प्रजापिता ब्रह्मकुमारी ईश्वरी विश्वविद्यालय द्वारा स्थानीय सैक्टर-4 में संचालित गीता पाठशाला का आज चौथा स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर ब्रह्मकुमारी वंदना बहन ने बच्चों के साथ केक काटकर खुशी मनाई। आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति यदि आत्मभाव में रहकर परमात्मा के साथ अपना अलौकिक सम्बन्ध बनाने की कला सीख ले तो पूरी धरा पर पुन: स्वर्ग स्थापित हो सकेगा। उन्होंने कहा कि आज घोर कलियुग में मनुष्य भौतिक संसाधनों की दौड़ में बुरी तरह से उलझकर रह गया है। जिसके चलते उसके जीवन से खुशी और शांति दूर चली गई है। खुशी और शांति के लिये हमें सर्व के कल्याण की कामना करनी चाहिये तथा व्यर्थ एवं नकारात्मक विचारों से बचना चाहिये।
ब्रह्मकुमारी वंदना ने कहा कि मनुष्य द्वारा लगातार प्रकृति के साथ किये जा रहे शोषण के परिणामस्वरूप प्राकृतिक आपदाएं व बीमारियां आदि हम सबके समक्ष है। इसलिए हमें पर्यावरण संतुलन की दिशा में भी गंभीर प्रयास करने चाहियें। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचारों पर गौरपूर्वक ध्यान रखना चाहिये ताकि हम सदचरित्र बन सकें। उन्होंने कहा कि हमें राजयोग सीखकर इसे अपने जीवन में उतारना चाहिये। इससे मनुष्य जीवन श्रेष्ठ बनेगा तथा आत्मा निर्मल बनेगी। राजयोग सीखने के लिए पूरे विश्व में 8700 सेवा केन्द्र निशुल्क आध्यात्मिक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। सभी माताओं, बहनों व भाईयों को वहां पहुंचकर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करनी चाहिये, तभी हमारा जीवन श्रेष्ठ बन सकेगा। इस अवसर पर अनेक बच्चों ने कविता, गीत आदि प्रस्तुत किये।
इस अवसर पर केंद्र प्रमुख सरदार भाई व ब्रह्मकुमारी सुधा ने भी उपस्थितजनों के साथ अपने आध्यात्मिक विचार सांझा किये। सरदार भाई ने बताया कि ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा माऊंट आबू में 15 से 20 सितम्बर तक राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित किया जा रहा है। जिसमें देश भर से प्रिंट व इलेक्ट्रोनिक मीडिया से लगभग 2000 पत्रकार भाग ले रहे हैं।