कमल जीत चौधरी की कविताएँ

कमल जीत चौधरी की कविताएँ


१ – चिट्ठियां

 फोन पर लिखीं चिट्ठियां
फोन पर बांचीं चिट्ठियां
फोन पर पढ़ी चिट्ठियां
अलमारी खोलकर देखा एक दिन
बस कोरा और कोहरा था …
डायल किया फिर
फिर सोची चिट्ठियां
मगर कुछ नंबर
और कुछ आदमी
बदल गए थे
कबूतर मर गए थे।

    ****

२ – आग

 आओ
हम एक दूसरे से टकराएँ
प्रेम से न सही
नफ़रत से बस में चढ़ते उतरते
टिकट खिड़की के सामने
धक्का मुक्की करते
होड़ की दौड़ में ही सही
मगर टकराएँ भी सही
इस पाषाण युग में
हम आदमी नहीं पत्थर हो गए हैं
हमारा टकराना टकराव नहीं
आग पैदा करेगा
आग
जो प्रम्थ्यु स्वर्ग से लाया था
जो मानव की सबसे बड़ी खोज थी –
शवासनों पर विराजे राजे
वाघ से नहीं आग से डरते हैं
आओ
टकराओ
आग पैदा करो।

    ****


३ – धूमिल के लिए

 काले अंग्रेजों का
लादे बोझा
वह घुमावदार सड़क पर
सीधा चलता
जयकारे लगात
सीस नवाता
दरबार आता जाता
पैरों तले
पत्थर तोड़ता
दिनों दिन
लोहा बनता जा रहा है
वह धार का जनक
धार जानता है
वार नहीं
वह नहीं जानता
सड़क से उतरा भी जा सकता है
पगडण्डी की उंगली थाम
हरा समतल ढूंढा जा सकता है  …
घोड़े की भाषा में
वह लोहे का स्वाद जानता है
हथोड़े की भाषा में
अपनी ताकत नहीं पहचानता
वह नहीं जानता –
वह जनता है।

    ****

४ – आम क्यों चुप रहे

 चिनार
बोलते रहे
कटने पर
टूटने पर
उनके रुदन के स्वर
दस जनपथ को रुलाते रहे
यू० एन ० ओ ० को हिलाते रहे  …
आम
बौराते रहे
लोग खाते रहे
बने ठूंठ तो चीरकर
आहुतियों में जलाते रहे
बन धुआं
आंसू बहाते रहे …
बन बारिश
धरती हरियाते रहे  –
चिनार बोलते रहे
आम क्यों चुप रहे।


——————————————
——– प्रस्तुति – नित्यानन्द गायेन
——————————————

282692_155324947955935_818111509_nपरिचय

 कमल जीत

 सम्प्रति :-  उच्च शिक्षा विभाग , जे०&के० में असिस्टेंट प्रोफेसर। 

जम्मू वि०वि० से हिन्दी साहित्य में परास्नात्तक { स्वर्ण पदक प्राप्त } ,एम०फिल० – हिन्दी , सेट लेखन :- २००७-०८ में लिखना शुरू किया

प्रकाशित :- संयुक्त संग्रहों  ‘स्वर एकादश’ { स० राज्यवर्द्धन } तथा ‘तवी जहाँ से गुजरती है’ { स० अशोक कुमार }  में    कुछ कविताएँ , नया
ज्ञानोदय , सृजन सन्दर्भ , परस्पर , अक्षर पर्व , अभिव्यक्ति , दस्तक , अभियान , हिमाचल मित्र , लोक गंगा , शब्द सरोकार ,उत्तरप्रदेश , दैनिक जागरण , अमर उजाला , शीराज़ा , अनुनाद , पहली बार , बीइंग पोएट , तत्सम , सिताब दियारा , जानकी पुल , आओ हाथ उठाएँ हम भी , आदि पत्र पत्रिकाओं व चिट्ठों पर प्रकाशित

सम्पर्क :-    गाँव व डाक – काली बड़ी  तह० व जिला० – साम्बा { १८४१२१ }  जम्मू व कश्मीर [ भारत ]

दूरभाष – ०९४१९२७४४०३ –  Email – kamal.j.choudhary@gmail.com

13 COMMENTS

  1. कमाल कर दिया ! अपनी उम्र से बड़ी कविताए कह दी हैं आपने

  2. I don’t even know how I ended up here, but I thought this post was great. I don’t know who you are but definitely you’re going to a famous blogger if you aren’t already 😉 Cheers!

  3. The next time I read a site, I hope that it doesn’t fail me as much as this one. I mean, Yes, it was my choice to read, but I really thought you would probably have something interesting to say. All I hear is a bunch of moaning about something that you could possibly fix if you were not too busy seeking attention.

  4. इतनी छोटी सी उम्र में ….कलम में इतनी आग ,बहुत आगे जाओगे ! पढ़ कर अच्छा लगा

  5. I have to thank you for the efforts you have put in penning this . I really hope to view the same high-grade content by you later on as well. In fact, your creative writing abilities has inspired me

  6. I wanted to thank you for this good read!! I certainly loved every little bit of it. I have you book-marked to check out new stuff you post

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here