यथार्थ के आईने में कांग्रेस व संघ मुक्त भारत ?

–  तनवीर जाफरी –

mohan-bhagwat-with-sonia-ga2014 में हुए लोकसभा के आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा उनके सिपहसालारों द्वारा पूरे देश में घूम-घूम कर देश की जनता से ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ बनाए जाने का आह्वान किया गया। उधर चुनाव नतीजों में भी कांग्रेस पार्टी कुछ इस प्रकार औंधे मुंह गिरी कि पार्टी ने अपने इतिहास में कभी भी इतनी कम संसदीय सीटें हासिल नहीं की थीं। हालांकि देश यह भलीभांति जानता है कि कांग्रेस को इतने बुरे दिन सिर्फ इसलिए देखने पड़े क्योंकि उसके पिछले दस वर्ष के गठबंधन सरकार के दौर में भ्रष्टाचार व मंहगाई ने एक कीर्तिमान बना रखा था तो दूसरी ओर अपने लच्छेदार भाषणों के द्वारा देश की जनता को सब्ज़ बाग दिखाने में महारत रखने वाले भाजपा नेता नरेंद्र मोदी जनता के समक्ष एक विकल्प के रूप में स्वयं को पेश करने में कामयाब रहे। नतीजतन जहां कांग्रेस को मात्र 44 सीटें हासिल कर अब तक का सबसे कम सीटें प्राप्त करने का रिकॉर्ड बनाना पड़ा वहीं भारतीय जनता पार्टी अकेले 282 सीटें जीतकर पहली बार पूर्ण बहुमत के साथ विजयी हुई। जबकि भाजपा के सहयोगी दलों अर्थात् राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को भाजपा सहित 336 सीटें प्राप्त हुईं। परंतु भाजपा को मिली इतनी बड़ी जीत के बावजूद अभी तक भाजपा नेताओं का देश को कांग्रेस मुक्त बनाने का नारा बरकरार है जो समय-समय पर देश में होने वाले विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा नेताओं के मुंह से सुना जा रहा है।

प्रश्र यह है कि कांग्रेस मुक्त भारत के नारे का यथार्थ आिखर है क्या? और क्या यह संभव है कि सत्ता के सौदागरों के आह्वान पर देश को वास्तव में कांग्रेस मुक्त किया जा सके? कांग्रेस दरअसल एक पार्टी कम और एक विचारधारा का नाम अधिक है। कांग्रेस वह पार्टी है जो पूरे विश्व में भारत की धर्मनिरपेक्ष छवि का प्रतिनिधित्व करती है। कांग्रेस देश के संविधान तथा यहां के राष्ट्रीय ध्वज की न केवल निर्माता बल्कि उसको मान-सम्मान व संरक्षण देने वाली पार्टी है। जिस महात्मा गंाधी के नाम पर वर्तमान सत्तारूढ़ भाजपा ने सत्ता में आने के बाद अपने सबसे पहले अभियान अर्थात् स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत की थी उनका संबंध कांग्रेस से ही था। जिस सरदार पटेल की विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति गुजरात में नर्मदा नदी में लगाए जाने की योजना नरेंद्र मोदी ने बनाई थी वह सरदार पटेल कांग्रेस पार्टी के ही सर्वोच्च नेताओं में एक थे। आज पूरे विश्व में भारत का जो भी मान-सम्मान व उसकी धर्मनिरपेक्ष छवि बनी हुई है वह कांग्रेस पार्टी की ही देन है। सुभाष चंद्र बोस व डा० भीमराव अंबेडकर जैसे और भी कई महान नेता जिनके साथ भाजपा अपना नाम जोडऩे के लिए लालायित दिखाई देती है वे सब कांग्रेस पार्टी की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा से ही जुड़े हुए नेता थे। परंतु बड़े आश्चर्य की बात है कि देश की उसी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा तथा धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने को समय-समय पर चुनौती देते रहने वाली विचारधारा के नेता देश को कांग्रेस मुक्त किए जाने जैसा आह्वान करते नज़र आते हैं।

