मायावती ने की समीक्षा – संगठनात्मक ढाँचे होंगे बड़े परिवर्तन

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लखनऊ,
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष व उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री मायावती जी ने आज यहाँ आयोजित पार्टी की आल-इण्डिया की अति महत्वपूर्ण बैठक में, देश में 16वीं लोकसभा के लिये हुये आमचुनाव में आये अप्रत्याशित व अभूतपूर्व परिणामों की समीक्षा की और बी.एस.पी. के जनाधान को बहुत तेजी से व योजनाबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने हेतु आगे की तैयारियों के सम्बन्ध में नई रणनीति के तहत् संगठन में जरूरी परिवर्तन करने के साथ-साथ विशेष दिशा-निर्देंश जारी किये।
उत्तर प्रदेश बी.एस.पी. स्टेट कार्यालय, 12 माल एवेन्यू में आयोजित इस आपात बैठक में उत्तर प्रदेश के विधानसभा स्तर तक के प्रमुख पार्टी पदाधिकारियों के साथ-साथ देश के लगभग सभी प्रमुख राज्यों में से बी.एस.पी. के प्रमुख पदाधिकारियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। इस बैठक में अलग-अलग राज्यों से अलग-अलग बैठकें कर उनके सम्बन्धित राज्यों की चुनावी रिपोर्ट ली गयी और चुनाव परिणामों की समीक्षा भी की गयी। साथ ही, आगे की तैयारियों के लिये संगठन में कुछ परिवर्तन व उससे सम्बन्धित नये दिशा-निर्देंश जारी किये गये। इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश की समीक्षा के लिए अलग से विशेष बैठकों का दौर कल से आयोजित होगा।
बी.एस.पी. की इस आल-इण्डिया की अति महत्वपूर्ण बैठक को सम्बोधित करते हुये पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुश्री मायावती जी ने कहाकि इस बार के लोकसभा आमचुनाव में बीजेपी व इनके एन.डी.ए. गठबन्धन ने हालांकि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र की सरकार की घोर नाकामियों का जमकर फायदा उठाने के साथ-साथ हर प्रकार के साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों अर्थात् इन्होंने जाति, धर्म, सफेद झूठ व छल-कपट एवं गलत बयानबाजी आदि का सहारा लेकर जनता को काफी बड़े पैमाने पर गुमराह कर लोकसभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर लिया है, परन्तु इन सबके बावजूद भी बीजेपी को देश स्तर पर मात्र 31 प्रतिशत ही वोट मिले हैं, अर्थात् देश के लगभग 70 प्रतिशत वोटरों ने बीजेपी को नकार दिया है, फिर भी इनकी सरकार बनेगी और इनकी विभाजनकारी नीतियों को देश में थोपा जायेगा।
देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब मात्र 31 प्रतिशत वोट हासिल कर किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत प्राप्त हो गया है। इस अप्रत्याशित परिणाम का खास कारण गैर-मिशनरी मुस्लिम, अन्य पिछड़ा वर्ग व अपरकास्ट समाज के वोटरों का अधिकांश बंट कर सपा व बीजेपी में चले जाना है अर्थात् दलित समाज का वोट जिस ‘‘मजबूत चट्टान‘‘ की तरह बी.एस.पी. के आत्म-सम्मान के मूवमेन्ट के साथ जुड़ा रहा है, उसमें इन वर्गांे के लोगांे का थोड़ा-थोड़ा वोट भी जुड़ जाता तो बीजेपी को इतनी अप्रत्याशित सफलता कभी भी नहीं मिल सकती थी और साथ ही बी.एस.पी. का प्रदर्शन काफी अच्छा होता और वह केन्द्र में बैलेन्स आफ पावर बनकर उभरती।
उन्होंने कहाकि अब जो वर्तमान में नई परिस्थितियां हैं, वह नई-नई चुनौतियों को जन्म देने वाली हैं, जिसके प्रति बी.एस.पी. के जनाधार को सर्वसमाज में बढ़ाने के लिए विशेष परिश्रम करने की जरूरत है और इसके लिए नये दिशा-निर्देंश के तहत् काफी जी-जान से हर स्तर पर काम करना होगा, जिसके लिये लोगों ने जोरदार नारों के साथ उन्हें भरोसा दिलाया।

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