्थ्य कार्ड कार्यक्रम का जिक्र करते हुए श्री जेटली ने कहा कि पिछले कुछ समय में कार्यक्रम ने तेजी पकड़ी है लेकिन किसानों को इसका वास्तविक लाभ तब होगा जब मृदा के नमूनों का परीक्षण तेजी से किया जाएगा और उसके पोषक तत्वों के स्तर को जाना जाएगा। 100 प्रतिशत कवरेज सुनिश्चित करने के लिए सभी 648 कृषि विज्ञान केंद्रों में सूक्ष्म मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी। इसके अतिरिक्त योग्य स्थानीय उद्यमियों द्वारा 1000 मिनी लैब्स बनाई जाएंगी। सरकार इन उद्यमियों को सब्सिडी मुहैया कराएगी।
किसानों के अनुकूल कदमों के बारे में बताते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि नाबार्ड में एक दीर्घकालीन सिंचाई कोष स्थापित किया जा चुका है और प्रधानमंत्री ने इसकी स्थायी निधि में 20,000 करोड़ रूपये की अतिरिक्त राशि शामिल करने की घोषणा की है। इस प्रकार इस कोष में कुल निधि बढ़कर 40,000 करोड़ रूपये हो जाएगी। “प्रति बूंद अधिक फसल” के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु एक समर्पित सूक्ष्म सिंचाई कोष 5 हजार करोड़ की राशि से बनाया जाएगा। कार्यक्रम के तहत 99 सिंचाई परियोजनाओं को 2019 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
पिछले साल लॉन्च हुए राष्ट्रीय कृषि बाजार कार्यक्रम के तहत ई-नैम (e-NAM) प्लेटफॉर्म से 250 मण्डियों को जोड़ा गया है। इसने किसानों को अपनी फसल का सही दाम लेने योग्य बनाया है और इस व्यवस्था में पारदर्शिता आई है। अब लक्ष्य रखा गया है कि ई-नैम प्लेटफॉर्म से 585 मण्डियों को जोड़ा जाए। इसके अलावा स्वच्छता, ग्रेडिंग और पैकेजिंग सुविधाओं की स्थापना के लिए प्रत्येक ई-नाम बाजार को अधिकतम 75 लाख रूपये की सहायता प्रदान की जाएगी। इसके अलावा राज्यों से भी विभिन्न बाजार सुधारों को अपनाने और जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं को एपीएमसी एक्ट से निकालने के लिए कहा जाएगा। इससे किसानों को अपने उत्पाद बेचने और उसकी अपेक्षाकृत बेहतर कीमत वसूलने में मदद मिलेगी।
श्री जेटली ने कहा कि बेहतर मूल्य बोध के लिए कृषि प्रसंस्करण इकाइयों के साथ फल और सब्जी उगाने वाले किसानों को एकीकृत करने के लिए सरकार ने अनुबंध आधारित खेती-बाड़ी पर कानून बनाने का प्रस्ताव रखा है।
भारतीय किसानों की प्रतिबद्धता को सलाम करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष में 4.1% रहने का अनुमान है। हालांकि उन्होंने फसल संबंधी चुनौतियों से निपटने और लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने की जरूरत पर बल दिया।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का वर्ष 2016-17 का बजट (35983.69 करोड़ रुपये) वर्ष 2015-16 में आवंटित बजट (15296.04) के दोगुना से भी ज्यादा था। संशोधित अनुमानों में आवंटन 39,840.50 करोड़ रुपये था। 2017-18 बजट में मंत्रालय का 41855 करोड़ रुपये परिव्यय रख गया है।
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गार्गी परसाई
लेखिका व् वरिष्ठ पत्रकार
लेखिका एक पुरस्कार विजेता वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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