जयपुर. कृषक कल्याण शुल्क (Farmer welfare fee) के विरोध में राजस्थान की सभी 247 मंडियां 8 दिन से बंद हैं और अभी तक मामले के निपटारे के भी कोई आसार नजर नहीं आ रहे हैं. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के मुताबिक मंडियां बंद होने से रोजना 1500 करोड़ का टर्न ओवर प्रभावित हो रहा है. वहीं प्रतिदिन करीब 30 करोड़ रुपये के आढ़त का और सरकार को तकरीबन 50 करोड़ के जीएसटी तथा मंडी शुल्क का नुकसान हो रहा है. उधर राज्य सरकार हड़ताल के प्रभाव को ही नकार रही है. कृषि विभाग के प्रमुख सचिव नरेशपाल गंगवार के मुताबिक हड़ताल का ज्यादातर मंडियों में कोई असर नहीं है और कारोबार यथावत हो रहा है.
खत्म हो रहा स्टॉक
खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता के मुताबिक राज्य की दाल मिलों ने जहां पहले ही खरीद-बिक्री बंद कर दी है वहीं विभिन्न जिलों की तेल मिलों ने भी किसानों से सीधी खरीद नहीं करने का निर्णय लिया है. मंडियों में चल रही हड़ताल के चलते मिलों पर माल नहीं पहुंच पा रहा है और खुदरा व्यापारियों के पास भी स्टॉक खत्म होता जा रहा है. कई जगह खुदरा व्यापारी भी माल नहीं आने का हवाला देकर ज्यादा दामों पर माल बेचने में लगे हैं.
अभी नहीं हुई वार्ता
इस मसले को लेकर अभी तक सरकार की ओर से वार्ता की पहल नहीं होने से गतिरोध नहीं टूटा है. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने मामले को लेकर 5 सदस्यीय कमेटी गठित की है. सरकार से वार्ता के लिए समय मांगा गया है लेकिन अभी तक बात वार्ता की टेबल तक नहीं आई है. व्यापार संघ द्वारा 15 मई तक हड़ताल का ऐलान किया हुआ है लेकिन अगर वार्ता नहीं होती है तो यह हड़ताल अनिश्चिकाल तक बढ़ सकती है. हड़ताल के चलते किसान परेशान हो रहे हैं और उन्हें निराश होकर वापस लौटना पड़ा रहा है. PLC.