फिर आिखर क्या कारण है कि एक ओर तो कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाले लोग इन्हीं कांग्रेस अर्थात् धर्मनिरपेक्ष विचारधारा के उपरोक्त नेताओं को अपना भी आदर्श मानने का नाटक समय पडऩे पर करते रहते हैं तो दूसरी ओर इन्हीं से जुड़ी कांग्रेस पार्टी को देश से समाप्त करने की बात भी करते रहते हैं? दरअसल धर्मनिरपेक्षता विरोधी मानसिकता रखने वाले नेता यह भलीभांति जानते हैं कि भारत के अधिकांश लोगों का स्वभाव धर्मनिरपेक्षतावादी है। और भविष्य में भी जब कभी धर्मनिरपेक्ष शक्तियां एकजुट हुईं उस समय यही कांग्रेस इन्हीं सांप्रदायिकतावादियों को कभी भी कड़ी चुनौती दे सकती है। खासतौर पर पिछले दो वर्षों के केंद्र सरकार के शासनकाल में वर्तमान सरकार जिस प्रकार की नाकामियों तथा अपनी वादाखि़लािफयों के दौर का सामना कर रही है इसकी वजह से सत्ताधीशों के पांव फूलने लगे हैं और उन्हें कांग्रेस पार्टी का भय सताने लगा है। वैसे भी कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाले नेता यह बात भी भलीभांति जानते हैं कि भले ही भाजपा 282 सीटों पर गत् लोकसभा चुनाव में विजयी क्यों न हुई हो परंतु पार्टी ने देश में डाले गए कुल मतों का मात्र 31 प्रतिशत वोट शेयर ही हासिल किया था। इसलिए 282 सीटों की जीत तकनीक एवं गणना के लिहाज़ से बड़ी जीत ज़रूर है परंतु 31 प्रतिशत वोट शेयर तो यही साबित करता है कि देश का 69 प्रतिशत मतदाता धर्मनिरपेक्षतावादी शक्तियों के साथ है और राष्ट्रीय स्तर पर इस विचारधारा का नेतृत्व स्वतंत्रता से लेकर अब तक कांग्रेस पार्टी ही करती आ रही है। लिहाज़ा भारतवर्ष के जनमानस में बसी धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को जड़ से समाप्त कर देना इतना आसान काम नहीं है।

इसी प्रकार पिछले दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने देश के समस्त गैर भाजपाई राजनैतिक दलों से यह अपील कर डाली कि देश को राष्ट्रीय स्वयं संघ तथा भारतीय जनता पार्टी से मुक्त कराया जाए और इसके लिए सभी गैर भाजपाई दल एकजुट हो जाएं। यहां यह बताने की ज़रूरत नहीं कि यही नितीश कुमार जिनकी नज़रों में आज संघ व भाजपा इस कद्र खटकने लगे हैं कि वे देश को संघ व भाजपा मुक्त बनाए जाने की बात कर रहे हैं इन्होंने ही किस प्रकार लगभग दो दशकों तक मात्र अपने सत्ता सुख की खातिर तथा कांग्रेस पार्टी के विरोध के नाम पर इसी संघ विचारधारा का संरक्षण रखने वाली भारतीय जनता पार्टी के साथ स्वयं को जोड़े रखा। चाहे वह अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में मंत्रीपद पर आसीन होना हो या बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए भाजपा के साथ गठबंधन करने की बात हो। नितीश ने उस समय शायद कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि भविष्य में अपने इसी सहयोगी राजनैतिक दल यानी भाजपा से देश को मुक्त कराए जाने का नारा भी उन्हें देना पड़ सकता है। परंतु कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष विचारधारा की ही तरह संघ व भाजपा भी हिंदुत्ववादी विचारधारा का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन हैं। जिस प्रकार देश से धर्मनिरपेक्ष विचारधारा को समाप्त नहीं किया जा सकता उसी प्रकार सांप्रदायिकतावादी अथवा हिंदुत्ववादी सोच को भी इस देश से पूरी तरह मिटाया नहीं जा सकता। नितीश कुमार जैसे नेता के मुंह से संघ या भाजपा मुक्त भारत की बात कहना वैसे भी इसलिए शोभा नहीं देता क्योंकि नितीश कुमार जैसे संघ व भाजपा के पूर्व सत्ता सहयोगियों ने ही आज संघ व भाजपा को इतनी मज़बूत स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। लिहाज़ा कल के संघ व भाजपा के यह सहयोगी यदि आज देश को संघ व भाजपा मुक्त कराने की बात करें तो इसमें अंर्तात्मा की आवाज़ तो कम जबकि यह एक राजनैतिक हथकंडा ज़रूर प्रतीत होता है। हां अगर यही नारा कांग्रेस पार्टी या वामपंथी दलों की ओर से दिया गया होता तो उसकी कुछ अहमियत ज़रूर समझी जा सकती थी क्योंकि इन्होंने नितीश कुमार के जनता दल युनाईटेड की तरह कभी भी संघ या भाजपा से हाथ मिलाकर सरकार का गठन करने जैसा सत्तालोभी प्रयास नहीं किया।

अब यहां प्रश्र यह है कि फिर आिखर नितीश कुमार को किन परिस्थितियों में देश को संघ व भाजपा मुक्त करने जैसा गैर यथार्थवादी नारा देना पड़ा? दरअसल नि:संदेह केंद्र सरकार की चूलें इस समय बुरी तरह हिली हुई हैं। भाजपा देश की जनता की नज़रों से दिन-प्रतिदिन बुरी तरह गिरती जा रही है। जनता से अपने किए गए वादे पूरे न कर पाने वाली भाजपा अब देश में जगह-जगह अपने पारंपरिक सांप्रदायिक कार्ड खेल कर ही अपने अस्तित्व को बचाए रखने की जुगत में लगी हुई है। उधर कांग्रेस पार्टी कमज़ोर नेतृत्व की वजह से देश के समक्ष मज़बूत विकल्प के रूप में स्वयं को पेश नहीं कर पा रही है। कमोबेश वामपंथी दल भी खासतौर पर पश्चिम बंगाल की सत्ता से हटने के बाद काफी कमज़ोर पड़ चुके हैं। उधर उत्तर प्रदेश में मुलायमसिंह यादव का जादू भी कमज़ोर पड़ता जा रहा है। ऐसे में नितीश कुमार इस पूरे राजनैतिक घटनाचक्र को एक अवसर के रूप में देख रहे हैं। उन्होंने इस दूरअंदेशी के तहत कि इसके पूर्व कि कांग्रेस पार्टी,वामपंथी दलों या समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव अथवा लालू यादव जैसे नेताओं के मुंह से देश को संघ व भाजपा मुक्त किए जाने की बात कही जाए क्यों न इससे पहले वे स्वयं यह आह्वान कर देश के धर्मनिरपेक्ष विचारधारा रखने वाले राजनैतिक दलों की अगुआई करने का सेहरा अपने सिर पर ही बांध लें? यही नितीश कुमार के देश को संघ व भाजपा मुक्त किए जाने के आह्वान का यथार्थ है और भाजपाईयों द्वारा देश को कांग्रेस मुक्त किए जाने का यथार्थ भी यही है कि उन्हें कांग्रेस अर्थात् धर्मनिरपेक्षतावादी विचारधारा से भय महसूस होता है। जबकि वास्तव में इन दोनों विचारधाराओं का देश से पूरी तरह समाप्त होना लगभग असंभव है।

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तनवीर-जाफरी11About the Author
Tanveer Jafri
Columnist and Author

Tanveer Jafri, Former Member of Haryana Sahitya Academy (Shasi Parishad),is a writer & columnist based in Haryana, India.He is related with hundreds of most popular daily news papers, magazines & portals in India and abroad. Jafri, Almost writes in the field of communal harmony, world peace, anti communalism, anti terrorism, national integration, national & international politics etc.

He is a devoted social activist for world peace, unity, integrity & global brotherhood. Thousands articles of the author have been published in different newspapers, websites & news-portals throughout the world. He is also recipient of so many awards in the field of Communal Harmony & other social activities

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Email – tjafri1@gmail.com –  Mob.- 098962-19228 & 094668-09228 , Address –  1618/11, Mahavir Nagar,  AmbalaCity. 134002 Haryana

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